कात्यायनी माता की कथा और आरती | Katyayani mata ki katha

Published By: Bhakti Home
Published on: Tuesday, Oct 8, 2024
Last Updated: Tuesday, Oct 8, 2024
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Katyayani mata ki katha | Katyayani mata ki aarti | कात्यायनी माता की कथा | कात्यायनी माता की आरती
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कात्यायनी माता की कथा | katyayani mata ki katha | कात्यायनी माता की आरती | Katyayani mata ki aarti: मां कात्यायनी देवी दुर्गा के छठे स्वरूप में पूजी जाती हैं। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर मां ने उनके घर पुत्री रूप में जन्म लिया, इसलिए उन्हें कात्यायनी कहा गया।

कात्यायनी माता  शक्ति और साहस की देवी मानी जाती हैं, जिनकी पूजा नवरात्रि के छठे दिन की जाती है। उनके आशीर्वाद से भक्त भय, संकटों से मुक्ति पाकर जीवन में सुख और शांति प्राप्त करते हैं।

आइये जानते हैं कात्यायनी माता की कथा (katyayani mata ki katha).

कात्यायनी माता की कथा | katyayani mata ki katha

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इनकी पूजा और प्रार्थना करने से भक्तों को धन, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की सहज ही प्राप्ति हो जाती है। 

उनके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के सभी पाप भी नष्ट हो जाते हैं। नवरात्रि के छठे दिन इसी देवी की पूजा की जाती है। कात्य गोत्र के विश्वविख्यात महर्षि कात्यायन ने भगवती पराम्बा की आराधना की थी। 

उन्होंने कठोर तपस्या की थी। उन्हें पुत्री की कामना थी। मां भगवती ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। इसीलिए इन्हें देवी कात्यायनी कहा जाता है। 

इनका गुण अनुसंधान कार्य है। इसीलिए इस वैज्ञानिक युग में कात्यायनी का महत्व सबसे अधिक हो जाता है। इनकी कृपा से ही सभी कार्य पूर्ण होते हैं। 

ये वैद्यनाथ नामक स्थान पर प्रकट हुई थीं और इनकी पूजा की गई थी। मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। ब्रज की गोपियों ने भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए इनकी पूजा की थी। 

यह पूजा कालिंदी यमुना के तट पर की गई थी। इसीलिए इन्हें ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजा जाता है।

इनका स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है। ये सोने के समान चमकती हैं और कांतिमय हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है और नीचे वाला वर मुद्रा में है। 

मां के ऊपर वाले बाएं हाथ में तलवार है और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। इनका वाहन भी सिंह है। 

इनकी पूजा और प्रार्थना करने से भक्तों को धन, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की सहज ही प्राप्ति हो जाती है। भक्तों के रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के सभी पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इसीलिए कहा जाता है कि इस देवी की पूजा करने से परम पद की प्राप्ति होती है।

 

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कात्यायनी माता की आरती | Katyayani mata ki aarti

जय जय अंबे जय कात्यायनी ।

जय जगमाता जग की महारानी ।।

 

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।

वहां वरदाती नाम पुकारा ।।

 

कई नाम हैं कई धाम हैं।

यह स्थान भी तो सुखधाम है।।

 

हर मंदिर में जोत तुम्हारी।

कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।।

 

हर जगह उत्सव होते रहते।

हर मंदिर में भक्त हैं कहते।।

 

कात्यायनी रक्षक काया की।

ग्रंथि काटे मोह माया की ।।

 

झूठे मोह से छुड़ानेवाली।

अपना नाम जपानेवाली।।

 

बृहस्पतिवार को पूजा करियो।

ध्यान कात्यायनी का धरियो।।

 

हर संकट को दूर करेगी।

भंडारे भरपूर करेगी ।।

 

जो भी मां को भक्त पुकारे।

कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।

 

माँ कात्यायनी पूजा लाभ | maa katyayani puja benefits

  • मां कात्यायनी की उपासना से वैवाहिक जीवन के सुख और शांति की प्राप्ति होती है। 
  • विशेष रूप से जो कन्याएं विवाह में आने वाली बाधाओं का सामना कर रही होती हैं, उन्हें मां कात्यायनी की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

 

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