⛳ Latest Blogs 📢

अनंत चतुर्दशी व्रत विधि, नियम, कथा | Anant chaturdashi vrat vidhi, niyam, katha in Hindi

Published By: Bhakti Home
Published on: Tuesday, Sep 17, 2024
Last Updated: Tuesday, Sep 17, 2024
Read Time 🕛
5 minutes
Anant chaturdashi vrat vidhi niyam katha puja mantra in Hindi
Table of contents

अनंत चतुर्दशी व्रत विधि, नियम, कथा: अनंत चतुर्दशी का त्यौहार हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। यह त्यौहार विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा और भगवान अनंत के व्रत के रूप में मनाया जाता है। 

इस दिन लोग अनंत सूत्र धारण करते हैं और भगवान से सुख, समृद्धि और शांति की प्रार्थना करते हैं। अनंत चतुर्दशी न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि इसे जीवन में पवित्रता, दृढ़ संकल्प और अनंत प्रगति के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है।

अनंत चतुर्दशी व्रत विधि (Anant chaturdashi vrat vidhi)

  1. अनंत चतुर्दशी के दिन व्रती सुबह स्नान करके भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने अनंत सूत्र धारण करते हैं। 
  2. पूजा शुरू करने से पहले पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ कर लें। इस दिन सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें। 
  3. अब एक लकड़ी का तख्ता लें और उस पर पीला कपड़ा बिछा दें और कपड़े पर रोली से चौदह तिलक बनाएं। 
  4. अनंत सूत्र 14 गांठों वाला एक पवित्र रेशमी पीला धागा होता है, जो भगवान अनंत के 14 लोकों का प्रतीक है। 
  5. भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने षोडशोपचार पूजा करें। इसमें विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना भी बहुत लाभकारी होता है। 
  6. 14 मालपुए, 14 पूरियां और खीर लेकर हर तिलक पर रखें। पंचामृत तैयार करें जो क्षीरसागर का प्रतीक है और इसे भगवान विष्णु को अर्पित करें।
  7. इसके अलावा भगवान विष्णु को फूल, अक्षत, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें। 
  8. पूजा के बाद भगवान विष्णु के चरणों में अनंत सूत्र अर्पित करें और पवित्र जल छिड़कें और पुरुष अपने दाएं हाथ में और महिलाएं अपने बाएं हाथ में अनंत सूत्र बांधें। 
  9. यह सूत्र भगवान की असीम कृपा का प्रतीक है, जो जीवन के कष्टों से मुक्ति दिलाता है। 
  10. पूजा के दौरान भगवान विष्णु को पंजीरी, मिठाई और अन्य नैवेद्य अर्पित करें। 
  11. इसके बाद इसे सभी भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित करें।
  12. अनंत चतुर्दशी का व्रत बिना जल पिए या फल खाकर किया जा सकता है। शाम को व्रत खोलने के लिए भगवान विष्णु की आरती करने के बाद भोजन करें।

 

अनंत चतुर्दशी का महत्व (Significance of Anant Chaturdashi)


अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व है क्योंकि इसे भगवान विष्णु की असीम शक्ति और उनकी निरंतरता का प्रतीक माना जाता है। 

'अनंत' शब्द का अर्थ है 'जिसका कोई अंत न हो' और इस दिन भगवान विष्णु की अनंत रूप में पूजा की जाती है। यह पर्व मुख्य रूप से जीवन में आने वाली कठिनाइयों और दुखों से मुक्ति पाने के लिए मनाया जाता है।

पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत काल में पांडवों ने अपने जीवन के कष्टों से मुक्ति पाने के लिए भगवान कृष्ण के निर्देश पर अनंत व्रत का पालन किया था। इस व्रत के प्रभाव से पांडवों को अपना खोया हुआ राज्य और प्रतिष्ठा पुनः प्राप्त हुई थी। 

मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

 

अनंत चतुर्दशी व्रत कथा हिंदी में (Anant Chaturdashi Vrat Katha In Hindi)

अनंत चतुर्दशी की पौराणिक कथा के अनुसार एक बार महाराज युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ किया था। उस समय एक ऐसा यज्ञ मंडप बनाया गया था जो बहुत ही अद्भुत था। 

वह यज्ञ मंडप देखने में इतना सुंदर और चमत्कारी था कि जल और स्थल में कोई अंतर नहीं था। वह मंडप जल में स्थल और स्थल में जल जैसा प्रतीत होता था। 

कड़ी सावधानी बरतने के बाद भी कई लोग इस मंडप में धोखा खा जाते थे। 

एक बार दुर्योधन भी उस यज्ञ मंडप में आया और तालाब को भूमि समझकर उसमें गिर गया। तब वहां खड़ा हर व्यक्ति हंसने लगा, जिससे दुर्योधन को बहुत गुस्सा आया।

इस घटना से दुर्योधन को बहुत अपमान महसूस हुआ और उसने पांडवों से बदला लेने की ठानी। बदला लेने के लिए उसने पांडवों को जुए में हराकर उन्हें अपमानित करने की योजना बनाई। 

