मातृ नवमी कब है 2024 - जाने महिला पितरों की पूजा विधि और महत्व

Published By: Bhakti Home
Published on: Sunday, Sep 22, 2024
Last Updated: Tuesday, Sep 24, 2024
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मातृ नवमी कब है 2024 , Matra navami kab hai : पितृ पक्ष में मातृ नवमी तिथि का विशेष महत्व है। पितृ पक्ष की नवमी तिथि महिला पितरों को समर्पित होती है। इस दिन मृत सुहागिन महिलाओं के लिए श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण आदि शुभ कार्य किए जाते हैं। आइए जानते हैं मातृ नवमी का महत्व और शुभ तिथि।

मातृ नवमी कब है 2024? ( Matra navami kab hai )

यह तिथि हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। इस तिथि को नौमी श्राद्ध या अविधवा श्राद्ध भी कहते हैं। जिन महिलाओं की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है, उनके लिए इस तिथि पर श्राद्ध करने का विधान है। 

जानें 2024 में मातृ नवमी कब है।

मातृ नवमी तिथि प्रारंभ: 25 सितंबर, बुधवार, दोपहर 12:10 बजे 

मातृ नवमी तिथि समाप्त: 26 सितंबर, गुरुवार, दोपहर 12:25 बजे 

उदया तिथि के अनुसार मातृ नवमी 26 सितंबर को मनाई जानी चाहिए।

हालांकि तिथि क्षय के कारण मातृ नवमी पर श्राद्ध कर्म 25 सितंबर को होगा।

  • मातृ नवमी के दिन माता, बहन, पुत्रवधू, जेठानी आदि का श्राद्ध दोपहर में किया जाता है। 
  • ऐसे में श्राद्ध कर्म का मुहूर्त दोपहर 1:10 बजे से 3:35 बजे तक है। 
  • यानी पूजा और तर्पण आदि के लिए कुल अवधि 2 घंटे 25 मिनट है।

 

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मातृ नवमी का महत्व

  • मातृ नवमी के दिन दिवंगत माताओं, बहुओं और बेटियों का श्राद्ध कर्म किया जाता है।
  • इस दिन इन महिलाओं का श्राद्ध करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बढ़ती है और साथ ही दिवंगत महिलाओं का आशीर्वाद भी मिलता है। 
  • मान्यता है कि इस दिन दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध करने से मातृ शक्ति प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन पंचबली के लिए भोजन अवश्य निकालना चाहिए।
  • अगर कोई मातृ नवमी पर अपनी मृत मां, बहन या बेटी का श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करता है तो इसे शुभ माना जाता है। 
  • ऐसा माना जाता है कि अगर घर की कोई महिला इस तिथि पर महिला पितरों के लिए पूजा या भोजन और जल दान करती है तो घर की सुख-समृद्धि बढ़ती है।

 

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मातृ नवमी पूजा विधि

  1. मातृ नवमी के दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और घर के बाहर रंगोली बनाएं। 
  2. 12 बजे के आसपास पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाता है। 
  3. दोपहर में कंडा जलाएं और दिवंगत महिलाओं को याद करके पितरों को घी, खीर-पूरी, गुड़ आदि का भोग लगाएं। 
  4. धूपबत्ती जलाने के बाद हथेली में जल लेकर अंगूठे की तरफ से पितरों को अर्पित करें। 
  5. फिर दिवंगत परिवार के सदस्य को याद करके अपनी गलती के लिए क्षमा मांगें। 
  6. इसके बाद पंचबली के लिए भोजन निकालें और घर में आई महिला को आदरपूर्वक खिलाएं। 
  7. भोजन कराने के बाद दान-दक्षिणा दें और आशीर्वाद लें। 
  8. दोपहर का समय समाप्त होने से पहले श्राद्ध संबंधी सभी कर्मकांड पूरे कर लेने चाहिए।

 

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FAQs

मातृ नवमी के दिन क्या करना चाहिए?

  1. मात नवमी के दिन तुलसी पूजा अवश्य करनी चाहिए। ध्यान रखें कि पितरों से जुड़े कामों के लिए तांबे के बर्तन का इस्तेमाल करना चाहिए। 
  2. इस दिन भूलकर भी किसी महिला का अपमान नहीं करना चाहिए। 
  3. साथ ही किसी गरीब और जरूरतमंद विवाहित महिला को सुहाग की वस्तुएं जैसे लाल साड़ी, कुमकुम, सिंदूर, चूड़ियां, अनाज, जूते, चप्पल आदि दान करना चाहिए। 
  4. इस दिन घर में आए पशु, पक्षी, मेहमान, गरीब, भिखारी आदि को बिना भोजन और पानी के नहीं जाने देना चाहिए।

 

मातृ नवमी मंत्र

दादी जी के लिए तर्पण मंत्र

ओम भूर्भुव: स्व: मातामहीभ्य: तर्पयामि।

माता के लिए तर्पण मंत्र

ओम भूर्भुव: स्व: मात्रेभ्य: तर्पयामि।

 

मातृ नवमी का मतलब क्या होता है?

मातृ नवमी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। क्यूंकि ये नवमी को पड़ती है इसलिए इसे मातृ नवमी श्राद्ध कहते हैं। इसे नौमी श्राद्ध और अविध्वा श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है।  इस दिन उन मृत माताओं, बहुओं और बेटियों को पिंडदान दिया जाता है, जिनकी मृत्यु विवाहिता के रूप में हुई है।

 

महिलाओं का श्राद्ध कब करना चाहिए?

महिलाओं का श्राद्ध मातृ नवमी ( मातृनवमी ) के दिन करना चाहिए।

 

सुहागन का श्राद्ध कब करना चाहिए?

सुहागन महिलाओं का श्राद्ध पितृ पक्ष की नवमी तिथि मतलब मातृ नवमी ( मातृनवमी ) के दिन करना चाहिए।

 

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