हनुमान जी के पुत्र का नाम | Hanuman ji ke putra ka naam

Published By: Bhakti Home
Published on: Saturday, Sep 28, 2024
Last Updated: Saturday, Sep 28, 2024
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Hanuman ji ke putra ka naam: भगवान हनुमान भगवान श्री राम के अनन्य भक्त हैं। हम सभी जानते हैं कि पवनपुत्र हनुमानजी बचपन से ही ब्रह्मचारी थे। ऐसे में इस बात पर आश्चर्य होना स्वाभाविक है कि उनका एक पुत्र भी था। 

हनुमान जी के पुत्र का नाम | Hanuman ji ke putra ka naam

हालांकि महर्षि वाल्मीकि की रामायण में इस बात का उल्लेख है कि भगवान हनुमान का एक पुत्र भी था। इससे जुड़ी एक घटना का वर्णन वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है। आइए पढ़ते हैं इससे जुड़ी कथा के बारे में।

हनुमान जी के पुत्र मकरध्वज की कथा

जब पाताल लोक के राक्षस राजा अहिरावण ने अपने भाई रावण के कहने पर भगवान राम और लक्ष्मण को बंदी बना लिया था, तब वह भगवान राम और लक्ष्मण को पाताल लोक ले गया। 

तब हनुमान जी भगवान राम और लक्ष्मण की खोज में पाताल लोक पहुंचे। वहां वे अपने जैसे ही एक पहरेदार को देखकर हैरान रह गए। 

हनुमान जी की तरह दिखने वाले मकरध्वज ने पहरे पर खड़े होकर खुद को हनुमान का पुत्र बताया। जब हनुमान जी इस बात पर विश्वास करने को तैयार नहीं हुए, तो मकरध्वज ने अपनी उत्पत्ति की कथा सुनाई।

मकरध्वज ने हनुमान जी से कहा कि जब आप माता सीता की खोज में लंका पहुंचे, तो आपको मेघनाद ने पकड़कर रावण के दरबार में पेश किया। वहां रावण ने आपकी पूंछ में आग लगा दी, जिसके बाद आप अपनी जलती हुई पूंछ की आग बुझाने के लिए समुद्र तट पर पहुंचे। आग बुझाते समय आपके पसीने की एक बूंद पानी में गिर गई, जिसे एक बड़ी मछली ने पी लिया। उस एक बूंद के कारण वह मछली गर्भवती हो गई।

एक दिन पाताल लोक के दैत्यराज अहिरावण के सेवकों ने उस मछली को खाने के लिए पकड़ लिया। 

लेकिन जब वे उसका पेट चीर रहे थे तो उसमें से वानर रूपी एक पुरुष निकला, जो मैं ही था।

सेवक उस बालक को अहिरावण के पास ले गए। अहिरावण ने मुझे पाताल पुरी का रक्षक नियुक्त किया। 

मैं ही मकरध्वज के नाम से प्रसिद्ध हुआ। हनुमानजी ने अहिरावण का वध कर प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त कराया। 

इसके बाद उसके पुत्र मकरध्वज को पाताल लोक का राजा नियुक्त किया। हनुमानजी ने मकरध्वज को धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।

 

मछली पिछले जन्म में एक अप्सरा थी

ऐसा माना जाता है कि मछली पिछले जन्म में मछली थी लेकिन श्राप के कारण वह मछली बन गई थी।

बाद में उसी मछली को अहिरावण और उसके मछुआरों ने पकड़कर मार दिया था। आपको बता दें कि अहिरावण एक मायावी राक्षस राजा था। कुछ समय बाद अप्सरा श्राप से मुक्त हो गई थी।

यह सब सुनकर हनुमान जी ने मकरध्वज को गले लगा लिया। लेकिन हनुमान जी को अपना पिता मानने के बाद भी मकरध्वज ने हनुमान जी को अंदर नहीं जाने दिया।

इससे हनुमान जी भी प्रसन्न हुए। बाद में हनुमान जी और मकरध्वज के बीच युद्ध हुआ और अंत में हनुमान जी ने उसे अपनी पूंछ से बांधकर दरवाजे से हटाया और फिर श्रीराम और लक्ष्मण को बंधन से मुक्त किया। 

बाद में भगवान श्रीराम ने मकरध्वज को पाताल का नया राजा घोषित किया।

निष्कर्ष

हनुमान जी के पुत्र का नाम मकरध्वज था। 

 

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