Krishna chhathi kab hai, भगवान कृष्ण की छठी कब है, कृष्ण छठी कब है: हिंदू धर्म के अनुसार जब घर में किसी बच्चे का जन्म होता है तो उसके छह दिन (6 दिन ) बाद छठी मनाई जाती है।
श्री कृष्ण के जन्मोत्सव (Krishna Janmashtami - कृष्ण जन्माष्टमी) के ठीक 6 दिन बाद उनकी छठी भी बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है।
भगवान बाल गोपाल की छठी भी पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। आइए जानते हैं इस साल श्री कृष्ण की छठी कब मनाई जाएगी। इसके साथ ही जान मुहूर्त, महत्व और अन्य जानकारी।
Krishna chhathi kab hai | भगवान कृष्ण की छठी कब है | कृष्ण छठी कब है?
हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है।
देशभर में 26 और 27 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया गया है। इसके 6 दिन बाद छठी मनाई जाएगी।
इस हिसाब से इस साल 2024 को श्री कृष्ण की छठी 1 सितंबर को मनाई जाएगी।
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श्रीकृष्ण की छठी तिथि पर शुभ योग बन रहा है
इस साल श्रीकृष्ण छठी के दिन आश्लेषा नक्षत्र और मघा नक्षत्र के साथ परिघ और शिव योग भी बन रहा है।
इसके साथ ही सूर्य सिंह राशि में विराजमान रहेगा और चंद्रमा भी इसी राशि में आएगा।
ऐसे में इस दौरान कान्हा की पूजा करने से कई गुना अधिक फल प्राप्त किया जा सकता है।
श्री कृष्ण छठी 2024 का महत्व - Krishna chhathi significance
- हिंदू मान्यताओं के अनुसार, जब किसी घर में नवजात बच्चे का जन्म होता है तो उसके छह दिन बाद छठी मनाई जाती है
- इस दिन षष्ठी देवी की विधिवत पूजा की जाती है और अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाती है।
- आपको बता दें कि षष्ठी देवी संतान की अधिष्ठात्री देवी हैं। उनकी कृपा से राजा प्रियव्रत का मृत पुत्र पुनर्जीवित हो गया।
- यही कारण है कि छठा दिन इस देवी की पूजा का है।
श्री कृष्ण छठी पे क्या भोग लगाएँ
- श्री कृष्ण छठी पर कान्हा को कढ़ी-चावल बनाकर भोग लगाया जाता है।
छठी मंत्र
नमो देव्यै महादेव्यै सिद्ध्यै शांत्यै नमो नमः ।
शुभायै देवसेनायै षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥ 1 ॥
वरदायै पुत्रदायै धनदायै नमो नमः ।
सुखदायै मोक्षदायै षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥ 2 ॥
श्री कृष्ण छठी कैसे मनाएं ?
- छठी के दिन लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है।
- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए।
- चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर भगवान को विराजमान करें।
- इसके बाद लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान कराएं और नए वस्त्र स्थापित करें। इसके बाद भगवान को पीले चंदन या रोली का तिलक लगाएं।
- साथ ही फूल माला भी चढ़ाएं. दीपक जलाएं और आरती करें. माखन मिश्री और करी चावल का आनंद लें।
- इसके बाद लोगों में प्रसाद बांटें।
- अब भगवान से जीवन में सुख-समृद्धि की वृद्धि के लिए प्रार्थना करें।