नवरात्रि व्रत कथा | 3 कथाएं | Navratri vrat katha in hindi

Published By: Bhakti Home
Published on: Thursday, Oct 3, 2024
Last Updated: Thursday, Oct 3, 2024
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नवरात्रि व्रत कथा, Navratri vrat katha in hindi: नवरात्रि का व्रत रखने से पहले इस परम पावन पर्व की पावन कथा जान लेना जरूरी है। इस पर्व से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं, इनमें से 3 प्रमुख कथाएं इस प्रकार हैं।

नवरात्रि व्रत कथा | 3 कथाएं 

नवरात्रि व्रत कथा देवी दुर्गा की महिमा और शक्ति की कथा है, जो उनके नौ रूपों की आराधना और उनके द्वारा की गई बुराई पर विजय का वर्णन करती है। 

यह व्रत कथा भक्तों को देवी की कृपा पाने, जीवन की कठिनाइयों से उबरने, और आत्मशक्ति को जागृत करने का प्रेरणा स्रोत है। 

नवरात्रि के दौरान व्रत रखने वाले भक्त इस कथा को सुनकर देवी दुर्गा के प्रति अपनी आस्था प्रकट करते हैं और उनसे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की कामना करते हैं।

 

कथा 1 - नवरात्रि व्रत कथा - महिषासुर कथा 

एक पौराणिक कथा के अनुसार नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध करके देवताओं को उसके कष्टों से मुक्ति दिलाई थी। 

महिषासुर ने भगवान शिव की आराधना करके अद्वितीय शक्तियां प्राप्त की थीं और ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवता भी उसे पराजित नहीं कर पाए थे। 

राक्षस महिषासुर के आतंक से सभी देवता भयभीत थे। 

उस समय सभी देवताओं ने अपनी शक्तियों को मिलाकर दुर्गा का अवतार लिया। 

अनेक शक्तियों के तेज से उत्पन्न मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर सभी को कष्टों से मुक्ति दिलाई।

 

कथा 2 - नवरात्रि व्रत कथा - सुमति कथा 

एक नगर में एक ब्राह्मण रहता था। वह देवी दुर्गा का बहुत बड़ा भक्त था। उसकी एक पुत्री थी। ब्राह्मण प्रतिदिन नियमानुसार दुर्गा की पूजा और यज्ञ करता था।

ब्राह्मण की पुत्री सुमति भी प्रतिदिन इस पूजा में भाग लेती थी। एक दिन सुमति खेलने में व्यस्त होने के कारण देवी की पूजा में भाग नहीं ले सकी।

यह देखकर उसके पिता को क्रोध आ गया और क्रोध में उसने कहा कि वह उसका विवाह एक दरिद्र और कोढ़ी से कर देगा।

पिता की बात सुनकर पुत्री को बहुत दुख हुआ और उसने पिता द्वारा क्रोध में कही गई बात को सहर्ष स्वीकार कर लिया। अनेक बार प्रयत्न करने पर भी भाग्य नहीं बदलता।

अपने वचन के अनुसार उसके पिता ने अपनी पुत्री का विवाह एक कोढ़ी से कर दिया।

सुमति अपने पति से विवाह करके चली गई। पति के घर पर न होने के कारण उसे जंगल में घास की चटाई पर बहुत कष्ट में रात बितानी पड़ी।

गरीब कन्या की यह दशा देखकर उसके पूर्व जन्म के पुण्यों के प्रभाव से देवी भगवती प्रकट हुईं और सुमति से बोलीं, 'हे कन्या, मैं तुझ पर प्रसन्न हूं।' मैं तुम्हें कुछ देना चाहती हूँ, जो चाहो मांग लो। 

इस पर सुमति ने उससे पूछा कि तुम मुझ पर किस बात के लिए प्रसन्न हो? 

कन्या की यह बात सुनकर देवी ने कहा- मैं तुम्हारे पूर्व जन्म के पुण्यों के प्रभाव से प्रसन्न हूँ, तुम पूर्व जन्म में एक भील की पतिव्रता पत्नी थी। 

एक दिन तुम्हारे पति भील द्वारा चोरी करने के कारण सैनिकों ने तुम दोनों को पकड़ लिया और कारागार में कैद कर दिया। उन लोगों ने तुम्हें और तुम्हारे पति को भोजन भी नहीं दिया। 

इस प्रकार नवरात्रि के दिनों में तुमने न तो कुछ खाया और न ही जल पिया, अतः तुम्हें नौ दिनों तक नवरात्रि व्रत का फल प्राप्त हुआ। 

हे ब्राह्मणी, उन दिनों अनजाने में जो व्रत किया गया था, उस व्रत के प्रभाव से प्रसन्न होकर आज मैं तुम्हें मनोवांछित वरदान दे रही हूँ। 

कन्या ने कहा कि यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो कृपया मेरे पति का कोढ़ दूर कर दीजिए। 

माता ने कन्या की यह इच्छा शीघ्र पूरी कर दी। माँ भगवती की कृपा से उसके पति का शरीर रोग मुक्त हो गया।

 

कथा 3 - नवरात्रि व्रत कथा - रामायण कथा 

रामायण के एक प्रसंग के अनुसार भगवान श्री राम, लक्ष्मण, हनुमान और पूरी वानर सेना ने आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक नौ दिनों तक मां शक्ति की आराधना की और दशमी तिथि को लंका पर आक्रमण कर दिया।

इस तरह नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा का प्रचलन शुरू होने के पीछे कई कहानियां हैं, जिसके बाद से नवरात्रि का त्योहार शुरू हुआ और मां दुर्गा की पूजा की जाने लगी।

 

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