दुर्गा पूजा विधि मंत्र सहित | Durga puja vidhi in hindi

Published By: Bhakti Home
Published on: Sunday, Sep 29, 2024
Last Updated: Sunday, Sep 29, 2024
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दुर्गा पूजा विधि मंत्र सहित | Durga puja vidhi in hindi
Table of contents

इस ब्लॉग में माँ दुर्गा पूजा विधि (Durga puja vidhi) मंत्र सहित बताने जा रहे हैं। नीचे स्टेप्स के साथ प्रक्रिया दी गई है जिसके माध्यम से आप घर पर दुर्गा पूजा विधि से माँ दुर्गा का व्रत (Maa Durga Vrat) रखकर पूजा कर सकते हैं। यह बिना किसी पंडित जी के घर पर दुर्गा पूजा करने का सबसे अच्छा तरीका है। 

आप इनका पालन करके घर पे दुर्गा पूजा मंत्र सहित कर सकते हैं । 

दुर्गा पूजा विधि हिंदी में | Durga puja vidhi in hindi

घर पर दुर्गा पूजा करने के लिए इन स्टेप्स का पालन करें। 

1 - माँ दुर्गा का ध्यान और आवाहन करें

  • दुर्गा पूजा की शुरुआत देवी के ध्यान और आह्वान से होनी चाहिए। 
  • देवी दुर्गा की मूर्ति के सामने आह्वान मुद्रा करते हुए निम्नलिखित मंत्र का जाप करना चाहिए। 
  • आह्वान मुद्रा में दोनों हथेलियाँ आपस में जुड़ी होती हैं और अंगूठा अंदर की ओर मुड़ा होता है।

माँ दुर्गा का ध्यान और आवाहन मंत्र 

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोस्तुते॥

ब्रह्मरूपे सदानंदे परमानंद स्वरूपिणी।

द्रुत सिद्धिप्रदे देवि नारायणी नमोअस्तु ते॥

शरणागतदिनर्तपरित्राणपरायणे।

सर्वस्यार्तिहारे देवी नारायणी नमोअस्तु ते॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः आवाहनं समर्पयामि॥

 

2 - माँ दुर्गा को आसन प्रदान करें 

  • देवी दुर्गा का आह्वान करने के बाद, अंजलि में पांच फूल लें (दोनों हाथों की हथेलियों को जोड़कर) और उन्हें देवी दुर्गा की मूर्ति के सामने छोड़ दें, 
  • साथ ही निम्न मंत्र का उच्चारण करें और देवी से आसन ग्रहण करने का मानसिक अनुरोध करें।

माँ दुर्गा आसन मंत्र 

अनेक रत्नसंयुक्तं नानामणिगणान्वितम्।

कार्तस्वरमयं दिव्यमासनं प्रतिगृह्यतम॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः आसनं समर्पयामि॥

3 - माँ दुर्गा के पाद प्रक्षालन करें

देवी दुर्गा को आसन देने के बाद, निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए उनके पैर धोने के लिए जल अर्पित करें।

माँ दुर्गा पाद प्रक्षालन मंत्र 

गंगादि सर्वतीर्थेभ्यो मया प्रार्थनाहृतम्।

तोयामेतत्सुखास्पर्श पद्यर्थं प्रतिगृह्यतम॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः पद्यं समर्पयामि॥

4 - माँ दुर्गा को अर्घ्य समर्पण करें

पैर धोने के बाद, निम्न मंत्र का जाप करते हुए देवी दुर्गा को सुगंधित अर्घ्य (जल) अर्पित करें।

माँ दुर्गा को अर्घ्य समर्पित करने का मंत्र 

गंधपुष्पाक्षतैरयुक्तमार्घ्यं संपादितं मया।

गृहाणा त्वं महादेवी प्रसन्ना भव सर्वदा॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः अर्घ्यं समर्पयामि॥

5 - आचमन समर्पण

अर्घ्य देने के बाद निम्न मंत्र का जाप करते हुए देवी दुर्गा को आचमन हेतु जल अर्पित करें।

माँ दुर्गा आचमन मंत्र

आचम्यतां त्वया देवी भक्ति मे ह्याचलं कुरु।

इप्सितं मे वरं देहि परतं च परम गतिम्॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः आचमनीयं जलं समर्पयामि॥

