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Top 20 - गुरु के दोहे अर्थ सहित | Teachers day dohe in hindi | Happy teachers day quotes

Published By: bhaktihome
Published on: Thursday, September 5, 2024
Last Updated: Thursday, September 5, 2024
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Teachers day dohe in hindi
Table of contents

Teachers day dohe in hindi (गुरु के दोहे अर्थ सहित): Here we are presenting top Teachers day dohe in hindi with meaning.

व्यक्ति की सफलता का श्रेय उसके गुरु को जाता है। गुरु के ज्ञान के प्रकाश से ही अज्ञानता का अंधकार दूर होता है और व्यक्ति सफलता प्राप्त करता है। गुरु ही सफल जीवन की नींव रखते हैं। इसलिए गुरु के ज्ञान के बिना सफल जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती।

Lets explore Teachers day dohe in hindi (गुरु के दोहे अर्थ सहित).

Teachers day dohe in hindi (गुरु के दोहे अर्थ सहित)

 

1 - गुरु समान दाता नहीं, याचक शीष समान

 

गुरु समान दाता नहीं, याचक शीष समान।
तीन लोक की सम्पदा, सो गुरु दीन्ही दान॥

(गुरु के दोहे अर्थ सहित) अर्थ:  गुरु के समान कोई दाता नहीं है और शिष्य के समान कोई याचक नहीं है। गुरु ने जो ज्ञान और दान दिया वो तीनों लोकों की सम्पत्ति से भी बड़ा है।

 

2 - गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागू पाय। 

 

गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागू पाय। 
बलिहारी गुरु आपणै, गोविन्द दियो बताय।।

कबीर दास के अनेक दोहों में से यह सबसे लोकप्रिय दोहा है। इसमें कबीर गुरु के महत्व को समझाते हुए कहते हैं कि

(गुरु के दोहे अर्थ सहित) अर्थ: गुरु के समान जीवन में कोई शुभचिंतक नहीं है। गुरु ही ईश्वर का ज्ञान देने वाला होता है। अगर किसी व्यक्ति को गुरु का आशीर्वाद मिल जाए तो वह पल भर में इंसान से देवता बन जाता है।

 

3 - गुरु को सिर राखिये, चलिये आज्ञा माहिं


गुरु को सिर राखिये, चलिये आज्ञा माहिं।
कहैं कबीर ता दास को, तीन लोकों भय नाहिं॥

(गुरु के दोहे अर्थ सहित) अर्थ: गुरु को अपने सिर का मुकुट समझो और उनकी आज्ञा का पालन करो। कबीर कहते हैं कि जो शिष्य या सेवक यह कार्य करते हैं, उन्हें तीनों लोकों का भय नहीं रहता।

 

4 - गुरु की आज्ञा आवै, गुरु की आज्ञा जाय।

 

गुरु की आज्ञा आवै, गुरु की आज्ञा जाय।
कहैं कबीर सो संत हैं, आवागमन नशाय॥

(गुरु के दोहे अर्थ सहित) अर्थ: अपने दैनिक जीवन में भी साधु को अपने गुरु की आज्ञा के अनुसार ही आना-जाना चाहिए। संत कबीर कहते हैं कि साधु वह है जो जन्म-मरण से पार होने के लिए साधना करता है।

 

5 - कबीर हरि के रूठते, गुरु के शरण जाय। 

 

कबीर हरि के रूठते, गुरु के शरण जाय। 

कहे कबीर गुरु रूठते, हरि नहीं होत सहाय।।

कबीर दास जी इस दोहे में गुरु की महिमा गाते हुए कहते हैं कि

(गुरु के दोहे अर्थ सहित) अर्थ: अगर कभी भगवान नाराज हो जाएं तो मदद के लिए अपने गुरु के पास जाएं। क्योंकि गुरु आपकी मदद करेंगे और आपको हरि को प्रसन्न करने का तरीका बताएंगे। लेकिन अगर गुरु नाराज हो गए तो भगवान भी आपकी मदद नहीं करेंगे।

 

6 - गुरु पारस को अन्तरो, जानत हैं सब सन्त।

 

