
कालाष्टमी पूजा विधि | Kalashtami puja vidhi: काल भैरव को भगवान शिव का पांचवां अवतार माना जाता है, जिनकी कालाष्टमी के दिन पूजा शुभ फलदायी होती है। यह दिन भगवान काल भैरव को समर्पित है। काल भैरव की पूजा करने से जीवन में चल रही सभी परेशानियां खत्म हो जाती हैं। इसके अलावा साधक को भय, क्रोध और आसपास मौजूद बुराइयों से मुक्ति मिलती है। हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी व्रत रखा जाता है।
आईये जानते हैं कि क्या है कालाष्टमी पूजा विधि (Kalashtami puja vidhi), कालाष्टमी व्रत के नियम, कालाष्टमी व्रत कथा (Kalashtami Vrat Katha), कालाष्टमी मंत्र (Kalashtami mantra) और बहुत कुछ !
कालाष्टमी पूजा विधि | Kalashtami puja vidhi
मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के साथ उनके स्वरूप काल भैरव की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में चल रही सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
यह भी मान्यता है कि काल भैरव की पूजा करने से तंत्र और मंत्र की सिद्धि भी प्राप्त होती है, तंत्र मंत्र की सिद्धि के लिए निशिता मुहूर्त में काल भैरव की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं कालाष्टमी व्रत की पूजा विधि ((Kalashtami vrat puja vidhi)।
कालाष्टमी पूजा विधि (Kalashtami puja vidhi) नीचे दी गई है।
- कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- सूर्य देव को जल अर्पित करें।
- इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करें और भगवान शिव की मूर्ति को आसन पर स्थापित करें।
- अब उन्हें बिल्व पत्र, फल और फूल आदि अर्पित करें।
- इसके बाद दीपक जलाकर आरती करें और काल भैरव चालीसा का पाठ करें।
- भगवान के मंत्रों का जाप करना भी फलदायी माना जाता है।
- इसके बाद सुख, समृद्धि और धन की कामना करें। अंत में भोग लगाएं और लोगों में प्रसाद बांटें।
- काल भैरव देव की मूर्ति घर में नहीं रखी जाती है। इसलिए कालाष्टमी के दिन घर में भगवान शिव और मंदिर में काल भैरव देव की पूजा करते हैं।
कालाष्टमी पूजा सामग्री (Kalashtami puja samagri )
बेलपत्र, दूध, फल, फूल, सरसों का तेल, मिट्टी का दीपक आदि।
कालाष्टमी व्रत के नियम
कालाष्टमी पूजा विधि (Kalashtami puja vidhi) नियम के अनुसार करनी चाहिए. नीचे कुछ नियम दिए गए हैं जिनका पालन करके हम पूजा को सफल बनाना चाहते हैं।
- भक्त घर पर ही कालभैरव की पूजा करते हैं और शिव मंदिरों में भी जाते हैं, खासकर उन मंदिरों में जहाँ कालभैरव की मूर्तियाँ स्थापित हैं।
- इस दिन भगवान को दूध और रोटी खिलाने से बहुत पुण्य मिलता है।
- यह दिन तंत्र पूजा और काले जादू का सहारा लेने के लिए एक आदर्श समय है।
- इस दिन की रात को लोग जागरण नामक पूरी रात जागरण करते हैं। दिन भर का व्रत अगली सुबह घर पर एक बार फिर कालभैरव की पूजा के बाद समाप्त होता है।
- व्रत के दौरान भक्तों को सुबह से शाम तक कुछ भी नहीं खाना चाहिए।
- अगर संभव न हो तो दूध और फल खा सकते हैं।
कालाष्टमी व्रत कथा (Kalashtami Vrat Katha)
कालाष्टमी पूजा विधि (Kalashtami puja vidhi) में व्रत की कथा का बहुत अधिक महत्व है। आइए अब जानते हैं कि क्या है कालाष्टमी व्रत कथा और इसके पीछे की कहानी।
कालाष्टमी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक दिन तीनों देवताओं के बीच इस बात को लेकर लड़ाई हो गई कि भगवान ब्रह्मा, श्री हरि विष्णु और शिव जी में से कौन श्रेष्ठ है।
देवताओं की लड़ाई देखकर अन्य देवता परेशान हो गए और उन्होंने एक बैठक बुलाई। भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मौजूदगी में सभी देवताओं से पूछा गया कि उन्हें तीनों देवताओं में कौन श्रेष्ठ लगता है?
सभी देवताओं ने अपने-अपने विचार रखे और उत्तर मिला, जिसका समर्थन भगवान शिव और विष्णु जी ने किया, लेकिन भगवान ब्रह्मा ने इसे मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद ब्रह्मा जी ने भोलेनाथ को अपशब्द कहे, जिसके बाद महादेव क्रोधित हो गए।
कहते हैं कि महादेव के क्रोध के कारण ही उनके स्वरूप काल भैरव का जन्म हुआ। काल भैरव ने क्रोध में ब्रह्मा जी के पांच मुखों में से एक मुख काट दिया, जिसके बाद उन पर ब्रह्महत्या का पाप लग गया।
जब काल भैरव जी का क्रोध शांत हुआ तो उन्होंने ब्रह्मा जी से क्षमा मांगी, जिसके बाद महादेव अपने असली अवतार में लौट आए। इसी समय से काल भैरव की पूजा का विधान शुरू हुआ।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, काल भैरव को समर्पित कालाष्टमी का व्रत रखने से भक्त को भय और क्रोध से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा जीवन में चल रही परेशानियां भी खत्म होने लगती हैं।
कालाष्टमी मंत्र (Kalashtami mantra) | Kal Bhairava Mantra
कालाष्टमी पर इन मंत्रों का जाप करें ।
ॐ ह्रीं वटुकाय आपदुद्धारणाय कुरुकुरु बटुकाय ह्रीं
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं हरिमे ह्रौं क्षम्य क्षेत्रपालाय काला भैरवाय नमः
ॐ तीखदन्त महाकाय कल्पान्तदोहनम्। भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुर्माहिसि
ॐ ह्रीं बं बटुकाय मम आपत्ति उद्धारणाय। कुरु कुरु बटुकाय बं ह्रीं ॐ फट स्वाहा
कालाष्टमी पूजा के लाभ | Kalashtami Puja Benefits
- भगवान भैरव की पूजा करने से सभी तरह के गलत कामों और पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है।
- खास तौर पर व्यक्ति की कुंडली में शनि, राहु, केतु और मंगल जैसे ग्रहों के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
- उचित शुभ मुहूर्त के साथ भगवान की पूजा करने से बुरे प्रभाव भी दूर होते हैं।
- यह पूजा व्यक्ति को धीरे-धीरे शांति और सुकून की ओर ले जाती है।
- इस शुभ दिन पर भगवान काल भैरव के मंत्र (ऊपर बताए गए) का उचित ध्यान के साथ जाप करने से जीवन की सभी बाधाएं और रुकावटें दूर होती हैं।