Bhai dooj puja vidhi in hindi, भाई दूज पूजा विधि - भाई दूज, जिसे भाई-बीज भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति का एक विशेष त्योहार है जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मनाने के लिए मनाया जाता है। भाई दूज या यम द्वितीया दिवाली के तीसरे दिन मनाई जाती है। यह त्यौहार यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ा हुआ है। यह त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाता है। भाई दूज को संस्कृत में भगिनी हस्त भोजन कहा जाता है।
कर्नाटक में इसे सौदारा बिदिगे के नाम से जाना जाता है, जबकि बंगाल में भाई दूज को भाई फोटा के नाम से जाना जाता है। गुजरात में इसे भाऊ या भाई-बीज कहा जाता है, महाराष्ट्र में इसे भाऊ बीज कहा जाता है और अधिकांश राज्यों में इसे भाई दूज कहा जाता है। भारत के बाहर नेपाल में इसे भाई टीका कहा जाता है। मिथिला में इसे यम द्वितीया के रूप में मनाया जाता है।
भाई दूज पूजा विधि | Bhai dooj puja vidhi in Hindi
यह त्योहार हर साल दीपावली के बाद द्वादशी तिथि को मनाया जाता है, जब बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए विशेष पूजा करती हैं। भाई दूज पूजा विधि में विभिन्न रस्में और अनुष्ठान शामिल होते हैं, जो इस अवसर की महत्ता को बढ़ाते हैं।
इस लेख में, हम भाई दूज पूजा विधि के सभी चरणों को विस्तार से समझेंगे, ताकि आप इस विशेष दिन को प्रेम और श्रद्धा के साथ मनाने के लिए तैयार हो सकें। जानें कि कैसे आप अपने भाई के लिए एक विशेष और यादगार भाई दूज समारोह आयोजित कर सकते हैं।
Bhai Dooj Puja Vidhi - भाई दूज पूजा विधि -1 - Short & Simple
- इस दिन भाई-बहनों को सुबह जल्दी उठकर नहाने के पानी में यमुना जल मिलाकर स्नान करना चाहिए।
- फिर बहनों को भगवान से अपने भाई की लंबी उम्र की प्रार्थना करनी चाहिए और विधिवत पूजा करनी चाहिए।
- भाई दूज पूजा की थाली सजाएं। जिसमें कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फूल, फल, मिठाई, गोला, अक्षत और सुपारी रखें।
- सबसे पहले इस थाली को घर के मंदिर में रखें और इसकी विधिवत पूजा करें।
- फिर अपने भाई को साफ चौकी पर बैठाएं।
- इसके बाद सबसे पहले भाई को तिलक लगाएं।
- फिर उस पर कुछ अक्षत लगाएं। उसके दाहिने हाथ में कलावा बांधें।
भाई को टीका लगाते समय ये मंत्र पढ़ें
‘गंगा पूजा यमुना को, यमी पूजे यमराज को। सुभद्रा पूजे कृष्ण को गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें फूले फलें।’
- भाई की आरती उतारें और उसके बाद उसे मिठाई खिलाएं।
- इस दिन बहनों द्वारा अपने भाई को अपने हाथों से बना खाना खिलाना बहुत शुभ माना जाता है।
भाई दूज पूजा विधि 2 - Bhai Dooj Puja Vidhi in Hindi: Steps और रस्मों के साथ
भाई दूज एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भाई-बहन के रिश्ते को मनाने के लिए मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए पूजा करती हैं। यहाँ भाई दूज पूजा विधि के सभी चरण दिए गए हैं:
Step 1. भाई दूज पूजा की तैयारी
- साफ-सुथरा स्थान: पूजा के लिए जगह को साफ करें और उसे सजाएं।
- सामग्री इकट्ठा करें: पूजा के लिए आवश्यक सामान एकत्रित करें:
- एक थाली या प्लेट
- रोली (सिंदूर)
- चावल (अक्षत)
- एक दीपक (तेल का दीपक) और बत्ती
- मिठाइयाँ और नाश्ता
- एक छोटा लाल कपड़ा
- फूल और एक केला या अन्य फल
- एक गिलास पानी
Step 2. भाई दूज पूजा थाली की सजावट | Bhai dooj Puja Thali
- थाली सजाएं: थाली में रोली, चावल, दीपक, मिठाइयाँ और फल रखें। आप कुछ फूल भी डाल सकते हैं।
- टीका तैयार करें: रोली और चावल को मिलाकर टीका बनाएं।
Step 3. भाई दूज की रस्में
A. भाई दूज आरती का प्रारंभ
- दीपक जलाएं: सबसे पहले दीपक जलाएं और उसे थाली में रखें।
- प्रार्थना करें: हाथ उठाकर प्रार्थना करें, भाई-बहन के रिश्ते के लिए आभार व्यक्त करें।
B. भाई दूज टीका Ceremony
- टीका लगाएं: बहन दाहिनी हाथ की अंगूठी की अंगुली से भाई के माथे पर रोली और चावल (टीका) लगाती है।
- मिठाई का भोग: टीका लगाने के बाद बहन भाई को थाली से मिठाई खिलाती है, जो प्रेम और स्नेह का प्रतीक है।
C. भाई की शुभकामनाएं
भाई के लिए प्रार्थना: बहन भाई के दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती है। वह निम्नलिखित मंत्र का जाप कर सकती है:
