कन्या पूजन कब है | Kanya pujan kab hai 2024 | Kanya pujan vidhi

Published By: Bhakti Home
Published on: Friday, Oct 11, 2024
Last Updated: Friday, Oct 11, 2024
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कन्या पूजन कब है | Kanya pujan kab hai
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Kanya pujan kab hai 2024 | Kanya pujan vidhi - इस बार नवरात्रि में अष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन को लेकर काफी असमंजस की स्थिति है। ऐसे में मन में सवाल है कि आखिरी अष्टमी और नवमी कब है और किस दिन कन्या पूजन किया जाना चाहिए। तो आइए जानते हैं कि कन्या पूजन कब करें, नवमी तिथि कब शुरू हो रही है। साथ ही कन्या पूजन की विधि और महत्व भी जानें।

Kanya pujan kab hai 2024 | Kanya pujan vidhi 

नवरात्रि के आखिरी दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. लेकिन, इस बार तिथियों को लेकर थोड़ा असमंजस की स्थिति है. दरअसल, नवरात्रि की शुरुआत से ही दो तिथियां एक ही दिन पड़ रही हैं. 

ऐसे में नवरात्रि की नवमी तिथि को लेकर भी लोग असमंजस में हैं कि कन्या पूजन किस दिन किया जाएगा, नवमी को, 11 को या 12 अक्टूबर को. 

आपको बता दें कि मां दुर्गा के भक्त नवमी के दिन कन्या पूजन के बाद ही अपना व्रत खोलते हैं. आइए जानते हैं 11 या 12 अक्टूबर को कब कन्या पूजन करना शुभ रहेगा.

 

क्या अष्टमी 2024 को कन्या पूजन करना चाहिए? | Ashtami kanya puja time 2024 | Kanya pujan on ashtami or navami

  • वैसे तो भक्त नवमी तिथि पर कन्या पूजन करके अपना व्रत तोड़ते हैं, लेकिन कई लोग महाअष्टमी पर कन्या पूजन करते हैं।
  • आपको बता दें कि अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को दोपहर 12:32 बजे शुरू होगी। 
  • जबकि नवमी तिथि 11 अक्टूबर को दोपहर 12:07 बजे शुरू होगी। 
  • ऐसे में जो लोग अष्टमी पर कन्या पूजन करना चाहते हैं, उन्हें 11 अक्टूबर को दोपहर 12:07 बजे से पहले ही कर लेना चाहिए, यह शुभ रहेगा।

 

नवमी 2024 पर कन्या पूजन कब करें? | Navami kanya pujan time 2024

  • नवमी तिथि 11 अक्टूबर को सुबह 12:07 बजे से शुरू होगी और अगले दिन यानी 12 अक्टूबर को सुबह 10:59 बजे तक नवमी तिथि रहेगी। 
  • ऐसे में आप 12 अक्टूबर को सुबह 10:59 बजे से पहले नवमी तिथि का कन्या पूजन कर सकते हैं। 
  • इसके बाद दशमी तिथि शुरू हो जाएगी। इसलिए उस समय किया गया कन्या पूजन मान्य नहीं होगा।

 

कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त

  • 11 अक्टूबर को महाअष्टमी पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 7:46 बजे से 10:40 बजे तक लाभ चौघड़िया रहेगा।इसलिए इस मुहूर्त में अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करना शुभ रहेगा।
  • जो लोग 12 अक्टूबर को नवमी तिथि पर कन्या पूजन करेंगे, वे 12 अक्टूबर शनिवार को शुभ चौघड़िया में सुबह 7:50 बजे से 9:14 बजे तक कन्या पूजन कर सकते हैं।

 

कन्या पूजन की विधि | Kanya pujan vidhi

  1. कन्या पूजन से एक दिन पहले कन्याओं को आमंत्रित करें। फिर जब वे आपके घर आएं तो उनका आदरपूर्वक स्वागत करें।
  2. सबसे पहले स्वच्छ जल से उनके पैर साफ करें। फिर स्वच्छ कपड़े से उनके पैर पोंछें।
  3. उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें। कन्याओं के पैर छूने से पापों का नाश होता है।
  4. इसके बाद सभी कन्याओं को लाल रंग के आसन पर बैठाएं। इसके बाद उन पर कुमकुम से तिलक करें और सभी को पवित्र धागा बांधें।
  5. इसके बाद कन्याओं को हलवा, काले चने और पूरी खिलाएं। 
  6. कन्याओं की संख्या कम से कम 9 होनी चाहिए। बाकी आप अपनी क्षमता के अनुसार कन्या पूजन कर सकते हैं।
  7. इसके बाद कन्याओं को भोजन कराकर उन्हें दक्षिणा जरूर दें। 
  8. अंत में विदा करते समय कन्याओं के हाथ में कुछ चावल के दाने दें और फिर मां दुर्गा का नाम लेते हुए कन्याओं से कहें कि वे वह चावल का दाना अपने ऊपर रख लें।
  9. अंत में सभी के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और कन्याओं को खुशी-खुशी विदा करें।

 

कितने साल की कन्या का पूजन करना शुभ माना जाता है

शास्त्रों के अनुसार 2 से 9 साल की कन्या का पूजन करना शुभ माना जाता है। 2 से 9 साल की सभी कन्याओं का अलग-अलग महत्व होता है, जो इस प्रकार है।

  • 2 साल की कन्या को कौमारी कहते हैं। इनकी पूजा करने से व्यक्ति को दुख और दरिद्रता से मुक्ति मिलती है।
  • 3 साल की कन्या को त्रिमूर्ति कहते हैं। इस उम्र की कन्या का पूजन करने से परिवार में बरकत होती है।
  • 4 साल की कन्या को कल्याणी कहते हैं। इनकी पूजा करने से सुख-समृद्धि बनी रहती है।
  • 5 साल की कन्या को रोहिणी कहते हैं। इनकी पूजा करने से व्यक्ति के सभी रोग दूर हो जाते हैं।
  • 6 साल की कन्या को कालिका कहते हैं। इनकी पूजा करने से व्यक्ति के ज्ञान में वृद्धि होती है।
  • 7 साल की कन्या को चंडिका कहते हैं। इनकी पूजा करने से व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती है।
  • 8 साल की कन्या को शांभवी कहते हैं। इनकी पूजा करने से व्यक्ति की लोकप्रियता बढ़ती है।
  • 9 वर्ष की कन्या को देवी दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।

 

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