
जितिया व्रत पूजा विधि, jitiya vrat puja vidhi : हिंदू धर्म में जितिया व्रत का विशेष महत्व माना जाता है। महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के साथ यह व्रत रखती हैं। आइये देखते हैं की क्या है जितिया व्रत पूजा विधि।
जितिया व्रत पूजा विधि | Jitiya vrat puja vidhi | Jivitputrika vrat puja vidhi | जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा विधि
जितिया व्रत आश्विन कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को नहाय खाय से शुरू होता है और नवमी तिथि को समाप्त होता है। मुख्य व्रत अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और फिर शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से जितिया की पूजा करती हैं।
आइए आपको बताते हैं जितिया व्रत पूजा विधि ( jitiya vrat puja vidhi ) और जितिया पूजा के लिए किन सामग्रियों की जरूरत पड़ेगी।
जितिया व्रत पूजा विधि (Jitiya vrat puja vidhi) इस प्रकार है।
- जितिया व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा-पाठ करें।
- जीवित्पुत्रिका व्रत करने के लिए महिलाएं सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प ले ।
- पूजा स्थल को गाय के गोबर से लीपकर साफ करें।
- एक छोटा सा तालाब बनाकर उसमें पाकड़ की टहनी डालें ।
- तालाब में भगवान जीमूतवाहन की मूर्ति स्थापित करें। गाय के गोबर से चील और सियार की मूर्ति भी बनाई जाती है।
- इस मूर्ति की धूप, दीप, चावल, रोली, सिंदूर और फूलों से पूजा करें।
- फिर पूरे दिन निर्जला व्रत रखें। शुभ मुहूर्त में जितिया व्रत कथा (जीवित्पुत्रिका व्रत कथा ) सुनें।
- फिर अगले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और उगते सूर्य को जल चढ़ाएं। इसके बाद पूजा-पाठ करके व्रत खोलें।
जितिया व्रत नहाय-खाय विधि और नियम
जितिया व्रत पूजा विधि (Jitiya vrat puja vidhi) में नहाय-खाय विधि और नियम इस प्रकार हैं।
- नहाय-खाय के दिन व्रती महिलाएं सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करती हैं।
- जिन महिलाओं के लिए नदी में स्नान करना संभव नहीं है, वे घर पर ही पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान करती हैं।
- इसके बाद विधि-विधान से पूजा की जाती है।
- पूजा के बाद ही सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है।
- ध्यान रखें कि नहाय-खाय के दिन भूलकर भी लहसुन-प्याज युक्त भोजन न करें।
जितिया पूजा सामग्री | Jitiya puja samagri list
जितिया व्रत पूजा विधि (Jitiya vrat puja vidhi) में ये पूजा सामग्री लें ।
- कुश (जीमूतवाहन की मूर्ति बनाने के लिए), बांस के पत्ते, सरसों का तेल
- गाय का गोबर (चील और सियार की आकृति बनाने के लिए)
- अक्षत (चावल), पेड़ा, दूर्वा की माला, अगरबत्ती
- श्रृंगार का सामान, सिंदूर का फूल,
- पान और सुपारी, लौंग और इलायची, मिठाई, फल, फूल, गाँठ वाला धागा
जितिया व्रत कथा | Jitiya vrat Katha
जितिया व्रत पूजा विधि (Jitiya vrat puja vidhi) में ये कथा सबसे ज्यादा प्रचलित है। जितिया व्रत कथा इस प्रकार है।
गंधर्वों में 'जीमूतवाहन' नाम का एक राजकुमार था। वह भी बड़ा उदार और दानशील था। उसे बहुत कम समय में ही सत्ता मिल गई थी, लेकिन उसने उसे स्वीकार नहीं किया। उसे राजपाट अच्छा नहीं लगता था।
ऐसे में वह राज्य छोड़कर अपने पिता की सेवा करने के लिए वन में चला गया। वहां उसका विवाह मलयवती नाम की राजकुमारी से हुआ। एक दिन वन में घूमते हुए जीमूतवाहन ने एक वृद्ध महिला को रोते हुए देखा।
उसका दुख देखकर उससे रहा नहीं गया और उसने वृद्ध महिला की इस हालत का कारण पूछा।
इस पर वृद्ध महिला ने कहा, 'मैं नागवंश की महिला हूं और मेरा एक ही पुत्र है।
मैंने पक्षीराज गरुड़ के सामने प्रतिदिन भोजन के लिए एक सांप सौंपने की प्रतिज्ञा की है, जिसके अनुसार आज मेरे पुत्र 'शंखचूड़' को भेजने का दिन है। आप ही बताएं, यदि मेरे इकलौते पुत्र की बलि दे दी गई, तो मैं किसके सहारे अपना जीवन व्यतीत करूंगा।
यह सुनकर जीमूतवाहन का हृदय पिघल गया। उसने कहा कि वह उसके पुत्र के प्राणों की रक्षा करेगा। जीमूतवाहन ने कहा कि वह लाल कपड़े से खुद को ढक लेंगे और बलि की शिला पर लेट जाएंगे।
जीमूतवाहन ने आखिरकार ऐसा ही किया। ठीक समय पर पक्षीराज गरुड़ भी आ गए और उन्होंने लाल कपड़े से ढके जीमूतवाहन को अपने पंजों में पकड़ लिया और पहाड़ की चोटी पर बैठ गए।
गरुड़जी यह देखकर हैरान रह गए कि जिस व्यक्ति को उन्होंने अपने पंजों में कैद किया था, उसकी आंखों में न तो आंसू थे और न ही आह।
ऐसा पहली बार हुआ था। अंत में गरुड़जी ने जीमूतवाहन से अपना परिचय देने को कहा।
पूछने पर जीमूतवाहन ने उन्हें वह सब कुछ बता दिया जो उन्होंने उस वृद्ध महिला से बात की थी।
पक्षीराज गरुड़ हैरान रह गए। उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ कि कोई किसी की मदद के लिए ऐसा बलिदान दे सकता है।
गरुड़जी इस बहादुरी को देखकर बहुत खुश हुए और जीमूतवाहन को जीवनदान दे दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि वह भविष्य में सांपों की बलि नहीं देंगे।
इस तरह एक मां के बेटे की जान बच गई। मान्यता है कि तभी से बेटे की सलामती के लिए जीमूतवाहन की पूजा की जाती है।
जितिया व्रत का महत्व (Jitiya Vrat Ka Mahatva)
जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए रखती हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो भी महिला इस दिन सच्चे मन से व्रत कथा सुनती है, उसे कभी भी अपनी संतान से वियोग नहीं सहना पड़ता है। यह व्रत संतान के जीवन को खुशियों से भर देता है।
जितिया नहाय खाय में क्या खाएं
जितिया व्रत पूजा विधि (Jitiya vrat puja vidhi) में नहाय खाय में ये खाएं।
- अरवा चावल का भात
- पांच से सात तरह की सब्जियां
- अरहर की दाल
- पकौड़ी
- पापड़