
Navratri udyapan 2024 - नवरात्रि उद्यापन विधि (Navratri udyapan vidhi) नवरात्रि व्रत की एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जिसे व्रत के समापन के समय किया जाता है। यह विधि विशेष रूप से उन भक्तों द्वारा की जाती है, जिन्होंने नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा और उपवास का पालन किया है।
नवरात्रि उद्यापन विधि मंत्र सहित | Navratri udyapan vidhi
नवरात्रि उद्यापन का उद्देश्य देवी को आभार प्रकट करना और व्रत की पूर्णता का अनुष्ठान करना होता है। इस विधि के माध्यम से देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त की जाती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आह्वान किया जाता है।
नवरात्रि उद्यापन का विशेष महत्व है, जब कोई व्यक्ति लगातार नवरात्रि के व्रत रखता है और उसे विधिपूर्वक समाप्त करना चाहता है। उद्यापन विधि का पालन करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। यहां नवरात्रि उद्यापन की विस्तृत विधि दी जा रही है:
नवरात्रि उद्यापन सामग्री | Navratri udyapan samagri
नवरात्रि उद्यापन सामग्री का महत्व व्रत के समापन में होता है, जिसमें पूजा, हवन, और कन्या पूजन के लिए विशेष सामग्रियों का उपयोग किया जाता है। यह सामग्री उद्यापन विधि को सफलतापूर्वक पूरा करने और देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए आवश्यक होती है।
नवरात्रि उद्यापन सामग्री | Navratri udyapan samagri के लिए यहाँ देखे।
1. शुभ मुहूर्त का चयन
- उद्यापन के लिए एक शुभ मुहूर्त का चयन करें। यह आमतौर पर अष्टमी या नवमी के दिन किया जाता है।
2. कलश स्थापना
- सबसे पहले देवी दुर्गा के सामने एक स्वच्छ स्थान पर कलश स्थापित करें।
- कलश में जल भरें, उसमें आम के पत्ते डालें और उसके ऊपर नारियल रखें।
कलश स्थापना करते समय निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
मंत्र:
“ॐ गं गणपतये नमः, ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।”अगर आपने पहले से ही कलश स्थापना की हो तो यह स्टेप छोड़ सकते हैं
3. देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र की स्थापना
- मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
- उन्हें स्वच्छ वस्त्र पहनाएं और गहनों से सजाएं।
- पूजा के लिए रोली, चावल, फूल, धूप, दीप और नैवेद्य (भोग) तैयार रखें।
4. पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा
- मां दुर्गा की पूजा पंचोपचार या षोडशोपचार विधि से करें, जिसमें स्नान, वस्त्र, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
हर अर्पण के साथ निम्न मंत्र का जाप करें:
मंत्र:
“ॐ दुं दुर्गायै नमः।”
5. नौ कन्याओं का पूजन (कन्या पूजन)
- उद्यापन के दिन नौ कन्याओं का पूजन करना आवश्यक है।
- सभी कन्याओं को आमंत्रित करें, उनके चरण धोएं और उन्हें सम्मानपूर्वक आसन पर बैठाएं।
- प्रत्येक कन्या को रोली और अक्षत से तिलक लगाएं, हाथों में कलाई पर मौली बांधें और भोजन कराएं।
6. कन्याओं को भोजन कराना
- कन्याओं को पूजा स्थल पर बैठाकर भोजन कराएं। भोजन में पूरी, हलवा, चने या उनकी पसंद का कोई भोजन दें।
भोजन समाप्त होने पर सभी कन्याओं को उपहार और दक्षिणा भेंट करें।
मंत्र:
“ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके,
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तु ते।”
7. हवन (यज्ञ)
- उद्यापन विधि में हवन का विशेष महत्व है। हवन करने के लिए एक हवन कुंड तैयार करें।
- हवन सामग्री जैसे गुग्गुल, चावल, तिल, घी आदि का उपयोग करें।