 

6 - माँ दुर्गा को स्नान कराएं 

आचमन करने के बाद निम्नलिखित मंत्र का जाप करते हुए माँ दुर्गा को स्नान के लिए जल अर्पित करें।

माँ दुर्गा को स्नान कराने का मंत्र 

पयोदधि घृतं क्षीरं सितया च समन्वितम्।

पंचामृतमनेनाद्य कुरु स्नानं दयानिधे॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः स्ननीयं जलं समर्पयामि॥

7 - वस्त्र और आभूषण समर्पण

7.1 माँ दुर्गा को वस्त्र समर्पण करें

स्नान के बाद माँ दुर्गा को नए वस्त्र के रूप में मोली निम्न मंत्र बोलते हुए अर्पित करें।

माँ दुर्गा को वस्त्र समर्पित करने का मंत्र 

वस्त्रं च सोम दैवत्यं लज्जायस्तु निवारणम्।

मया निवेदितं भक्त्या गृहाणा परमेश्वरी॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः वस्त्रं समर्पयामि॥

7.2 - आभूषण समर्पण

वस्त्र अर्पित करने के बाद निम्न मंत्र का जाप करते हुए माँ दुर्गा को आभूषण अर्पित करें।

माँ दुर्गा को आभूषण समर्पित करने का मंत्र 

हार कङ्कणा केयूर मेखला कुंडलादिभिः।

रत्नाध्यं कुंडलो पेतं भूषणं प्रतिगृह्यतम॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः आभूषणं समर्पयामि॥

 

8 - चन्दन, रोली और काजल समर्पण

8.1 चन्दन समर्पण

आभूषण अर्पित करने के बाद निम्न मंत्र का जाप करते हुए माँ दुर्गा को चंदन अर्पित करें।

माँ दुर्गा को चन्दन समर्पित करने का मंत्र 

परमानंद सौभाग्यं परिपूर्णं दिगंतरे।

गृहाणा परमं गंधं कृपाय परमेश्वरी॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः चन्दनं समर्पयामि॥

 

8.2 रोली समर्पण

इसके बाद निम्न मंत्र का जाप करते हुए अखंड सौभाग्य के प्रतीक स्वरूप माँ दुर्गा को रोली या कुमकुम अर्पित करें।

माँ दुर्गा को रोली समर्पित करने का मंत्र 

कुंकुमं कांतिदं दिव्यं कामिनी काम संभवम्।

कुमकुमेनार्चिते देवि प्रसिदा परमेश्वरी॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः कुमकुमं समर्पयामि॥

 

8.3 काजल समर्पण

कुमकुम अर्पित करने के बाद निम्न मंत्र का जाप करते हुए माँ दुर्गा को काजल अर्पित करें।

माँ दुर्गा को काजल समर्पित करने का मंत्र 

कज्जलं कज्जलं रम्यं सुभगे शांतिकारिके।

कर्पूर ज्योतिरुत्पन्नं गृहाणा परमेश्वरी॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः कज्जलं समर्पयामि॥

 

9 - सौभाग्य सूत्र, सुगन्धित द्रव्य, हरिद्रा , अक्षत समर्पण

9.1 सौभाग्य सूत्र

काजल चढ़ाने के बाद निम्न मंत्र का जाप करते हुए दुर्गा देवी को सौभाग्य सूत्र अर्पित करें।

माँ दुर्गा को सौभाग्य सूत्र समर्पित करने का मंत्र 

सौभाग्यसूत्रं वरदे सुवर्ण मणि संयुते।

कण्ठे बध्नामि देवेशि सौभाग्यं देहि मे सदा॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः सौभाग्यसूत्रं समर्पयामि॥

 

9.2 सुगन्धित द्रव्य समर्पण

इसके बाद निम्न मंत्र का जाप करते हुए माँ दुर्गा को सुगंधित द्रव्य (इत्र) अर्पित करें।

माँ दुर्गा को सुगन्धित द्रव्य समर्पित करने का मंत्र 

चन्दनागारु कर्पूरैः संयुतं कुंकुमं तथाः।

कस्तुर्यादि सुगंधश्च सर्वांगेषु विलेपनम्॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः सुगंधिताद्रव्यं समर्पयामि॥

