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मधुराष्टकम

Published By: bhaktihome
Published on: Wednesday, September 13, 2023
Last Updated: Sunday, August 11, 2024
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Krishna

मधुराष्टकम 

मधुराष्टकम एक लोकप्रिय भक्ति गीत है, जो शुद्ध-अद्वैत दर्शन को प्रतिपादित करने वाले भारतीय दार्शनिक श्रीपाद वल्लभाचार्य द्वारा रचित है।

आठ श्लोकों में रचित मधुराष्टकम् का अर्थ भगवान कृष्ण के स्वरूप, गुणों, प्रतीकों और जीवन से संबंधित रूपांकनों को स्पष्ट रूप से समझाते हुए कहता है कि भगवान कृष्ण से जुड़ी हर चीज मधुर है और वह मधुरता के स्वामी हैं।

॥ मधुराष्टकम् ॥

अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम्।

हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥1॥

 

वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरम्।

चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥2॥

 

वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ।

नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥3॥

 

गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम्।

रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥4॥

 

करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरम्।

वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥5॥

 

गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा।

सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥6॥

 

गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम्।

दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥7॥

 

गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा।

दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥8॥

 

॥ इति श्रीमद्वल्लभाचार्यकृतं मधुराष्टकं सम्पूर्णम् ॥

 

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