Krishna chatti | कृष्ण भगवान की छठी कैसे मनाई जाती है?

Published By: Bhakti Home
Published on: Tuesday, Aug 27, 2024
Last Updated: Tuesday, Aug 27, 2024
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Krishna chatti
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Krishna chatti (कृष्ण छठी), कृष्ण भगवान की छठी कैसे मनाई जाती है - हिंदू धर्म के अनुसार जब घर में किसी बच्चे का जन्म होता है तो उसके छह दिन (6 दिन) बाद छठी मनाई जाती है। 

भगवान बाल गोपाल श्री कृष्ण के जन्मोत्सव (कृष्ण जन्माष्टमी Krishna Janmashtami) के ठीक 6 दिन बाद उनकी छठी भी बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। 

 

Krishna chatti (कृष्ण छठी), कृष्ण भगवान की छठी कैसे मनाई जाती है?

श्री कृष्ण छठी कैसे मनाएं ?

  • छठी के दिन लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है। 
  • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए। 
  • चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर भगवान को विराजमान करें। 
  • इसके बाद लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान कराएं और नए वस्त्र स्थापित करें। 
  • इसके बाद भगवान को पीले चंदन या रोली का तिलक लगाएं। 
  • साथ ही फूल माला भी चढ़ाएं. दीपक जलाएं और आरती करें। 
  • माखन मिश्री और कढ़ी चावल का भोग लगाएं ।
  • इसके बाद लोगों में प्रसाद बांटें।
  • अब भगवान से जीवन में सुख-समृद्धि की वृद्धि के लिए प्रार्थना करें।

 

श्री कृष्ण छठी महत्व - Krishna chhathi significance

  • हिंदू मान्यताओं के अनुसार, जब किसी घर में नवजात बच्चे का जन्म होता है तो उसके छह दिन बाद छठी मनाई जाती है
  • इस दिन षष्ठी देवी की विधिवत पूजा की जाती है और अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाती है। 
  • आपको बता दें कि षष्ठी देवी संतान की अधिष्ठात्री देवी हैं। उनकी कृपा से राजा प्रियव्रत का मृत पुत्र पुनर्जीवित हो गया। 
  • यही कारण है कि छठा दिन इस देवी की पूजा का है। 

 

छठी मंत्र 

नमो देव्यै महादेव्यै सिद्ध्यै शांत्यै नमो नमः । 

शुभायै देवसेनायै षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥ 1 ॥ 

 

वरदायै पुत्रदायै धनदायै नमो नमः । 

सुखदायै मोक्षदायै षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥ 2 ॥

 

श्री कृष्ण छठी पे क्या भोग लगाएँ 

श्री कृष्ण छठी पर कान्हा को माखन मिश्री और कढ़ी-चावल बनाकर भोग लगाया जाता है। 

 

कृष्ण छठी कहानी / कथा - क्यों मनाते हैं छठी ?

भगवान कृष्ण की छठ मनाने के पीछे एक प्रचलित कथा है। 

आप सभी जानते होंगे कि माता देवकी द्वारा कृष्ण को जन्म देने के बाद उनके पिता वसुदेव जी उन्हें गोकुल में नंद बाबा के घर बारिश में एक टोकरी में छोड़ आए थे।

जब कंस को पता चला कि उसका 8वां भांजा जो उसे मारेगा, पैदा हो चुका है और गोकुल में है, तो उसने राक्षसी पूतना को कृष्ण को मारने का आदेश दिया। 

कंस ने पूतना से कहा कि मथुरा और गोकुल के आसपास रहने वाले उन सभी बच्चों को मार दो, जिनका जन्म पिछले 6 दिनों में हुआ है। पूतना ने कंस के निर्देशानुसार ऐसा ही किया।

जब माता यशोदा को इस बात का पता चला, तो वह बहुत डर गईं और अपने बेटे को राक्षसी पूतना से बचाने के बारे में सोचने लगीं। इस कारण वह कान्हा की छठ मनाना भूल गईं।

जब कान्हा एक वर्ष के हुए, तो माता यशोदा ने उनके जन्मदिन पर गोकुल के लोगों को आमंत्रित किया। 

लेकिन गोकुल की महिलाएं कहने लगीं कि अभी तक कृष्ण की छठ नहीं मनाई गई है, तो उनका जन्मदिन कैसे मनाया जाएगा। 

इसके बाद बुजुर्गों और ब्राह्मणों ने उन्हें कृष्ण की छठी की पूजा उनके जन्मदिन से एक दिन पहले करने की सलाह दी। 

सभी की सलाह मानकर मां यशोदा ने कान्हा के जन्मदिन से एक दिन पहले कृष्ण की छठी मनाई। 

गोकुल में भगवान कृष्ण की छठी जन्माष्टमी से एक दिन पहले मनाई जाती है, जबकि अन्य जगहों पर छठी जन्माष्टमी के 6 दिन बाद मनाई जाती है।

 

 

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