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विश्वकर्मा पूजा विधि मंत्र सहित | Vishwakarma puja vidhi with mantra

Published By: Bhakti Home
Published on: Tuesday, Sep 17, 2024
Last Updated: Tuesday, Sep 17, 2024
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vishwakarma puja vidhi with mantra
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विश्वकर्मा पूजा विधि मंत्र सहित, Vishwakarma puja vidhi with mantra: हिंदू धर्म में भगवान विश्वकर्मा को निर्माण का देवता माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार उन्होंने सभी देवताओं के लिए कई भव्य महल, आलीशान भवन, चमत्कारी अस्त्र-शस्त्र और विशाल सिंहासन का निर्माण किया था। 

विश्वकर्मा पूजा विधि मंत्र सहित (Vishwakarma puja vidhi with mantra)

भगवान विश्वकर्मा ने महर्षि दधीचि की हड्डियों से देवताओं के राजा इंद्र के लिए वज्र का निर्माण किया था। उनके द्वारा निर्मित यह वज्र इतना शक्तिशाली था कि इससे राक्षसों का नाश संभव था। उन्होंने रावण के लिए लंका, श्री कृष्ण के लिए द्वारिका नगरी, पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ नगर और हस्तिनापुर जैसे राज्यों का निर्माण भी किया था। इतना ही नहीं उन्होंने दानवीर कर्ण के कुंडल और पुष्पक विमान का भी निर्माण किया था।

 

विश्वकर्मा पूजा सामग्री (vishwakarma puja samagri)

  • भगवान विश्वकर्मा का चित्र या मूर्ति
  • लकड़ी की चौकी, पीला कपड़ा, नवग्रह, मिट्टी का कलश, जनेऊ
  • हल्दी, रोली, साबुत चावल, सुपारी, मौली, लौंग, कपूर, घी, हवन कुंड
  • आम की लकड़ी, गंगाजल, इलायची, सूखा गोला, छिलका सहित नारियल
  • फल व मिठाई, इत्र, दही, खीरा, शहद, पंचमेवा आदि...

 

विश्वकर्मा पूजा विधि (Vishwakarma puja vidhi)

  1. इस दिन अपनी मशीनों और औजारों की सफाई करें। हो सके तो इस दिन मशीनों को आराम दें।
  2. इसके बाद स्नान करके पूजा स्थल पर बैठें।
  3. अगर आप विवाहित हैं तो अपनी पत्नी के साथ यह पूजा करें।
  4. इसके बाद हाथ में फूल लेकर भगवान विष्णु का ध्यान करें और फिर इन फूलों को भगवान विष्णु की मूर्ति पर चढ़ाएं।
  5. यह पूजा फैक्ट्री, वर्कशॉप या ऑफिस में करनी चाहिए।
  6. विश्वकर्मा की पूजा का शुभ समय सुबह का ही होता है, इसलिए कोशिश करें कि सुबह स्नान-ध्यान करके यह पूजा पूरी करें।
  7. पूजा के लिए सभी आवश्यक सामग्री एकत्र करें। इस सामग्री में भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र, जल से भरा कलश, थोड़े चावल, फूल, माला, चंदन, धूप, पीली सरसों, सुपारी, फल और प्रसाद आदि अवश्य शामिल करें।
  8. फिर हाथ में फूल और थोड़े चावल लेकर भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करें और इस मंत्र का जाप करें, “ॐ आधार शक्तपे नमः ॐ कुमयि नमः ॐ अनंतम नमः ॐ पृथ्वीये नमः ॐ श्री सृष्टनाय सर्वसिद्धय विश्वकर्माय नमो नमः।”
  9. मंत्र जाप के बाद हाथ में लिए चावल भगवान को समर्पित कर दें।
  10. इसके बाद पीली सरसों की चार पोटली बनाकर चारों दिशाओं के द्वार पर बांध दें।
  11. इसके बाद अपने हाथ और पूजा में उपस्थित लोगों के हाथ पर मौली बांध दें।
  12. संभव हो तो यह पूजा किसी योग्य ब्राह्मण से ही करवाएं ताकि कोई गलती न हो।
  13. फिर जमीन पर आठ पंखुड़ियों वाला कमल बनाएं और उस पर फूल चढ़ाएं।
  14. अंत में भगवान विश्वकर्मा की आरती करें और सभी को प्रसाद वितरित करें।
  15. अगले दिन विश्वकर्मा जी की मूर्ति का विसर्जन करें।

