विश्वकर्मा जी की आरती, Vishwakarma ji ki Aarti: भगवान विश्वकर्मा को देव शिल्पी कहा जाता है। उन्हें ब्राह्मणों का सबसे बड़ा शिल्पकार कहा जाता है। विश्वकर्मा पूजा के दिन कारखानों में मशीनों और कलपुर्जों की पूजा की जाती है।
पूजा के बाद भगवान विश्वकर्मा की आरती करना बहुत जरूरी है। इस दिन लोगों को अपने कार्यस्थल पर आसान तरीके से पूजा करनी चाहिए। विश्वकर्मा जी की आरती (Vishwakarma Ji Ki Aarti) यहां पढ़ें।
विश्वकर्मा जी की आरती (Vishwakarma Ji Ki Aarti)
ॐ जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता, रक्षक श्रुति धर्मा॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा
आदि सृष्टि में विधि को श्रुति उपदेश दिया।
जीव मात्रा का जग में, ज्ञान विकास किया॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नहीं पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर, दूर दुःख कीना॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा
जब रथकार दंपति, तुम्हरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत हरी सगरी॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज, सकल रूप सजे॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शक्ति पावे॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा
“श्री विश्वकर्मा जी” की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानंद स्वामी, सुख संपति पावे॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा
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