Dhanteras Puja Vidhi - धनतेरस, जिसे धन त्रयोदशी भी कहा जाता है, दिवाली महोत्सव की शुरुआत का प्रतीक है और इसे विशेष रूप से धन, समृद्धि और स्वास्थ्य की देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा के लिए मनाया जाता है।
इस दिन, भक्त भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं, जो आयुर्वेद और स्वास्थ्य के देवता हैं, और उन्हें धन और समृद्धि के लिए आराधना करते हैं। इस पर्व के दौरान तांबे, चांदी या सोने की वस्तुओं की खरीददारी की जाती है, जो समृद्धि का प्रतीक है।
Dhanteras Puja Vidhi | धनतेरस पूजा विधि
धनतेरस पूजा विधि का सही तरीके से पालन करना न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह परिवार के सदस्यों के बीच एकता और खुशी को भी बढ़ाता है। आइए जानें धनतेरस पूजा की विधि, जिसमें मंत्रों का उच्चारण और पूजा के सभी आवश्यक चरण शामिल हैं, ताकि हम इस शुभ दिन को सही तरीके से मनाकर अपने जीवन में धन और समृद्धि को आमंत्रित कर सकें।
धनतेरस पूजा विधि (Dhanteras Puja Vidhi)
धनतेरस, जिसे धन त्रयोदशी भी कहा जाता है, धन, समृद्धि और स्वास्थ्य की देवी लक्ष्मी की पूजा का दिन है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, जो आयुर्वेद के देवता हैं, की पूजा भी की जाती है। यहां धनतेरस पूजा की विधि चरणबद्ध तरीके से प्रस्तुत की जा रही है।
To read in English check it here - Dhanteras puja | How to do Dhanteras Puja at Home
धनतेरस पूजा की तैयारी (Dhanteras Puja preparation)
- स्थान की सफाई: पूजा के स्थान को स्वच्छ करें और वहां एक साफ चौकी या टेबल रखें।
- धनतेरस पूजा सामग्री: पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री एकत्र करें:
- एक तांबे की थाली
- दीपक (बाती और तेल)
- फूल, चंदन, और अगरबत्ती
- मिठाई, फल और नैवेद्य
- कुमकुम, हल्दी, और चावल
- माँ लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की मूर्तियाँ या तस्वीरें
धनतेरस पूजा विधि (Dhanteras Puja Vidhi)
- भगवान धन्वंतरि मूर्ति अभिषेक:
- सबसे पहले, भगवान धन्वंतरि की मूर्ति को स्नान कराएँ और ताजगी के लिए चंदन, फूल और धूप अर्पित करें।
- मंत्र:
"ॐ नमो भगवते धन्वंतरये नमः"
यह मंत्र जपते हुए भगवान धन्वंतरि का अभिषेक करें।
- गृह प्रवेश:
- घर के मुख्य द्वार पर एक दीपक रखें।
- पूजा स्थान को बासी (रंगोली) से सजाएं।
- मंत्र:
"ॐ श्री लक्ष्म्यै नमः"
इसे जपते हुए द्वार पर माँ लक्ष्मी का स्वागत करें।
- दीप प्रज्वलन:
- दीपक को प्रज्वलित करें और चारों दिशाओं में घुमाएँ।
- मंत्र:
"ॐ दीपज्योति नमः"
इसे कहते हुए दीपक को अर्पित करें।
- पूजा संकल्प:
- भगवान के सामने हाथ जोड़कर संकल्प लें।
- मंत्र:
"ॐ श्री गणेशाय नमः"
इस मंत्र का उच्चारण करें और पूजा का संकल्प लें।
- भगवान धन्वंतरि पूजन:
- भगवान धन्वंतरि की मूर्ति के सामने दूध, दही, शहद, और घी का मिश्रण अर्पित करें।
मंत्र:
"ॐ ऐं आयुरर्थाय धन्वंतरिः"
इसे बोलते हुए भगवान धन्वंतरि का पूजन करें।Dhanvantari Mantra | Dhanteras mantra | Dhanteras puja mantra
- माँ लक्ष्मी पूजन:
- लक्ष्मी जी की मूर्ति या तस्वीर के सामने एक सफेद कपड़ा बिछाएँ।
- उनके सामने चावल, फल, मिठाई, और रुपये अर्पित करें।
मंत्र:
"ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः"
इस मंत्र का जाप करें और लक्ष्मी जी से समृद्धि की प्रार्थना करें।
- नैवेद्य अर्पण:
- लक्ष्मी जी को भोग अर्पित करें, जैसे मिठाई और फलों का नैवेद्य।
- मंत्र:
"ॐ श्रीम धनाय नमः"
इस मंत्र का जाप करें और भगवान से आशीर्वाद माँगें।
- आरती:
- पूजा के अंत में भगवान की आरती करें।
- आरती करते समय चारों दिशाओं में दीपक दिखाएँ।
- मंत्र:
"ॐ जय लक्ष्मी माता"
इस मंत्र का जप करते हुए आरती करें।
- प्रार्थना और आशीर्वाद:
- अंत में, सभी भक्तों के लिए सुख, शांति, और समृद्धि की प्रार्थना करें।
- मंत्र:
"ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः"
इस मंत्र का जप करते हुए पूजा समाप्त करें।
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धन्वंतरिजी की आरती | Dhanvantari Ji Ki Aarti
जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।।
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकट आकर दूर किए।।
जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।
जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।
जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।
जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।
जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।
जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
जय लक्ष्मी माता आरती | Om Jai Lakshmni mata aarti | Laxmi Mata Aarti
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
उमा, रमा, ब्रम्हाणी,
तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
दुर्गा रुप निरंजनि,
सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
तुम ही पाताल निवासनी,
तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,
भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
जिस घर तुम रहती हो,
ताँहि में हैं सद्गुण आता ।
सब सभंव हो जाता,
मन नहीं घबराता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
तुम बिन यज्ञ ना होता,
वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव,
सब तुमसे आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर,
क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,
कोई नहीं पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
महालक्ष्मी जी की आरती,
जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता,
पाप उतर जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
धनतेरस पूजा के बाद
- प्रसाद वितरण: पूजा के बाद, अर्पित किए गए नैवेद्य का प्रसाद भक्तों में बाँटें।
- दीप जलाना: घर के चारों कोनों पर दीप जलाएँ और रात में उन्हें बुझने न दें।
धनतेरस पर इस पूजा विधि का पालन करते हुए भगवान लक्ष्मी और धन्वंतरि से समृद्धि और स्वास्थ्य की प्रार्थना करें। आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की वर्षा हो! 🌟✨