जिसके चलते उसने छल से पांडवों को जुए में हरा दिया। पराजित होने पर पांडवों को बारह वर्ष का वनवास भोगना पड़ा। इस दौरान पांडवों ने काफी कष्ट झेले। एक दिन भगवान कृष्ण पांडवों से मिलने आए। तब युधिष्ठिर ने उन्हें अपना दुख बताया और इस दुख का निवारण भी पूछा। 

तब श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से भगवान अनंत का व्रत रखने को कहा। इस व्रत को रखने से पांडवों को अपना खोया हुआ राज्य वापस मिल गया।

 

अनंत चतुर्दशी पूजा मंत्र (Anant chaturdashi puja mantra) - Vishnu Mantra - Top 10

1. अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।

अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।

 

2. शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभांगम

लक्ष्मीकांतं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं।

वंदे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।

 

3. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

 

4. कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा । बुद्ध्यात्मना वा प्रकृतिस्वभावात् ।

करोमि यद्यत्सकलं परस्मै । नारायणयेति समर्पयामि ॥

कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा, बुद्ध्यात्मना वानुसृतस्वभावात् ।

करोति यद्यत्सकलं परस्मै, नारायणयेति समर्पयेत्तत् ॥

 

5. शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम् ।

प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये ॥

 

6. ध्याये न्नृसिंहं तरुणार्कनेत्रं सिताम्बुजातं ज्वलिताग्रिवक्त्रम्।

अनादिमध्यान्तमजं पुराणं परात्परेशं जगतां निधानम्।।

 

7. श्री विष्णु स्तोत्र (vishnu stotra)

किं नु नाम सहस्त्राणि जपते च पुन: पुन: ।

यानि नामानि दिव्यानि तानि चाचक्ष्व केशव: ।।

मत्स्यं कूर्मं वराहं च वामनं च जनार्दनम् ।

गोविन्दं पुण्डरीकाक्षं माधवं मधुसूदनम् ।।

पदनाभं सहस्त्राक्षं वनमालिं हलायुधम् ।

गोवर्धनं ऋषीकेशं वैकुण्ठं पुरुषोत्तमम् ।।

विश्वरूपं वासुदेवं रामं नारायणं हरिम् ।

दामोदरं श्रीधरं च वेदांग गरुड़ध्वजम् ।।

अनन्तं कृष्णगोपालं जपतो नास्ति पातकम् ।

गवां कोटिप्रदानस्य अश्वमेधशतस्य च ।।

कन्यादानसहस्त्राणां फलं प्राप्नोति मानव:

अमायां वा पौर्णमास्यामेकाद्श्यां तथैव च ।।

संध्याकाले स्मरेन्नित्यं प्रात:काले तथैव च ।

मध्याहने च जपन्नित्यं सर्वपापै: प्रमुच्यते ।।

 

8. ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥

 

9. ॐ अंगिरो जाताय विद्महे वाचस्पतये धीमहि तन्नो गुरु प्रचोदयात्।।

 

10. कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।

प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।

 

अनंत चतुर्दशी व्रत के नियम (Anant chaturdashi Vrat Rules)

  • शास्त्रों में कहा गया है कि अनंत चतुर्दशी व्रत के दिन व्यक्ति को भूलकर भी अनैतिक कार्य नहीं करने चाहिए। 
  • साथ ही इस खास दिन पर कन्याओं, पंडितों और बुजुर्गों का अपमान नहीं करना चाहिए। अगर इस नियम का पालन नहीं किया जाता है तो भगवान विष्णु नाराज हो सकते हैं। 
  • अनंत चतुर्दशी के दिन कलाई पर अनंत सूत्र बांधने की परंपरा है। इसलिए अगर आप अपनी कलाई पर अनंत सूत्र बंधवा रहे हैं तो इस दिन भूलकर भी मांसाहारी भोजन का सेवन न करें। साथ ही इस खास दिन मांस-मदिरा का सेवन वर्जित है। 
  • चतुर्दशी व्रत के दिन क्रोध करने से बचना चाहिए और वाणी पर संयम रखना चाहिए। इस दिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति के प्रति नकारात्मक विचार या द्वेष की भावना न आए। इस नियम का पालन न करने से पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है। 
  • अनंत चतुर्दशी के पावन अवसर पर सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। साथ ही इस खास दिन पर मां यमुना, सूर्य देव और शेषनाग जी की पूजा का भी प्रावधान है। इनकी पूजा के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।
  • अनंत चतुर्दशी के दिन अनंत सूत्र को कलाई पर बांधने से पहले भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें। 
  • ध्यान रखें कि अनंत सूत्र में 14 गांठें होनी चाहिए। ये सभी 14 गांठें 14 लोकों का प्रतिनिधित्व करती हैं। ध्यान रखें कि यह सूत्र गलती से भी टूटना नहीं चाहिए।

 

BhaktiHome