पिठोरी अमावस्या कथा हिंदी में | Pithori amavasya katha in Hindi -
पिठोरी अमावस्या कथा हिंदी में | Pithori amavasya katha in Hindi
इस अमावस्या व्रत की कथा के अनुसार बहुत समय पहले की बात है।
एक परिवार में सात भाई थे। सभी विवाहित थे। सभी के छोटे-छोटे बच्चे भी थे।
परिवार की खुशहाली के लिए सातों भाइयों की पत्नियां पिठोरी अमावस्या का व्रत रखना चाहती थीं।
लेकिन जब बड़े भाई की पत्नी ने पहले वर्ष व्रत रखा तो उसके बेटे की मृत्यु हो गई। दूसरे वर्ष एक और बेटे की मृत्यु हो गई। सातवें वर्ष भी यही हुआ।
तब बड़े भाई की पत्नी ने इस बार अपने मृत बेटे के शव को कहीं छिपा दिया।
गांव की कुल देवी मां पोलेरम्मा उस समय गांव के लोगों की रक्षा के लिए पहरा दे रही थीं। जब उन्होंने इस दुखी मां को देखा तो उन्होंने इसका कारण जानना चाहा।
तब बड़े भाई की पत्नी ने देवी पोलेरम्मा को पूरी कहानी सुनाई तो देवी को उस पर दया आ गई। देवी पोलेरम्मा ने दुखी मां से कहा कि वह अपने बेटों के अंतिम संस्कार वाले सभी स्थानों पर हल्दी छिड़कें।
तब बड़े भाई की पत्नी ने वैसा ही किया। जब वह घर लौटी तो अपने सातों पुत्रों को जीवित देखकर बहुत प्रसन्न हुई।
तब से उस गांव की हर मां अपने बच्चों की लंबी आयु की कामना के साथ पिठोरी अमावस्या का व्रत रखने लगी।
इस दिन यह कथा सुनी और पढ़ी जाती है।
उत्तर भारत में यह पर्व पिठोरी अमावस्या के नाम से देवी दुर्गा की पूजा करके मनाया जाता है,
जबकि दक्षिण भारत में यह पर्व पोलाला अमावस्या के नाम से देवी पोलेरम्मा की पूजा करके मनाया जाता है, जिन्हें देवी दुर्गा का ही एक रूप माना जाता है।
पिठोरी अमावस्या पूजा विधि | Pithori amavasya puja vidhi
- पिठोरी अमावस्या के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और आटा गूंथकर और आटे से प्रतिमा बनाकर मां दुर्गा समेत 64 देवियों की पूजा करती हैं।
- इस दिन आटे से बनी देवी-देवताओं की पूजा होने के कारण लोगों में यह दिन पिठोरी अमावस्या के नाम से प्रचलित है
- पौराणिक शास्त्रों में भाद्रपद अमावस्या के दिन कुशा एकत्र करने की मान्यता है।
- इसे पिथौरा, कुशोत्पाटनी, कुशग्रहणी अमावस्या आदि नामों से भी जाना जाता है।
- इस दिन विवाहित महिलाएं व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ और देवी दुर्गा की पूजा करती हैं।
- पितरों की संतुष्टि, पिंडदान, तर्पण और वंश वृद्धि के लिए यह दिन अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
- अमावस्या की शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाकर पितरों को याद करने और भगवान शिव व शनिदेव की पूजा करने से जीवन में हर तरफ से लाभ मिलता है।
पिठौरी अमावस्या का महत्व
- पिठौरी अमावस्या को श्रावणी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन सांडों की लड़ाई भी मनाई जाती है।
- इस दिन का विशेष महत्व माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन पितरों को तर्पण देने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
- इस दिन श्रीहरि भगवान विष्णु की पूजा करने से बड़ी-बड़ी परेशानियां भी दूर हो जाती हैं।
- इस दिन पिंपल वृक्ष की पूजा करने से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- पिठौरी अमावस्या के दिन गंगा नदी में स्नान करने से पापों का प्रायश्चित होता है।
 
    