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50+ तुलसी विवाह कोट्स संस्कृत में | Tulsi vivah quotes in sanskrit

Published By: bhaktihome
Published on: Tuesday, November 12, 2024
Last Updated: Tuesday, November 12, 2024
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Table of contents

Tulsi vivah quotes in sanskrit - Tulsi Vivah is a revered Hindu festival that symbolizes the divine union of Tulsi Mata and Lord Vishnu, celebrated with great devotion and joy. 

Tulsi vivah quotes in sanskrit - Best way to express

To honor this auspicious occasion, we present some beautiful Tulsi Vivah quotes in Sanskrit that reflect the sanctity, devotion, and blessings associated with this celebration. Each quote captures the essence of Tulsi Mata’s spiritual significance, invoking purity, protection, and prosperity in the lives of devotees. These Sanskrit verses offer a timeless way to express reverence and devotion on this blessed day, resonating with peace and divine grace. 🌿🌸

Tulsi vivah quotes in sanskrit | तुलसी विवाह कोट्स संस्कृत में

तुलसी विवाह हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ अवसर है, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन को तुलसी माता और भगवान विष्णु के विवाह के रूप में मनाया जाता है, जो भक्तों के जीवन में पवित्रता, सुख, शांति, और समृद्धि लाने का प्रतीक है। 

तुलसी विवाह की यह परंपरा हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न अंग है, जो प्रेम, भक्ति, और आस्था को प्रकट करती है। इस शुभ अवसर पर श्रद्धालु तुलसी माता और भगवान विष्णु की पूजा कर उनसे अपने परिवार और समाज की उन्नति के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। 🌿🌸

  1. 🌿 तुलसीदेवी नमस्तुभ्यं विष्णुप्रीतिकरि शुभे।
    नमस्ते नारदनुते नारायणमनःप्रिये॥
    तव पवित्रेण संसर्गे पुण्यं दानं समाप्यते॥

     

  2. 🌸 तुलसी कृष्णवल्लभे पापहारिणि पुण्यदे।
    नमस्ते नारदनुते नारायणमनःप्रिये॥
    महापातकदोषं च नाशयामि सदा नमः॥

     

  3. 🌺 वृन्दा वृन्दावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
    पुष्पसार त्वया तुल्या पवित्रे तु न विद्यते॥
    साक्षात् श्रीहरिप्रियायै नमः श्रीतुलस्यै नमः॥

     

  4. 🌸 तुलसी श्रीमहापुण्ये पापहारिणि पुण्यदे।
    विष्णुं प्रिये प्रपन्नं मां देहि भक्तिं हरेः सदा॥
    वृन्दायै तुलसीदेव्यै प्रियायै केशवस्य च॥

     

  5. 🌿 नमो नमस्ते तुलसी महाप्रभे विष्णोः प्रिया लक्ष्मणधारिणि त्वम्।
    सर्वत्र पूज्ये सुमनःसु पूजिता भक्तिप्रदा विष्णुप्रियाय नमः॥

     

  6. 🌺 वृन्दायै तुलसीदेव्यै प्रियायै केशवस्य च।
    कृष्णभक्ति प्रदे देवि सत्यवत्यै नमो नमः॥
    सर्वपापहरायै ते नमः श्रीतुलसी नमः॥

     

  7. 🌸 यया दृष्टा शिवः सौम्यः विष्णुः श्रीहरिप्रियः।
    यया स्पृष्टा वयं पवित्राः सदा भवेम शुद्धताम्॥

     

  8. 🌿 सर्वपापहरं त्वां च भक्तिं हरेः सदा कुरु।
    तुलसी त्वं नमस्तुभ्यं विष्णुप्रीतिकरि शुभे॥

     

  9. 🌺 तुलसी महापुण्ये सर्वतीर्थे शुभांघ्रिके।
    त्वया तुल्यं न पश्यामि यज्ञदानतपः प्रभो॥

     

  10. 🌸 तुलसीप्रिये देवि विष्णुप्रिया हरिप्रिये।
    नमः श्रीहरिप्रियायै कृष्णभक्ति प्रदे सदा॥

     

  11. 🌿 अर्चिते सर्वभूतेषु तुलसि तव सन्निधौ।
    सर्वपापहरं पुण्यं सर्वसौख्यमनुत्तमम्॥

