
मां कालरात्रि की कथा | Maa kalratri ki katha in hindi - मां कालरात्रि नवरात्रि के सातवें दिन पूजी जाती हैं। मां कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत भयानक और तामसिक है, लेकिन उनकी कृपा से भक्तों को भय और संकट से मुक्ति मिलती है। उनकी कथा इस प्रकार है:
मां कालरात्रि की कथा | Maa kalratri ki katha in hindi
प्राचीन समय की बात है, जब दैत्यों ने देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया था। इन दैत्यों के राजा, राक्षसों के नायक और अत्यंत बलशाली महिषासुर ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया और उन्हें स्वर्ग से निकाल दिया। सभी देवता भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा के पास गए और उनसे रक्षा की प्रार्थना की।
भगवान शिव ने सभी देवताओं की प्रार्थना सुनकर एक दिव्य शक्ति का निर्माण किया। उस शक्ति का नाम मां दुर्गा था। मां दुर्गा ने अपनी शक्ति से महिषासुर का वध किया और स्वर्ग में देवताओं को पुनः स्थापित किया।
लेकिन इससे पहले, महिषासुर के एक मित्र, रक्तबीज नामक दैत्य ने देवताओं से बदला लेने की योजना बनाई। वह एक असुर था, जिसे हर बार मारने पर वह फिर से जीवित हो जाता था।
इसके बाद जब मां दुर्गा का सामना रक्तबीज से हुआ तो उनके शरीर में मौजूद रक्त से ज्यादा रक्तबीज राक्षस पैदा हो गए, क्योंकि उसे वरदान था कि अगर उसके खून की एक बूंद भी धरती पर गिरेगी तो उसके जैसा एक और राक्षस पैदा हो जाएगा।
इस समस्या का समाधान करने के लिए मां दुर्गा ने मां कालरात्रि का रूप धारण किया।
मां कालरात्रि ने अपने तेज और भयंकर रूप से रक्तबीज का वध करके उसके रक्त की प्रत्येक बूंद पी ली, जिससे और अधिक राक्षस उत्पन्न होने से रुक गए।
उनकी शक्ति के सामने रक्तबीज नहीं टिक सका और वह मृत्यु को प्राप्त हुआ। इस प्रकार मां कालरात्रि ने अपनी अद्भुत शक्ति और तेज से सभी दैत्यों का नाश किया और भक्तों की रक्षा की।
मां काली ने रक्तबीज का वध कैसे किया था?
मां कालरात्रि ने अपने तेज और भयंकर रूप से रक्तबीज का वध करके उसके रक्त की प्रत्येक बूंद पी ली, जिससे और अधिक राक्षस उत्पन्न होने से रुक गए। इस प्रकार रक्तबीज का अंत हुआ ।
मां कालरात्रि का स्वरूप
मां कालरात्रि का स्वरूप काला है, और उनके चार हाथ हैं। वे अपने दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाईं हाथ में कृपाण धारण करती हैं। उनके शरीर पर सफेद वस्त्र होते हैं और उनकी आंखें भयानक दिखाई देती हैं, जो उनके अंदर की शक्ति को दर्शाती हैं। उनकी उपासना करने से भक्तों के सभी भय और संदेह दूर हो जाते हैं।
मां कालरात्रि की कथा का महत्व
मां कालरात्रि का पूजन उन भक्तों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। उनके पूजन से साहस, आत्मविश्वास और शक्ति की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के इस दिन भक्त विधिपूर्वक मां कालरात्रि की पूजा करते हैं, जिससे उन्हें सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति का संचार होता है।
मां कालरात्रि की कृपा से भक्तों को सफलता, साहस और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है। इसलिए नवरात्रि के इस दिन विशेष रूप से उनकी पूजा-अर्चना की जाती है, जिससे भक्त अपनी सभी समस्याओं से मुक्ति पा सकें।
मां कालरात्रि का मंत्र
ॐ कालरात्र्यै नम:।
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्ति हारिणि।
जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तुते॥
ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी।
एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ।।
मां कालरात्रि आरती
कालरात्रि जय-जय-महाकाली।
काल के मुह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतार॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा॥
खडग खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें।
महाकाली माँ जिसे बचाबे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह।
कालरात्रि माँ तेरी जय॥