 

9.3 हरिद्रा (हल्दी) समर्पण

इसके बाद निम्न मंत्र का जाप करते हुए देवी दुर्गा को हल्दी अर्पित करें।

माँ दुर्गा को हरिद्रा (हल्दी) समर्पित करने का मंत्र 

हरिद्रारंजिते देवि सुखा सौभाग्यदायिनी।

तस्मात्त्वं पूज्यम्यत्र सुखशान्तिं प्रयच्च मे॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः हरिद्राचूर्णं समर्पयामि॥

9.4 अक्षत समर्पण

हरिद्रा अर्पित करने के बाद निम्न मंत्र का जाप करते हुए देवी दुर्गा को अक्षत (अखंडित चावल) अर्पित करें।

माँ दुर्गा को अक्षत समर्पित करने का मंत्र 

रंजितः कंकुमुद्येन न अक्षतश्चतिशोभनः।

ममैषा देवि दानेना प्रसन्न भव शोभने॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः अक्षतं समर्पयामि॥

 

10 - पुष्पाञ्जलि, बिल्वपत्र समर्पण

10.1 पुष्पाञ्जलि समर्पण

निम्नलिखित मंत्र का जाप करते हुए देवी दुर्गा को पुष्प अर्पित करें।

माँ दुर्गा को पुष्पाञ्जलि समर्पित करने का मंत्र 

मंदरा पारिजातादि पाटलि केतकनि च।

जाति चंपका पुष्पाणि गृहणेमणि शोभने॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः पुष्पांजलिं समर्पयामि॥

 

10.2 बिल्वपत्र समर्पण

इसके बाद निम्न मंत्र जाप करते हुए देवी दुर्गा को बिल्वपत्र अर्पित करें।

माँ दुर्गा को बिल्वपत्र समर्पित करने का मंत्र 

अमृतोद्भव श्रीवृक्षो महादेवी! प्रियः सदा।

बिल्वपत्रं प्रयच्छमि पवित्रं ते सुरेश्वरी॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः बिल्वपत्राणि समर्पयामि॥

 

11 - धूप, दीप, नैवेद्य एवं फल अर्पित करें

11.1 धूप समर्पण

इसके बाद निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए दुर्गा देवी को धूप अर्पित करें।

माँ दुर्गा को धूप अर्पित करने का मंत्र

दशांग गुग्गुला धूपम चंदनगारु संयुतम।

समर्पितं मया भक्त्या महादेवी! प्रतिगृह्यतम॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः धूपमाघ्रपयामि॥

 

11.2 दीप समर्पण

इसके बाद निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए देवी दुर्गा को दीप दिखाएँ।

माँ दुर्गा को दीप दिखाने (समर्पित) करने का मंत्र 

घृतवर्त्तिसमायुक्तं महतेजो महोज्ज्वलम्।

दीपं दास्यामि देवेशि! सुप्रीता भव सर्वदा॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः दीपं दर्शयामि॥

 

11.3 नैवेद्य समर्पण

इसके बाद निम्न मंत्र बोलते हुए देवी दुर्गा को नैवेद्य समर्पित करें।

माँ दुर्गा को नैवेद्य समर्पित करने का मंत्र 

अन्नं चतुर्विधं स्वादु रसैः षडभिः समन्वितम्।

नैवेद्य गृह्यतम देवि! भक्ति मे ह्यचला कुरु॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः नैवेद्यं निवेदयामि॥

 

11.4 फल अर्पण

इसके बाद निम्न मंत्र का जाप करते हुए देवी दुर्गा को ऋतु फल (मौसम के अनुसार फल ) अर्पित करें।

माँ दुर्गा को फल अर्पित करने का मंत्र 

द्राक्षखार्जुरा कदलीफला समरकापित्थकम्।

नारिकेलेक्षुजाम्बदि फलानि प्रतिगृह्यतम॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः ऋतुफलनि समर्पयामि॥

 

12 - आचमन

निम्नलिखित मंत्र का जाप करते हुए देवी दुर्गा को आचमन के लिए जल अर्पित करें।

माँ दुर्गा आचमन मंत्र

कामारिवल्लभे देवि करवाचमनमम्बिके।

निरंतररामहम वन्दे चरणौ तव चंडिके॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः आचमनीयं जलं समर्पयामि॥

