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हरतालिका आरती | Hartalika aarti in hindi | हरतालिका व्रत आरती

Published By: bhaktihome
Published on: Tuesday, August 27, 2024
Last Updated: Tuesday, August 27, 2024
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Table of contents

Hartalika aarti (हरतालिका आरती) / हरतालिका व्रत आरती: हरतालिका आरती में देवी पार्वती और भगवान  शिव जी की आरती गायी जाती है आप किसी भी क्रम में आरती कर सकते हैं । आप पहले देवी पार्वती और फिर भगवान शिव जी की आरती कर सकते हैं या पहले भगवान शिव और फिर देवी पार्वती की आरती भी कर सकते हैं

हरतालिका तीज व्रत के अवसर पर देवी पार्वती और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए नीचे दी गयी 2 आरती का गायन करें।

Hartalika aarti in Hindi (हरतालिका आरती)

 

पार्वती माता आरती

जय पार्वती माता जय पार्वती माता

ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल कदा दाता।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता

जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा

देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता

हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

 

शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता

सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

 

सृष्ट‍ि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता

नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

 

देवन अरज करत हम चित को लाता

गावत दे दे ताली मन में रंगराता। 

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता

सदा सुखी रहता सुख संपति पाता।

जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता।

 

भगवान शिव आरती

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।

कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

 

आरती के बाद पढ़ें कर्पूरगौरं मंत्र पढ़ें 

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।

सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।

 

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