     

  12. 🌸 शुभे पुण्ये नमस्तेस्तु सर्वपापप्रणाशिनि।
    विष्णोः प्रियामि तुलसि भक्तानामभिवर्धये॥

     

  13. 🌿 तुलसी त्वं महाभागे नमः श्रीहरिप्रियायै।
    सर्वपापं हरन्तु त्वं भक्तिं दद्याः सदा हरेः॥

     

  14. 🌺 तुलसी श्रीमहापुण्ये पवित्रे विश्वपावने।
    वृन्दा तुलसीसर्वे पूज्यते त्वां नमो नमः॥

     

  15. 🌸 तुलसी विष्णुं प्रिये सर्वतीर्थे शुभे सदा।
    तव नाम्ना तु पवित्रं च भक्तिं विष्णोः प्रदास्यसि॥

     

  16. 🌿 शुभे पुण्ये नमस्तेस्तु सदा त्वं भक्तिवर्धिनी।
    हरिप्रिये नमस्तुभ्यं सर्वपापप्रणाशिनी॥

     

  17. 🌺 वृन्दावनेश्वरी देवी विष्णुप्रियास्यते त्वयि।
    सर्वेषु पूजिते साक्षात् भक्त्यां नित्यं तिष्ठति॥

     

  18. 🌸 तुलसी त्वं नमस्तुभ्यं सर्वपापप्रणाशिनी।
    विष्णुप्रियासि भक्त्यां च भक्तिसंयुक्तं कुरु॥

     

  19. 🌿 तुलसी महापुण्ये सर्वपापप्रणाशिनी।
    विष्णुः प्रियायै त्वां वंदे सदा भक्तिप्रदा भव॥

     

  20. 🌺 तुलसी हरिप्रिये भक्तिप्रदानं कुरु सदा।
    कृष्णभक्ति प्रदे देवि नमः श्रीहरिप्रियायै॥

     

  21. 🌸 तुलसी श्रीहरिप्रियासि सर्वतीर्थे महाप्रभे।
    तव पवित्रेण संसर्गे पुण्यं कर्म समर्प्यते॥

     

  22. 🌿 तुलसी प्रिये भक्त्या नित्यं विष्णुप्रियाय च।
    तव कृपा भक्तिप्रदा हरिप्रियासि नमो नमः॥

     

  23. 🌺 श्रीहरिप्रिय तुलसी त्वं नमः श्रीमहाप्रभे।
    विष्णुप्रियासि भक्त्या भक्तानां वरदा भव॥

     

  24. 🌸 तुलसी सर्वतीर्थेषु नमः श्रीहरिप्रियासि च।
    प्रसन्ना भव भक्त्यां च भक्तानां सुखवर्धिनी॥

     

  25. 🌿 तुलसी त्वं नमस्तुभ्यं सर्वपापप्रणाशिनी।
    विष्णोः प्रिये भक्तिं मे देहि भक्त्यं हरेः सदा॥

     

  26. 🌿 तुलसी महापुण्ये सर्वपापप्रणाशिनी।
    हरिप्रियायै नमस्तुभ्यं भक्तिप्रदायै च सदा॥

     

  27. 🌸 विष्णुप्रिये नमस्तुभ्यं सर्वपापप्रणाशिनी।
    तुलसी त्वं सदा पूज्या विष्णुभक्तिप्रदा भव॥

     

  28. 🌺 तुलसी हरिप्रिये पुण्ये सर्वतीर्थे नमोस्तु ते।
    तव भक्त्या हरेर्भक्तिः शुद्धतां दद्यात् सदा॥

     

  29. 🌷 तुलसी त्वं महापुण्ये विष्णुप्रिया सदा भव।
    त्वत्कृपया भक्तिस्ते भक्तानां सुखवर्धिनी॥

     

  30. 🌞 वृन्दा वृन्दावनी देवी सर्वपापप्रणाशिनी।
    विष्णुप्रियासि भक्तानां भक्तिं कुरु सदा मम॥

     

  31. 🌸 तुलसी महापुण्ये सर्वपापप्रणाशिनी।
    विष्णोः प्रिये नमस्तुभ्यं भक्तिप्रदायिनी भव॥