येन बद्धो बलिः राजा, दानवेंड्रो महाबलः।
तेन त्वां अभिप्रेत्याहम्, भाई दूजेन सञ्जिवामि।
D. उपहारों का आदान-प्रदान
- उपहार दें: भाई अपनी बहन को उपहार या पैसे देते हैं, जो प्यार का प्रतीक है। यह कपड़े, आभूषण, या मिठाइयाँ हो सकती हैं।
Step 4. पूजा समाप्ति
- बहन को मिठाई खिलाएं: भाई भी अपनी बहन को मिठाई खिलाते हैं, जो आपसी सम्मान और प्रेम का प्रतीक है।
- प्रार्थना का समापन: पूजा के समापन पर भाई-बहन एक-दूसरे के लिए प्रार्थना करते हैं।
Step 5. पूजा के बाद की रस्में
- साथ में भोजन करें: पूजा के बाद मिठाइयों और नाश्ते का आनंद लें।
- रक्षा बंधन: कुछ परंपराओं में बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है, हालांकि यह मुख्य रूप से रक्षा बंधन पर किया जाता है।
भाई दूज मंत्र संपूर्ण अर्थ | Bhai Dooj mantra meaning
यह मंत्र भाई दूज के त्योहार पर बहन द्वारा एक सच्चे आभार के साथ किया गया आवाहन है, जिसमें वह अपने भाई की भलाई, दीर्घायु और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती है।
- शक्ति का आवाहन: मंत्र के पहले भाग में बलि का संदर्भ है, जो एक दानव राजा था जिसे भगवान विष्णु द्वारा बंधा गया था। इस शक्तिशाली व्यक्ति का आवाहन करके, बहन अपनी प्रार्थना को दिव्य शक्ति और सुरक्षा से जोड़ती है।
- भाई को आशीर्वाद देना: "तेन त्वां अभि प्रेत्याहम्" का अर्थ है "मैं तुम्हें उस (शक्ति) से आह्वान करता हूँ," जो यह संकेत करता है कि बहन अपने भाई की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना कर रही है।
- भाई दूज का महत्व: अंत में, "भाई दूजेन सञ्जिवामि" यह दर्शाता है कि इस भाई दूज के उत्सव के माध्यम से, वह अपने भाई को जीवन और vitality देने की इच्छा रखती है।
भाई दूज मंत्र संक्षेप में | Bhai Dooj mantra meaning in short
यह मंत्र भाई-बहन के बीच के प्रेम और सुरक्षा के बंधन का प्रतीक है, जिसमें बहन अपने भाई की लंबी उम्र के लिए दिव्य आशीर्वाद की कामना करती है, जैसे भगवान विष्णु ने राजा बलि की रक्षा की थी। यह त्योहारों के दौरान पारिवारिक संबंधों के महत्व और उन रिवाजों को उजागर करता है जो इन बंधनों को मजबूत करते हैं।
भाई दूज कथा | Bhai Dooj Katha | Bhai dooj ki kahani
आइए जानते हैं भाई दूज की पौराणिक कथा।
यमराज और यमुना का जन्म सूर्य देव की पत्नी छाया के गर्भ से हुआ था। यमुना अपने भाई यमराज से अपने घर आकर भोजन करने का अनुरोध करती थी। लेकिन यमराज व्यस्त होने के कारण यमुना के अनुरोध को टाल देते थे।
कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना अचानक यमराज को अपने दरवाजे पर खड़ा देखकर बहुत खुश हुई। प्रसन्न होकर उन्होंने अपने भाई का स्वागत किया और उसे भोजन कराया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने अपनी बहन से वरदान मांगने को कहा।
तब बहन यमुना ने अपने भाई से कहा कि वह प्रतिवर्ष इस दिन उसके यहां भोजन करने आएगी तथा जो बहन इस दिन अपने भाई को तिलक लगाकर भोजन खिलाएगी, उसे यमराज का भय नहीं रहेगा। यमराज ने 'तथास्तु' कहकर यमपुरी को प्रस्थान कर दिया।
इसीलिए ऐसी मान्यता प्रचलित हो गई कि जो भाई इस दिन यमुना में स्नान करके अपनी बहनों का आतिथ्य पूर्ण श्रद्धा से स्वीकार करेंगे, उन्हें और उनकी बहनों को यमराज का भय नहीं रहेगा।
कहा जाता है कि जो भाई-बहन इस दिन यमुनाजी में स्नान करके यह अनुष्ठान करते हैं, उन्हें यमराजजी यमलोक की यातना नहीं देते। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना की पूजा की जाती है।
भाई दूज के दिन भोजन के बाद भाई को पान खिलाने का बहुत महत्व माना जाता है। मान्यता है कि पान खिलाने से बहनों का सौभाग्य अक्षुण्ण रहता है।
महत्वपूर्ण नोट्स
- टीका लगाने के लिए कौन सी अंगुली का प्रयोग करें: भाई दूज पर टीका लगाने के लिए दाहिनी हाथ की अंगूठी की अंगुली का उपयोग किया जाता है।
- आध्यात्मिक महत्व: भाई दूज भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने और प्यार और सुरक्षा को दर्शाने वाला त्योहार है।
इन सभी चरणों का पालन करके आप भाई दूज की पूजा को प्रेम और श्रद्धा के साथ मनाएंगे, जो भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत बनाएगा।