
Maa kalratri puja vidhi, माँ कालरात्रि पूजा विधि - मां कालरात्रि नवरात्रि के सातवें दिन पूजी जाती हैं और इनकी उपासना से भय, रोग और दुष्ट शक्तियों का नाश होता है। मां कालरात्रि की पूजा विधि में संकल्प, आवाहन, धूप-दीप जलाना, पुष्प, चंदन और नैवेद्य अर्पण करने के साथ-साथ मंत्र जाप और आरती शामिल है।
Maa kalratri puja vidhi | मां कालरात्रि पूजा विधि (Step by Step) - हिंदी में
मां कालरात्रि नवरात्रि के सातवें दिन पूजी जाती हैं। इन्हें विनाशिनी देवी कहा जाता है, जो दुष्टों और बुरी शक्तियों का नाश करती हैं। इनकी पूजा से भय और संकट दूर होते हैं।
मां कालरात्रि पूजा से भक्तों को साहस, शक्ति और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है। मां कालरात्रि की पूजा विधि को विधिपूर्वक करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है।
यहां मां कालरात्रि की पूजा विधि (Maa kalratri puja vidhi) दी गई है:
1. स्नान और पवित्रता (Shuddhi)
- प्रातः काल स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को साफ कर लें और मां कालरात्रि की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें।
2. संकल्प (Sankalp)
- पूजा की शुरुआत में संकल्प लें, यानी मां कालरात्रि की पूजा करने का उद्देश्य और अपनी कामनाओं का उच्चारण करें।
जल, अक्षत (चावल), और फूल हाथ में लेकर संकल्प मंत्र पढ़ें:
मंत्र:
"मम समस्त दुःख-दारिद्र्य-निवारणार्थं, सर्व-रोग-नाशनार्थं, देवी कालरात्रि पूजनं करिष्ये।"
3. धूप-दीप जलाएं (Light the Lamp and Incense)
- मां कालरात्रि के समक्ष दीपक और धूप जलाएं।
- दीपक घी या तेल का हो सकता है, और धूप सुगंधित होनी चाहिए।
4. आवाहन (Invocation)
मां कालरात्रि का आवाहन करें, उन्हें पूजा में उपस्थित होने के लिए आह्वान करें।
मंत्र:
"ॐ कालरात्र्यै नमः, आवाहयामि, स्थापयामि।"
5. आसन अर्पण (Offering Seat)
मां को आसन अर्पित करें। उन्हें फूलों या चावल से बना आसन अर्पण करें।
मंत्र:
"ॐ सुरासैन्ये नमः, आसनं समर्पयामि।"
6. जल अर्पण (Offering Water)
मां को स्नान के लिए जल अर्पित करें।
मंत्र:
"ॐ कालरात्र्यै नमः, पाद्यं समर्पयामि।"
7. वस्त्र अर्पण (Offering Clothes)
मां को वस्त्र अर्पण करें। यदि प्रतिमा पर वस्त्र नहीं चढ़ाए जा सकते, तो सफेद या लाल वस्त्र सामने रखें।
मंत्र:
"ॐ कालरात्र्यै नमः, वस्त्रं समर्पयामि।"
8. अक्षत और चंदन अर्पण (Offering Rice and Sandalwood)
मां को अक्षत (चावल) और चंदन अर्पित करें।
मंत्र:
"ॐ कालरात्र्यै नमः, अक्षतान् समर्पयामि।"
"ॐ कालरात्र्यै नमः, चन्दनं समर्पयामि।"
9. पुष्प अर्पण (Offering Flowers)
मां को सुगंधित फूल अर्पण करें। लाल या सफेद रंग के फूल विशेष रूप से प्रिय होते हैं।
मंत्र:
"ॐ कालरात्र्यै नमः, पुष्पाणि समर्पयामि।"
10. नैवेद्य अर्पण (Offering Food)
मां को प्रसाद (नैवेद्य) अर्पित करें, जिसमें मिश्री, गुड़, और हलवा शामिल हो सकता है।
मंत्र:
"ॐ कालरात्र्यै नमः, नैवेद्यं समर्पयामि।"
11. फल और मिष्ठान्न अर्पण (Offering Fruits and Sweets)
मां को विभिन्न प्रकार के फल और मिष्ठान्न अर्पण करें। केले, सेब, और मिठाई जैसे लड्डू अर्पण कर सकते हैं।
मंत्र:
"ॐ कालरात्र्यै नमः, फलानि समर्पयामि।"
12. पान और सुपारी अर्पण (Offering Betel Leaves and Nuts)