     

  32. 🌿 तुलसी श्रीहरिप्रियासि सर्वतीर्थे महाप्रभे।
    तव कृपा भक्तानां सुखं सौख्यं वर्धयेत् सदा॥

     

  33. 🌺 वृन्दावनेश्वरी देवी विष्णुप्रियासि सर्वदा।
    तव दर्शनं सदा भक्तानां कृपा संपूर्णदा भव॥

     

  34. 🌞 तुलसी त्वं महापुण्ये सर्वतीर्थे नमोस्तु ते।
    विष्णुभक्तिप्रदानाय सर्वमंगलप्रदा भव॥

     

  35. 🌸 तुलसी हरिप्रियायै ते नमः श्रीमहाप्रभे।
    भक्तिनिर्मलतां देहि शुद्धां च भावसंयुक्ताम्॥

     

  36. 🌿 तुलसी त्वं नमस्तुभ्यं विष्णुप्रिया सदा भव।
    विष्णुभक्तिं ददासि त्वं भक्तानां सुखप्रदा सदा॥

     

  37. 🌷 तुलसी महापुण्ये सर्वपापहरप्रिये।
    तव दर्शनं संपूर्णं भक्तानां सुखवर्धनम्॥

     

  38. 🌞 तुलसी श्रीहरिप्रियासि भक्तिनिर्मलतां दद।
    विष्णोः प्रिये त्वं नित्यं भक्तानां मोक्षदा भव॥

     

  39. 🌸 तुलसी त्वं महाभागे सर्वपापप्रणाशिनी।
    विष्णुप्रिया हरिप्रिये भक्तानां सुखवर्धिनी॥

     

  40. 🌿 विष्णुप्रिया त्वं तुलसी भक्तिनिर्मलता दद।
    तव कृपा भक्तानां सर्वसौख्यप्रदा भव॥

     

  41. 🌺 तुलसी श्रीमहापुण्ये सर्वपापप्रणाशिनी।
    विष्णोः प्रिये त्वं भक्तानां भक्त्यां सुखप्रदा भव॥

     

  42. 🌷 वृन्दावनेश्वरी देवी सर्वपापप्रणाशिनी।
    विष्णुप्रियासि भक्तानां भक्त्यां शुद्धां दद सदा॥

     

  43. 🌞 तुलसी श्रीहरिप्रिये सर्वपापप्रणाशिनी।
    तव कृपा भक्तानां सुखवर्धिनी सदा भव॥

     

  44. 🌸 तुलसी महापुण्ये सर्वपापप्रणाशिनी।
    तव दर्शनं नित्यं भक्तानां शुद्धं भावयेत्॥

     

  45. 🌿 तुलसी श्रीहरिप्रिये भक्तिनिर्मलतां कुरु।
    तव कृपा भक्तानां सर्वमंगलप्रदा भव॥

     

  46. 🌺 तुलसी त्वं नमस्तुभ्यं विष्णोः प्रिये सदा भव।
    तव कृपा भक्तानां सुखप्रदा मोक्षदा भव॥

     

  47. 🌷 विष्णुप्रिया त्वं तुलसी सर्वपापप्रणाशिनी।
    तव भक्त्या भक्तानां सर्वसौख्यं दद सदा॥

     

  48. 🌞 तुलसी महापुण्ये सर्वपापहरप्रिये।
    तव कृपा भक्तानां शुद्धभावं संपूर्णं दद॥

     

  49. 🌸 तुलसी श्रीमहापुण्ये भक्तिनिर्मलता दद।
    विष्णोः प्रिये त्वं भक्तानां सुखप्रदा सदा भव॥

     

  50. 🌿 तुलसी त्वं नमस्तुभ्यं सर्वपापप्रणाशिनी।
    विष्णुप्रिया भक्त्यां नित्यं भक्तानां सुखवर्धिनी॥

 

These Sanskrit verses celebrate the grace and blessings of Tulsi Mata on the auspicious occasion of Tulsi Vivah, enhancing devotion, purity, and divine love for all devotees. 🌿💖

These Sanskrit quotes reflect the devotion and reverence towards Tulsi Mata during Tulsi Vivah and encapsulate blessings, purification, and grace for all devotees. 🌸🌿

 

 

 

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