श्राद्ध पूजा कैसे करें | Shradh puja kaise kare

Published By: Bhakti Home
Published on: Saturday, Sep 21, 2024
Last Updated: Sunday, Sep 22, 2024
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श्राद्ध पूजा कैसे करें  Shradh puja kaise kare
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Shradh puja kaise kare पितृ पक्ष के दौरान अगर आप गया, गोदावरी तट और प्रयाग में श्राद्ध-तर्पण नहीं कर सकते हैं तो घर पर रहकर भी अपने पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं। महाभारत और पद्मपुराण तथा अन्य स्मृति ग्रंथों में कहा गया है कि जो कोई भी व्यक्ति पितृ पक्ष में अपने पितरों के लिए यथाशक्ति पूरे विधि-विधान से श्राद्ध करता है, उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। घर-परिवार में शांति बनी रहती है। व्यापार और आजीविका में उन्नति होती है। साथ ही सभी तरह की बाधाएं दूर होती हैं।

श्राद्ध पूजा कैसे करें (Shradh puja kaise kare)

  • आश्विन कृष्ण पक्ष को श्राद्ध पक्ष (पितृ पक्ष) कहा जाता है। 
  • इस पक्ष में पितरों की श्राद्ध तिथि के अनुसार विधि-विधान से पितरों की शांति के लिए श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करना चाहिए। 
  • श्राद्ध कर्म की शास्त्रीय विधि के ज्ञान के अभाव में नीचे दी गई सरल विधि का भी पालन किया जा सकता है।

श्राद्ध सामग्री

सिंदूर, कपूर, जनेऊ, हल्दी, रक्षा सूत्र, काले तिल, घी, शहद, रोली, सुपारी, जौ, गुड़, दीया, धूपबत्ती, तुलसी और पान के पत्ते, सफेद फूल, उड़द की दाल, मूंग और गन्ना, कुशा, दही, गंगाजल, केला, धुर्व, कच्चा गाय का दूध आदि।

 

घर पर श्राद्ध कर्म कैसे करें?

  1. सूर्योदय से दोपहर 12:30 बजे के बीच श्राद्ध करना सबसे शुभ माना जाता है।
  2. श्राद्ध करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  3. घर के आंगन में रंगोली बनाएं।
  4. महिलाएं शुद्ध होकर पितरों के लिए भोजन तैयार करें।
  5. इसके बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें, अपने बाएं पैर को मोड़कर बाएं घुटने को जमीन पर टिकाएं।
  6. फिर एक चौड़े तांबे के बर्तन में काले तिल, गाय का कच्चा दूध और थोड़ा गंगाजल डालें।
  7. इसके बाद अपने दोनों हाथों में स्वच्छ जल भरें और दाहिने हाथ के अंगूठे से स्पर्श करके उसी तांबे के बर्तन में डालें। ऐसा 11 बार करें। इस प्रक्रिया को तर्पण कहते हैं।
  8. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पितरों के लिए अग्नि में गाय के दूध से बनी खीर अर्पित करें।
  9. भगवान से प्रार्थना करें, प्रार्थना में कहें , ‘हे प्रभु, मैं आपके समक्ष हाथ फैलाकर आपसे अपने पूर्वजों के उद्धार की प्रार्थना करता हूं, मेरी भक्ति से मेरे पूर्वज संतुष्ट हों।’ ऐसा करने से व्यक्ति को पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है।
  10. पितरों के लिए भोजन तैयार करें। ध्यान रखें कि इसमें प्याज और लहसुन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  11. फिर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके कुशा, जौ, तिल, चावल और जल लेकर संकल्प लें और फिर एक या तीन ब्राह्मणों को सच्चे मन से भोजन कराएं।
  12. श्राद्ध का भोजन करने के लिए श्रेष्ठ ब्राह्मण (या श्राद्ध कराने वाले व्यक्ति जैसे दामाद, भतीजा आदि) को घर पर आमंत्रित करें। सबसे पहले ब्राह्मण के पैर धोएं। इसके बाद ब्राह्मणों से आशीर्वाद लें।
  13. ध्यान रखें कि ब्राह्मण को भोजन कराने से पहले गाय, कुत्ते, कौए, देवता और चींटी के लिए भोजन अलग रखें।
  14. भोजन कराने के बाद भूमि, वस्त्र, अनाज, तिल, सोना, घी, गुड़, चांदी या नमक का दान करें। आप चाहें तो इनमें से कोई भी दो या तीन चीजें दान कर सकते हैं।
  15. ध्यान रखें कि श्राद्ध पूजा में हमेशा सफेद फूलों का इस्तेमाल किया जाता है।

 

पितृ तर्पण विधि

  1. तर्पण करने के लिए एक थाली लें।
  2. उसमें शुद्ध जल डालें। इसके बाद उसमें कुछ काले तिल और दूध डालें।
  3. फिर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें और थाली को अपने सामने रखें और अपने पास एक और खाली बर्तन भी रखें।
  4. इसके बाद अपने दोनों हाथों के अंगूठे और तर्जनी में दूर्वा या कुशा लेकर अंजलि बनाएं। यानी दोनों हाथों को जोड़कर उसमें जल भरें।
  5. फिर अंजलि में भरे जल को खाली बर्तन में डालें।
  6. कम से कम तीन बार अंजलि से तर्पण करें।

 

तर्पण मंत्र (Tarpan matra)

पिता के लिए तर्पण मंत्र

ओम भूर्भुव: स्व: पित्रेभ्य: तर्पयामि।

माता के लिए तर्पण मंत्र

ओम भूर्भुव: स्व: मात्रेभ्य: तर्पयामि।


दादा जी के लिए तर्पण मंत्र

ओम भूर्भुवः स्व: पितामहेभ्य: तर्पयामि।


दादी जी के लिए तर्पण मंत्र

ओम भूर्भुव: स्व: मातामहीभ्य: तर्पयामि।


परदादा जी के लिए तर्पण मंत्र

ओम भूर्भुव: स्व: प्रपितामहेभ्य: तर्पयामि।

 

श्राद्ध मंत्र (shradh mantra)

  • ॐ पितृ देवतायै नम:
  • ॐ पितृ गणाय विद्महे जगत धारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्।

 

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