गुरु पारस को अन्तरो, जानत हैं सब सन्त।
वह लोहा कंचन करे, ये करि लये महन्त॥

(गुरु के दोहे अर्थ सहित) अर्थ: गुरु और पारस पत्थर में फर्क होता है, यह तो सभी जानते हैं। पारस तो लोहे को ही सोना बना देता है। लेकिन गुरु अपने शिष्य को अपने जैसा महान बना देता है।

 

7 - हम भी पांहन पूजते, होते रन के रोझ।

 

हम भी पांहन पूजते, होते रन के रोझ।

सतगुरु की कृपा भई, डार्या सिर पैं बोझ॥

(गुरु के दोहे अर्थ सहित) अर्थ: कबीर कहते हैं कि यदि मुझे सद्गुरु की कृपा न मिली होती तो मैं पत्थरों की पूजा करता और नीलगाय की तरह जंगल में भटकता रहता, तीर्थ स्थानों में भटकता रहता। सद्गुरु की कृपा से ही मेरे सिर से आडम्बर का बोझ उतर गया।

 

8 - अड़सठ तीरथ गुरु चरण, परवी होत अखंड।

 

अड़सठ तीरथ गुरु चरण, परवी होत अखंड।

सहजो ऐसो धामना, सकल अंड ब्रह्मंड॥

(गुरु के दोहे अर्थ सहित) अर्थ:  सद्गुरु के चरणों में सभी अड़सठ तीर्थ निवास करते हैं, अर्थात उनके चरण अड़सठ तीर्थों के समान पवित्र और पूज्य हैं। उनके पुण्य सबसे पवित्र हैं। इस पूरे संसार में ऐसा कोई धाम या तीर्थ नहीं है जो सद्गुरु के चरणों में न हो।

 

9 - गुरुवचन हिय ले धरो, ज्यों कृपणन के दाम।

 

गुरुवचन हिय ले धरो, ज्यों कृपणन के दाम।

भूमिगढ़े माथे दिये, सहजो लहै न राम॥

अर्थ: सहजो कहती है कि सद्गुरु के वचनों को सुन्दर सुगन्धित पुष्पों की माला की तरह हृदय में धारण करना चाहिए। अत्यंत विनम्रता रखकर तथा सद्गुरु के वचनों को प्रसन्नतापूर्वक अपनाकर मनुष्य ईश्वर को प्राप्त कर सकता है।

 

10 - सतगुरु हम सूँ रीझि करि, एक कह्या प्रसंग।

 

सतगुरु हम सूँ रीझि करि, एक कह्या प्रसंग।

बरस्या बादल प्रेम का, भीजि गया सब अंग॥

(गुरु के दोहे अर्थ सहित) अर्थ:  मुझसे प्रसन्न होकर सद्गुरु ने बहुत ही रोचक प्रवचन सुनाया जिससे प्रेम रूपी अमृत बरसने लगा और मेरे शरीर का हर अंग उस अमृत से भीग गया।

 

11 - गुरु सो ज्ञान जु लीजिये, सीस दीजये दान।

 

गुरु सो ज्ञान जु लीजिये, सीस दीजये दान।
बहुतक भोंदू बहि गये, सखि जीव अभिमान॥

(गुरु के दोहे अर्थ सहित) अर्थ: गुरु के चरणों में अपना शीश अर्पित करके उनसे ज्ञान प्राप्त करो, परंतु इस उपदेश का पालन न करके तथा अपने शरीर, धन आदि का अभिमान करके कितने ही मूर्ख संसार से भटक गए और उन्हें गुरु के चरणों तक पहुंचने का अवसर ही नहीं मिला।

 

12 - सतगुर की महिमा अनंत, अनंत किया उपकार

 

सतगुर की महिमा अनंत, अनंत किया उपकार।

लोचन अनंत उघाड़िया, अनंत दिखावण हार॥

(गुरु के दोहे अर्थ सहित) अर्थ:  ज्ञान के आलोक से संपन्न सद्गुरु की महिमा असीमित है। उन्होंने मेरा जो उपकार किया है वह भी असीम है। उसने मेरे अपार शक्ति संपन्न ज्ञान-चक्षु का उद्घाटन कर दिया जिससे मैं परम तत्त्व का साक्षात्कार कर सका। ईश्वरीय आलोक को दृश्य बनाने का श्रेय महान गुरु को ही है।

 

13 - परम दया करि दास पै, गुरु करी जब गौर

 

