
माँ सिद्धिदात्री पूजा विधि | Maa siddhidatri puja vidhi - माँ सिद्धिदात्री देवी की पूजा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पूजा है, जो विशेषकर नवरात्रि के दौरान की जाती है। उन्हें शक्ति, ज्ञान और समृद्धि की देवी माना जाता है। सिद्धिदात्री का मतलब है "सिद्धियों की दात्री," अर्थात् जो भक्तों को इच्छित सिद्धियाँ प्रदान करती हैं।
माँ सिद्धिदात्री पूजा विधि | Maa siddhidatri puja vidhi
माँ सिद्धिदात्री की उपासना से भक्तों को न केवल भौतिक सुख-सुविधाएँ मिलती हैं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी होती है। माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधि में विभिन्न उपाचारी प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं, जो श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती हैं। इस पूजा का उद्देश्य माँ की कृपा प्राप्त करना और जीवन में सभी कठिनाइयों को दूर करना होता है।
आइये जानते हैं माँ सिद्धिदात्री पूजा विधि (Maa siddhidatri puja vidhi).
माँ सिद्धिदात्री पूजा विधि सामग्री (Maa siddhidatri puja vidhi Samagri)
- पुष्प (फूल)
- धूप (अगरबत्ती)
- दीपक (घी या तेल का दीपक)
- चंदन (चंदन पेस्ट या चूर्ण)
- फल (केला, सेब आदि)
- नैवेद्य (भोग, जैसे मिठाई, खीर)
- पानी (पवित्र जल)
- सुपारी (बेटेल)
- कमल (कमल का फूल, यदि संभव हो)
- मोती (नकली या असली, यदि संभव हो)
माँ सिद्धिदात्री पूजा विधि | Maa siddhidatri puja vidhi
- पुण्य जल से स्नान:
- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पुजन स्थान की तैयारी:
- एक साफ स्थान पर आसन बिछाएँ और वहाँ माँ सिद्धिदात्री की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- संविधान और संकल्प:
- देवी का ध्यान करें और पूजा का संकल्प लें।
- आचमन:
- तीन बार आचमन करें और कहें: "ॐ कर्णाभ्यां नमः।"
- दीपक और धूप जलाना:
- दीपक और अगरबत्ती जलाएँ और कहें: "ॐ दीपज्योति नमः।"
- स्वास्तिक बनाना:
- पूजा स्थल पर स्वास्तिक बनाएं और कहें: "ॐ स्वस्तिकाय नमः।"
- पुष्प अर्पण:
- माता को फूल अर्पित करें और कहें: "ॐ पुष्पाणि समर्पयामि।"
- चंदन का लेप:
- चंदन का लेप माता पर लगाएं और कहें: "ॐ चंदनाय नमः।"
- फल अर्पण:
- देवी को फल अर्पित करें और कहें: "ॐ सर्वभुक्क्यै स्वाहा।"
- नैवेद्य अर्पण:
- देवी को नैवेद्य (खाना) अर्पित करें और कहें: "ॐ नैवेद्यं समर्पयामि।"
- सुपारी और कमल का अर्पण:
- सुपारी और कमल का फूल अर्पित करें और कहें: "ॐ सुगंधितं समर्पयामि।"
- धूप अर्पण:
- धूप अर्पित करें और कहें: "ॐ धूपं समर्पयामि।"
- मोती का अर्पण:
- मोती अर्पित करें और कहें: "ॐ मोतिनां समर्पयामि।"
- मंत्रों का जाप:
- निम्नलिखित मंत्र का जाप करें: "ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।"
- आरती:
- माता की आरती करें और दीप जलाकर चारों ओर घुमाएं। कहते जाएं: "जय माँ सिद्धिदात्री।"
- प्रसाद वितरण:
- जो भी भोग अर्पित किया गया हो, उसे प्रसाद के रूप में बांटें।
Maa siddhidatri puja vidhi mantra | माँ सिद्धिदात्री पूजा विधि महत्वपूर्ण मंत्र
- सिद्धिदात्री का मंत्र: "ॐ सिद्धिदात्री नमः।"
- सिद्धियों की प्राप्ति का मंत्र: "ॐ ऐं ह्लीं श्रीं सिद्धिदात्री माता विद्यमहे।"
सिद्धिदात्री माता की कथा | Siddhidatri mata ki katha
मां सिद्धिदात्री से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार जब पूरा ब्रह्मांड अंधकार में डूबा हुआ था, तब उस अंधकार में प्रकाश की एक छोटी सी किरण प्रकट हुई। धीरे-धीरे यह किरण बड़ी होती गई और फिर इसने एक दिव्य स्त्री का रूप धारण कर लिया।
कहा जाता है कि यह देवी मां भगवती का नौवां रूप है और इसे मां सिद्धिदात्री कहा जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां सिद्धिदात्री ने प्रकट होकर त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश को जन्म दिया था।
कहा जाता है कि भगवान शिव शंकर को जो आठ सिद्धियां प्राप्त थीं, वे भी उन्हें मां सिद्धिदात्री ने ही दी थीं।
देवी सिद्धिदात्री की कृपा से ही शिव का आधा शरीर देवी का हुआ, जिसके कारण महादेव का एक नाम अर्धनारीश्वर भी पड़ गया।
माँ सिद्धिदात्री आरती | Siddhidatri mata ki Aarti
जय सिद्धिदात्री माँ तू सिद्धि की दाता।
तु भक्तों की रक्षक तू दासों की माता॥
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि॥
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम॥
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदम्बें दाती तू सर्व सिद्धि है॥
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो॥
तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे॥
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया॥
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बें सवाली॥
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा॥
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता॥
ध्यान दें:
- पूजा करते समय मन को शांत रखें और ध्यान लगाएं।
- श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करना सबसे महत्वपूर्ण है।
इस विधि का पालन करने से आपको माँ सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त होगी और आपकी सभी इच्छाएं पूर्ण होंगी।