प्याज लहसुन क्यों नहीं खाते scientific reason | Navratri me lahsun pyaj kyu nahi khate

Published By: Bhakti Home
Published on: Monday, Oct 7, 2024
Last Updated: Monday, Oct 7, 2024
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Navratri me lahsun pyaj kyu nahi khate, प्याज लहसुन क्यों नहीं खाते scientific reason , नवरात्रि में प्याज क्यों नहीं खाते: धार्मिक और वैज्ञानिक कारण विस्तार से  - नवरात्रि के दौरान प्याज और लहसुन जैसी वस्तुओं को खाने से बचा जाता है, जिसका धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोण से महत्व है। आइए, इसे दोनों पहलुओं से विस्तार से समझें।

नवरात्री में लहसुन प्याज क्यों नहीं खाते | Navratri me lahsun pyaj kyu nahi khate - धार्मिक कारण

नवरात्रि हिंदू धर्म में शक्ति की देवी दुर्गा की आराधना का विशेष पर्व है, जिसमें श्रद्धालु सात्विक आहार अपनाते हैं। सात्विक आहार को शुद्ध, हल्का, और संयमी माना जाता है। 

इसके अंतर्गत फल, दूध, और हल्का भोजन आता है, जबकि तामसिक (भारी, उत्तेजक, और शारीरिक ऊर्जा को कम करने वाला) भोजन से बचा जाता है।

प्याज और लहसुन को तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा जाता है क्योंकि इसे खाने से मानसिक और शारीरिक ऊर्जा में गिरावट आती है, जिससे ध्यान और उपासना में बाधा होती है।

  • तामसिक भोजन: तामसिक आहार में वह भोजन शामिल होता है जो शरीर में आलस्य, काम भावना, और गुस्से को बढ़ावा देता है। 

    नवरात्रि में उपवास और उपासना के दौरान मानसिक शांति और शुद्धता पर जोर दिया जाता है। प्याज और लहसुन खाने से मन अशांत और शरीर भारी महसूस करता है, जो साधना और उपासना के लिए अनुकूल नहीं माना जाता।

  • पवित्रता और संयम का महत्व: धार्मिक ग्रंथों में यह उल्लेख है कि नवरात्रि के समय मनुष्य को पवित्रता और संयम का पालन करना चाहिए। 

    इस दौरान साधक सात्विक और शुद्ध आहार लेकर अपने मन और शरीर को नियंत्रित रखते हैं ताकि देवी की आराधना में किसी प्रकार का विघ्न न हो।

     

प्याज लहसुन क्यों नहीं खाते scientific reason | वैज्ञानिक कारण:

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी नवरात्रि में प्याज और लहसुन न खाने के कई कारण हो सकते हैं।

  • तामसिक गुण और शरीर पर प्रभाव: प्याज और लहसुन में तामसिक गुण होते हैं, जिनसे शरीर में आलस्य और मानसिक उथल-पुथल बढ़ जाती है।

    प्याज और लहसुन में ऐसे तत्व होते हैं जो पाचन तंत्र को उत्तेजित कर सकते हैं और शरीर में गर्मी पैदा करते हैं। 

    नवरात्रि में उपवास और शुद्ध आहार के दौरान ये तामसिक तत्व शरीर को साफ करने की प्रक्रिया के विरुद्ध काम करते हैं।

  • पाचन और स्वास्थ्य: प्याज और लहसुन को आमतौर पर पाचन प्रक्रिया के लिए भारी माना जाता है। 

    यह गैस और अपच को जन्म दे सकता है, जिससे उपवास के दौरान शरीर को अनावश्यक परेशानी हो सकती है।

    इस वजह से, सात्विक आहार जैसे हल्का और पचने में आसान भोजन को प्राथमिकता दी जाती है।

  • एंटीबायोटिक गुण: प्याज और लहसुन में एंटीबायोटिक गुण होते हैं, जो शरीर में जीवाणुओं और अन्य सूक्ष्मजीवों को नष्ट करने में सहायक होते हैं। 

    हालांकि, नवरात्रि के समय शरीर और मन को स्वाभाविक रूप से शुद्ध रखने पर ध्यान दिया जाता है, इसलिए प्याज और लहसुन से परहेज करना एक तरह से शरीर के प्राकृतिक शुद्धिकरण में मदद करता है।

     

प्याज लहसुन क्यों नहीं खाते - आयुर्वेदिक दृष्टिकोण:

आयुर्वेद में भोजन को तीन भागों में बांटा गया है: सात्विक, राजसिक, और तामसिक। 

सात्विक भोजन को मन और शरीर के लिए शुद्ध और शांतिपूर्ण माना गया है, जो उपवास और ध्यान के लिए उपयुक्त होता है। 

वहीं, तामसिक भोजन जैसे प्याज और लहसुन का सेवन मानसिक उत्तेजना और शारीरिक भारीपन को बढ़ाता है, जो उपवास की पवित्रता को भंग करता है।

 

प्याज लहसुन क्यों नहीं खाते निष्कर्ष:

  • नवरात्रि के दौरान प्याज न खाने के धार्मिक, वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारणों का मूल उद्देश्य शरीर और मन की शुद्धि है।
  • सात्विक आहार और संयम के साथ यह पर्व मनाने से व्यक्ति अपने शारीरिक और मानसिक संतुलन को बनाए रख सकता है, जिससे वह देवी की आराधना में अधिक ध्यान लगा सके।

 

तामसिक भोजन से परहेज के अन्य लाभ:

  • मानसिक शांति: तामसिक भोजन से बचने से मन में शांति और स्थिरता बनी रहती है।
  • पाचन में सुधार: सात्विक भोजन पचने में आसान होता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।
  • उपासना में ध्यान: शुद्ध आहार लेने से उपासना के समय ध्यान केंद्रित करना आसान हो जाता है।

इस तरह, धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्याज और लहसुन न खाने के पीछे शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि और उपासना का महत्व छिपा है।

 

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