परम दया करि दास पै, गुरु करी जब गौर।

रसनिधि मोहन भावतौ, दरसायौ सब ठौर॥

(गुरु के दोहे अर्थ सहित) अर्थ:जब गुरुदेव ने अपने इस दास पर बड़ी भारी दया कर के कुछ ध्यान दिया तो सभी स्थानों में अर्थात सृष्टि के अणु-अणु में उस परम प्रिय श्रीकृष्ण का दर्शन दिया।

 

14 - सब धरती कागज करूँ, लिखनी सब बनराय

सब धरती कागज करूँ, लिखनी सब बनराय,
सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाय।

(गुरु के दोहे अर्थ सहित) अर्थ: यदि सम्पूर्ण पृथ्वी को कागज, सभी जंगलों को कलम तथा सातों समुद्रों को स्याही में बदल दिया जाए, तो भी गुरु के गुणों को नहीं लिखा जा सकता।

 

15 - ज्ञान समागम प्रेम सुख, दया भक्ति विश्वास

ज्ञान समागम प्रेम सुख, दया भक्ति विश्वास,
गुरु सेवा ते पाइए, सद् गुरु चरण निवास।

(गुरु के दोहे अर्थ सहित) अर्थ: ज्ञान, संतों का मिलन, सबके प्रति प्रेम, निर्लिप्त सुख, दया, भक्ति, सच्चा स्वरूप और सच्चे गुरु की शरण में निवास - ये सब गुरु की सेवा से प्राप्त होते हैं।

 

16 - कुमति कीच चेला भरा,  गुरु ज्ञान जल होय

कुमति कीच चेला भरा , गुरु ज्ञान जल होय,
जनम जनम का मोरचा,  पल में डारे धोय।

(गुरु के दोहे अर्थ सहित) अर्थ: शिष्य के अन्दर बुरी बुद्धि का कीचड़ भरा हुआ है, गुरु का ज्ञान उसे धोने वाला जल है। गुरुदेव अनेक जन्मों की बुराइयों को क्षण भर में नष्ट कर देते हैं।

 

17 - जो गुरु बसै बनारसी, शीष समुन्दर तीर 

जो गुरु बसै बनारसी, शीष समुन्दर तीर,
एक पलक बिखरे नहीं, जो गुण होय शारीर ।

(गुरु के दोहे अर्थ सहित) अर्थ:  यदि गुरु वाराणसी में रहते हों और शिष्य समुद्र के पास हो, लेकिन शिष्य के शरीर में गुरु के गुण हों, तो वह एक क्षण के लिए भी गुरु को नहीं भूलेगा।

 

18 - गुरु ग्रंथन का सार है, गुरु है प्रभु का नाम

गुरु ग्रंथन का सार है, गुरु है प्रभु का नाम,
गुरु अध्यात्म की ज्योति है, गुरु है चारों धाम।

(गुरु के दोहे अर्थ सहित) अर्थ: गुरु ग्रन्थों का सार हैै, गुरु का नाम प्रभु है, गुरु अध्यात्म की ज्योति है, गुरु चारों धाम है।

 

19 - मूल ध्यान गुरू रूप है,  मूल पूजा गुरू पाव 

मूल ध्यान गुरू रूप है, मूल पूजा गुरू पाव 
मूल नाम गुरू वचन है, मूल सत्य सतभाव ।

(गुरु के दोहे अर्थ सहित) अर्थ: मूल ध्यान गुरु का स्वरूप है, मूल पूजा गुरु के चरण हैं। मूल नाम गुरु के शब्द हैं, मूल सत्य सच्ची भावना है।

 

20 - गीली मिट्टी अनगढ़ी, हमको गुरुवर जान

गीली मिट्टी अनगढ़ी, हमको गुरुवर जान,
ज्ञान प्रकाशित कीजिए, हम समर्थ बलवान।

(गुरु के दोहे अर्थ सहित) अर्थ: गीली मिट्टी तो अरूप है, मुझे अपना गुरु जानो, मुझे अपने ज्ञान से प्रकाशित करो, मैं समर्थ और बलवान हूँ।

 

आशा करते हैं की आपको गुरु के दोहे अर्थ सहित (Teachers day dohe in hindi ) पसंद आये होंगे ।

 

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