शरद पूर्णिमा खीर का महत्व | Sharad purnima kheer ka mahatva

Published By: Bhakti Home
Published on: Wednesday, Oct 16, 2024
Last Updated: Wednesday, Oct 16, 2024
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शरद पूर्णिमा खीर का महत्व | Sharad purnima kheer ka mahatva
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शरद पूर्णिमा खीर का महत्व, Sharad purnima kheer ka mahatva - साल की 12 पूर्णिमाओं में शरद पूर्णिमा की तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन चांदनी रात में खीर बनाने का खास महत्व है, क्योंकि मान्यता है कि इस दिन चांद से अमृत वर्षा होती है। शरद पूर्णिमा की रोशनी में खीर रखकर अगले दिन खाने से शरीर को कई फायदे मिलते हैं। इस लेख में, हम जानते हैं कि शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने के पीछे और कौन-कौन सी मान्यताएं जुड़ी हुई हैं।

शरद पूर्णिमा खीर का महत्व | Sharad purnima kheer ka mahatva 

शरद पूर्णिमा, हिंदू धर्म के अनुसार एक विशेष पर्व है, जो आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन चाँद की रौशनी विशेष रूप से चमकीली होती है, और इसे "कोजागर पूर्णिमा" भी कहा जाता है। इस अवसर पर खीर बनाने की परंपरा है, जिसे चाँद की रोशनी में रखा जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस खीर का महत्व क्या है? आइए, हम इसके धार्मिक और वैज्ञानिक पहलुओं को समझते हैं।

शरद पूर्णिमा खीर का धार्मिक महत्व

शरद पूर्णिमा पर खीर का धार्मिक महत्व है। आइये जानते हैं क्या है वो कारण ।

1 - अमृत वर्षा

मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र देव 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत वर्षा करते हैं। इस दिन चाँद की किरणें विशेष गुणकारी होती हैं, जो खीर में अमृत के समान प्रभाव डालती हैं। इसलिए इस दिन खीर बनाने और उसे चाँद की रोशनी में रखने की परंपरा है।

2 - माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद

शरद पूर्णिमा को माँ लक्ष्मी के प्रकट होने का दिन माना जाता है। इस दिन खीर बनाकर उन्हें भोग अर्पित करने से उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। इसे एक रूप में धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। 

ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्र देव 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत वर्षा करते हैं। इसी कारण शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में खीर रखने से उसमें अमृत घुल जाता है। 

इसके अतिरिक्त, शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी के प्राकट्य उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यही एक और वजह है कि इस दिन मां लक्ष्मी को प्रिय खीर का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में खाने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

इस दिन कुछ लोग मिट्टी के घड़े में पानी भरकर रखते हैं, फिर अगली सुबह इस पानी से नहाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इससे रोग-दोष दूर होते हैं।

3 - भोग का महत्व

खीर एक मिठाई है, जो आमतौर पर दूध, चावल, और चीनी से बनाई जाती है। इसे प्रसाद के रूप में खाने से भक्तों को सुख-समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

 

शरद पूर्णिमा खीर वैज्ञानिक कारण

वैज्ञानिक मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है। इस समय अंतरिक्ष में सभी ग्रहों से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा चंद्रमा की किरणों के माध्यम से पृथ्वी पर पड़ती है। इस कारण इस समय पूर्णिमा की चांदनी में खुले आसमान के नीचे रखी गई खीर चंद्रमा के प्रभाव से औषधीय गुणों से युक्त हो जाती है। चंद्रमा की इन किरणों के कारण खीर अमृत के समान हो जाती है। इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होगा। 

आइये सभी कारण देखें। 

1 - चाँद की ऊर्जा

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, चाँद की रोशनी में कई प्रकार की ऊर्जा होती है, जो हमारे शरीर को लाभ पहुंचा सकती है। जब खीर को चाँदनी में रखा जाता है, तो यह ऊर्जा खीर में समाहित हो जाती है। यह ऊर्जा हमारे शरीर को शांति और सुकून देती है।

2 - दूध और चावल का स्वास्थ्य लाभ

खीर बनाने के लिए दूध और चावल का उपयोग किया जाता है, जो पोषण से भरपूर होते हैं। दूध में कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन होते हैं, जबकि चावल कार्बोहाइड्रेट का अच्छा स्रोत है। इन दोनों के संयोजन से खीर एक संपूर्ण आहार बन जाती है, जो शरीर के लिए फायदेमंद है।

3 - रोग प्रतिरोधक क्षमता

शरद पूर्णिमा पर खीर खाने से रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। इस दिन चाँद की किरणों का सेवन करने से त्वचा के रोगों में राहत मिल सकती है, और यह आंखों की रोशनी को भी बढ़ाता है।

 

शरद पूर्णिमा की खीर खाने के फायदे

मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की खीर खाने से कई रोगों से मुक्ति मिल सकती है, खासकर चर्म रोगियों के लिए यह फायदेमंद मानी जाती है। इसके अलावा, यह आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी मदद कर सकती है।

यह भी मान्यता है कि प्रसाद के रूप में यह खीर खाने से आपको कभी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा, और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद आप पर सदैव बना रहेगा।

 

निष्कर्ष

इस प्रकार, शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने और उसे चाँद की रोशनी में रखने की परंपरा न केवल धार्मिक है, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं। यह खीर न केवल आध्यात्मिक समृद्धि लाती है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। 

इस दिन बनाई गई खीर का सेवन कर हम न केवल अपनी धार्मिक आस्था को मजबूत करते हैं, बल्कि अपने शरीर को भी पोषण प्रदान करते हैं।

 

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