13 - नारियल अर्पण

निम्नलिखित मंत्र का जाप करते हुए देवी दुर्गा को नारियल अर्पित करें।

माँ दुर्गा  को नारियल अर्पित करने का मंत्र

नारिकेलम च नारंगिम कलिंगमंजीरं त्वा।

उर्वारुक च देवेषि फलन्येतानि गह्यतम॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः नारिकेलं समर्पयामि॥

14 - ताम्बूल ( पान-सुपारी) & दक्षिणा अर्पण

14.1 ताम्बूल (पान-सुपारी) अर्पण

निम्नलिखित मंत्र का जाप करते हुए देवी दुर्गा को ताम्बूल (पान-सुपारी) अर्पित करें।

दुर्गा देवी को ताम्बूल (पान-सुपारी) करने का मंत्र

एलालवंगं कस्तूरी कर्पूरैः पुष्पवसीतम्।

विटिकं मुखवसार्थ समर्पयामि सुरेश्वरी॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः ताम्बूलं समर्पयामि॥

 

14.2 दक्षिणा अर्पण

इसके बाद निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए दुर्गा देवी को दक्षिणा अर्पित करें।

दुर्गा देवी को दक्षिणा अर्पित करने का मंत्र

पूजा फल समृद्धियर्था तवग्रे स्वर्णमीश्वरी।

स्थापिताम् तेन मे प्रीता पूर्णं कुरु मनोरथम्॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः दक्षिणं समर्पयामि॥

15 - दीप पूजा & कन्या पूजन

15.1 दीप पूजा

दुर्गा पूजा के दौरान जलाए गए दीपक की पूजा निम्न मंत्र बोलकर करें।

दीप पूजा मंत्र 

शुभम् भवतु कल्याणमारोग्यं पुष्टिवर्धनम्।

आत्मतत्त्व प्रबोधाय दीपज्योतिर्नमोस्तु ते॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः दीपं पूजयामि॥

15.2 कन्या पूजन

दुर्गा पूजा में कन्या पूजन का भी बहुत महत्व है। इसलिए दुर्गा पूजा के बाद कन्याओं को भोजन के लिए आमंत्रित किया जाता है और उन्हें दक्षिणा या उपहार दिए जाते हैं। कन्याओं को दक्षिणा देते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करें।

दुर्गा देवी कन्या पूजन मंत्र

सर्वस्वरूपे! सर्वेशे सर्वशक्ति स्वरूपिणी।

पूजम गृहण कौमारी! जगन्मातरनमोअस्तु ते॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः कन्या पूजयामि॥

16 - नीराजन, प्रदक्षिणा & क्षमापन

16.1 नीराजन (आरती )

अब निम्नलिखित मंत्र का जाप करने के बाद देवी दुर्गा की आरती करें।

दुर्गा देवी नीराजन मंत्र

नीराजनं सुमंगल्यं कर्पूरेण समन्वितम्।

चन्द्रार्कवह्नि सदृशं महादेवी! नमोअस्तु ते॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः कर्पूर निराजनं समर्पयामि॥

 

16.2 प्रदक्षिणा

निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा की फूलों के साथ प्रतीकात्मक परिक्रमा करें।

देवी दुर्गा प्रदक्षिणा मंत्र

प्रदक्षिणं त्रयं देवि प्रयत्नेन प्रकल्पितम्।

पश्यद्य पावने देवि अम्बिकायै नमोअस्तु ते॥

ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः प्रदक्षिणं समर्पयामि॥

 

16.3  क्षमापन

अंत में निम्नलिखित मंत्र का जाप करते हुए देवी दुर्गा से पूजा के दौरान हुई सभी ज्ञात-अज्ञात गलतियों के लिए क्षमा मांगें।

क्षमा मंत्र

अपराधा शतं देवि मत्कृतम् च दिने दिने ।

क्षम्यतां पावने देवी-देवेश नमोस्तुते ॥

 

दुर्गा जी की आरती

ॐ जय अम्बे गौरी…

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।

उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।

रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।

सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।

कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।

धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।

मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।

बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,

भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी ।

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।

श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।

कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

 

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