Shailputri mata puja vidhi | shailputri mata ki puja kaise kare

Published By: Bhakti Home
Published on: Thursday, Oct 3, 2024
Last Updated: Thursday, Oct 3, 2024
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Shailputri mata puja vidhi, shailputri mata ki puja kaise kare: नवरात्रि के पहले दिन माँ दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री माता की पूजा की जाती है। माता शैलपुत्री को पर्वतराज हिमालय की पुत्री कहा जाता है। 

शैलपुत्री माता की पूजा विधि, मंत्र, कथा और आरती | Shailputri mata puja vidhi | shailputri mata ki puja kaise kare

शैलपुत्री माता पूजा करने से भक्तों को धैर्य, साहस और शक्ति की प्राप्ति होती है। यहां हम शैलपुत्री माता की पूजा विधि, मंत्र, कथा और आरती के बारे में विस्तार से जानेंगे।

शैलपुत्री माता की पूजा विधि

1. पूजा का समय और स्थान:

  • सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • घर के पूजा स्थान को साफ करें और मां शैलपुत्री की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर देवी की मूर्ति स्थापित करें।

2. कलश स्थापना:

  • पूजा के लिए कलश स्थापित करें। कलश पर स्वस्तिक बनाएं और उसमें जल भरें।
  • कलश में सुपारी, हल्दी, दूर्वा, पान का पत्ता और सिक्के डालें।
  • कलश के मुख पर एक नारियल रखें और इसे लाल कपड़े से लपेटकर मौली से बांध दें।

3. दीप प्रज्वलन:

  • माता के समक्ष घी का दीपक जलाएं।
  • धूप, अगरबत्ती और फूल अर्पित करें।

4. आह्वान मंत्र:

  • माता का आह्वान करें और ध्यान लगाएं। माता का ध्यान करते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करें:

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
 

5. पंचोपचार पूजन:

  • पंचोपचार के अंतर्गत माता को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से स्नान कराएं।
  • उसके बाद स्वच्छ जल से स्नान कराएं और वस्त्र अर्पित करें।
  • माता को अक्षत, फूल, चंदन, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
  • नैवेद्य में फल, मिष्ठान्न और विशेष रूप से माता को सफेद रंग का भोग अर्पित करें जैसे सफेद मिठाई या नारियल।

 

6. माता शैलपुत्री का मंत्र: 

पूजा के दौरान निम्नलिखित मंत्र का जाप करें:

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
 

शैलपुत्री माता की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, मां शैलपुत्री ने अपने पूर्व जन्म में सती के रूप में जन्म लिया था। सती का विवाह भगवान शिव से हुआ था। एक बार उनके पिता प्रजापति दक्ष ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। सती को जब इस बात का पता चला, तो वह अपने पति की मना करने के बावजूद अपने पिता के यज्ञ में पहुंच गईं। वहां उन्हें अपने पति का अपमान सहन नहीं हुआ और उन्होंने यज्ञ की अग्नि में आत्मदाह कर लिया।

अगले जन्म में सती ने पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया और शैलपुत्री कहलाईं। माता शैलपुत्री ने भगवान शिव से पुनः विवाह किया और देवी पार्वती के रूप में प्रसिद्ध हुईं। माता शैलपुत्री की पूजा से व्यक्ति के जीवन में स्थिरता और शांति आती है।

 

शैलपुत्री माता की आरती

जय शैलपुत्री माता, जय शैलपुत्री माता। आप ही हैं भवानी, जगराता।

चंद्र सम हैं सुशोभित, माथे पर तिलक प्यारा। कनक कलश सोहे, हाथों में त्रिशूल धारा।

जय शैलपुत्री माता, जय शैलपुत्री माता। आप ही हैं भवानी, जगराता।

ब्रह्मा, विष्णु और शिव, हैं सब करते सेवा। जो कोई भी तुझको, ध्याता, है पाता।

जय शैलपुत्री माता, जय शैलपुत्री माता। आप ही हैं भवानी, जगराता।

अधिकार सबको देती, मां पुण्य कुमाता। जो श्रद्धा से तुझे ध्यावे, सुख पाता।

जय शैलपुत्री माता, जय शैलपुत्री माता। आप ही हैं भवानी, जगराता।

 

शैलपुत्री माता पूजा के अंत में

  • माता शैलपुत्री की आरती के बाद प्रसाद वितरण करें।
  • पूजा समाप्त करने के बाद माता से सुख-शांति, समृद्धि और शक्ति की प्रार्थना करें।

इस विधि से मां शैलपुत्री की पूजा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।

 

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