 

विश्वकर्मा पूजा मंत्र 

  1. ओम आधार शक्तपे नम:।
  2. ओम् कूमयि नम:।
  3. ओम अनन्तम नम:।
  4. पृथिव्यै नम: मंत्र।
  5. ॐ धराधराय नमः
  6. ॐ स्थूतिस्माय नमः
  7. ॐ विश्वरक्षकाय नमः
  8. ॐ दुर्लभाय नमः
  9. ॐ स्वर्गलोकाय नमः
  10. ॐ पंचवकत्राय नमः
  11. ॐ विश्वलल्लभाय नमः
  12. ॐ धार्मिणे नमः

 

विश्वकर्मा पूजा के लाभ

  • सफलता और समृद्धि: इस पूजा से कार्यस्थल पर सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है।
  • मन की शांति: भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यक्ति के मन में शांति और संतुलन विकसित होता है।
  • कार्य में दक्षता: इस पूजा के बाद व्यक्ति अपने काम में अधिक कुशल और सजग हो जाता है।
  • नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति: पूजा के माध्यम से व्यक्ति अपने आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।
  • परिवार और समाज में शांति: इस पूजा के माध्यम से न केवल व्यक्ति बल्कि उसके परिवार और समाज को भी शांति और समृद्धि का अनुभव होता है।

 

विश्वकर्मा पूजा में क्या करना चाहिए?

  • विश्वकर्मा पूजा के दिन आप जिन औजारों और मशीनों की पूजा कर रहे हैं, उन्हें दूसरों को इस्तेमाल के लिए न दें। 
  • विश्वकर्मा पूजा के दौरान औजारों को भगवान की मूर्ति के पास रखना न भूलें। 
  • इस दिन रोज़मर्रा की मशीनों की सफ़ाई करना न भूलें। 
  • विश्वकर्मा पूजा के दिन कोई भी पुराना औजार या उपकरण न फेंके। 
  • इस दिन मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।

 

विश्वकर्मा जी की आरती Vishwakarma Ji Ki Aarti


ॐ जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता, रक्षक श्रुति धर्मा॥ 

ॐ जय श्री विश्वकर्मा


आदि सृष्टि में विधि को श्रुति उपदेश दिया।
जीव मात्रा का जग में, ज्ञान विकास किया॥ 

ॐ जय श्री विश्वकर्मा


ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नहीं पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥ 

ॐ जय श्री विश्वकर्मा


रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर, दूर दुःख कीना॥ 

ॐ जय श्री विश्वकर्मा


जब रथकार दंपति, तुम्हरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत हरी सगरी॥

ॐ जय श्री विश्वकर्मा


एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज, सकल रूप सजे॥ 

ॐ जय श्री विश्वकर्मा


ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शक्ति पावे॥ 

ॐ जय श्री विश्वकर्मा


“श्री विश्वकर्मा जी” की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानंद स्वामी, सुख संपति पावे॥ 

ॐ जय श्री विश्वकर्मा

 

विश्वकर्मा पूजा का वैज्ञानिक दृष्टिकोण (Scientific view of Vishwakarma Puja)

  • विश्वकर्मा पूजा भले ही एक धार्मिक अनुष्ठान है, लेकिन इसके पीछे एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण छिपा है। 
  • इस दिन लोग अपने कार्यस्थल, औजारों और मशीनों की सफाई और मरम्मत करते हैं। 
  • यह उपकरणों के रखरखाव और देखभाल का दिन है। तकनीकी और निर्माण कार्यों में पवित्रता और शांति बनाए रखना इस पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

 

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