मां को पान और सुपारी अर्पण करें। यह पूजा की पारंपरिक विधि का हिस्सा है।
मंत्र:
"ॐ कालरात्र्यै नमः, तांबूलं समर्पयामि।"
13. मंत्र जाप (Chanting Mantras)
मां कालरात्रि की प्रसन्नता के लिए निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जाप करें:
मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नमः।
ॐ कालरात्र्यै नम:।
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता,
लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा,
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्ति हारिणि।
जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तुते॥
ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी।
एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ।।
14. आरती (Aarti)
अंत में, मां की आरती करें। मां कालरात्रि की आरती का पाठ करें और दीपक घुमाएं।
मंत्र:
कालरात्रि जय-जय-महाकालीमाँ कालरात्रि की आरती नीचे दी गयी है
15. क्षमा प्रार्थना (Apology)
पूजा के दौरान हुई त्रुटियों के लिए मां से क्षमा याचना करें:
मंत्र:
"ॐ कालरात्र्यै नमः, यथासामर्थ्यं पूजनं समर्पितं, क्षमस्व ममापराधं।"
16. भोग वितरण और प्रसाद ग्रहण (Bhog and Prasad)
- पूजा के अंत में मां को अर्पित नैवेद्य को प्रसाद के रूप में बांटें और ग्रहण करें।
मां कालरात्रि पूजा का महत्व:
- मां कालरात्रि की पूजा से भय, रोग और संकटों का नाश होता है।
- जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- भक्तों को अदम्य शक्ति और साहस की प्राप्ति होती है, जिससे वे जीवन के कठिन समय में भी मजबूती से खड़े रहते हैं।
माँ कालरात्रि की कथा हिंदी में | Maa kalratri ki katha in hindi
एक समय की बात है, रक्तबीज नामक राक्षस का आतंक था। रक्तबीज को वरदान था कि उसके शरीर से गिरने वाली रक्त की हर बूंद एक नए राक्षस को जन्म देगी। यह वरदान उसे अमर बना रहा था। देवता और मनुष्य, सभी उसके अत्याचार से पीड़ित थे। देवताओं ने इस समस्या का समाधान खोजने के लिए भगवान शिव से मदद मांगी। केवल माँ पार्वती ही इस राक्षस का अंत कर सकती हैं।
भगवान शिव ने कहा। देवताओं ने माँ पार्वती से प्रार्थना की। माँ पार्वती ने रक्तबीज का अंत करने के लिए माँ कालरात्रि की रचना की।
माँ कालरात्रि ने रक्तबीज का सामना किया और युद्ध शुरू हो गया। रक्तबीज को मारना लगभग असंभव था क्योंकि उसके खून की हर बूंद एक नए राक्षस को जन्म दे रही थी, लेकिन माँ कालरात्रि ने एक योजना सोची।
उन्होंने रक्तबीज पर हमला किया और जैसे ही उसके शरीर से खून बहने लगा, उन्होंने अपने मुँह से सारा खून पी लिया। इस तरह रक्तबीज और राक्षसों को जन्म नहीं दे पाया और आखिरकार माँ कालरात्रि ने उसका वध कर दिया। इस प्रकार माँ कालरात्रि ने संसार को रक्तबीज के आतंक से मुक्ति दिलाई।
माँ कालरात्रि अपने भक्तों के दुख दूर करें और उनमें साहस का संचार करें। जय महाकाली।
मां कालरात्रि आरती
कालरात्रि जय-जय-महाकाली।
काल के मुह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतार॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा॥
खडग खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें।
महाकाली माँ जिसे बचाबे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह।
कालरात्रि माँ तेरी जय॥