मां दुर्गा का आह्वान करते हुए हवन करें और हर आहुति के साथ निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
मंत्र:
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे स्वाहा।”
8. अंत में आरती
- हवन समाप्त होने के बाद मां दुर्गा की आरती करें।
- आरती के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें और मां से क्षमा याचना करें यदि किसी भी पूजा में कोई त्रुटि हो गई हो।
9. ब्राह्मण भोजन और दान
- पूजा के अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा के साथ वस्त्र या अन्य दान सामग्री भेंट करें।
- ब्राह्मणों से आशीर्वाद प्राप्त करें।
10. विसर्जन
- पूजा के समापन पर देवी की मूर्ति या चित्र का विधिपूर्वक विसर्जन करें।
- कलश का जल तुलसी के पौधे या किसी पवित्र स्थान पर अर्पित करें।
नवरात्रि उद्यापन विधि (Navratri udyapan vidhi) - 5 महत्वपूर्ण मंत्र
इस प्रकार नवरात्रि का उद्यापन विधिपूर्वक पूर्ण होता है। इस उद्यापन विधि से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का संचार होता है।
नवरात्रि उद्यापन के लिए 5 महत्वपूर्ण 5 मंत्र
यहां नवरात्रि उद्यापन के लिए महत्वपूर्ण 5 मंत्र दिए गए हैं, जिनका जाप उद्यापन विधि के दौरान किया जाता है:
1. दुर्गा मंत्र
“ॐ दुं दुर्गायै नमः”
महत्व: यह मंत्र मां दुर्गा की आराधना के लिए है, जो सभी बाधाओं को दूर कर सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करता है।
2. सर्वमंगल मंत्र
“ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके,
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तु ते।”
महत्व: इस मंत्र से मां दुर्गा की कृपा से सभी मंगल कार्य सिद्ध होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
3. चामुण्डा मंत्र
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”
महत्व: यह मंत्र मां दुर्गा के चामुण्डा स्वरूप को समर्पित है, जो संकटों और बुरी शक्तियों का नाश करता है।
4. महाकाली मंत्र
“ॐ क्रीं कालिकायै नमः”
महत्व: यह मंत्र मां काली को समर्पित है, जो सभी प्रकार के डर और नकारात्मकता को दूर करती हैं।
5. नवदुर्गा मंत्र
“ॐ ह्रीं श्रीं दुर्गायै नमः”
महत्व: इस मंत्र का जाप नवदुर्गा की उपासना में किया जाता है, जिससे जीवन में शुभता और सफलता प्राप्त होती है।
इन मंत्रों का विधिपूर्वक जाप करने से नवरात्रि उद्यापन का संपूर्ण फल प्राप्त होता है और मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
नवरात्रि उद्यापन कथा | Navratri udyapan Katha
बहुत समय पहले की बात है, एक निर्धन ब्राह्मण और उसकी पत्नी एक छोटे से गांव में रहते थे। उनके पास बहुत अधिक संपत्ति नहीं थी, लेकिन वे धर्म और भक्ति में अत्यधिक विश्वास रखते थे। दोनों पति-पत्नी देवी दुर्गा के परम भक्त थे। उनकी संतान नहीं थी, और इसी कारण वे सदैव दुखी रहते थे।
एक दिन ब्राह्मण की पत्नी ने नवरात्रि व्रत रखने का संकल्प लिया और देवी दुर्गा से संतान प्राप्ति की प्रार्थना की। उसने नौ दिनों तक व्रत किया और मां दुर्गा की पूरे नियम और विधि से पूजा की। नवमी के दिन उसने व्रत का उद्यापन करने का संकल्प लिया, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उसे इस बात की चिंता थी कि वह उद्यापन विधि सही तरीके से कैसे कर पाएगी।
ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने अपनी पूरी श्रद्धा से कन्या पूजन किया, नौ कन्याओं को भोजन कराया और उन्हें वस्त्र एवं दक्षिणा दी। पूजा विधिपूर्वक संपन्न हुई, लेकिन उनके मन में यह विचार था कि कहीं उद्यापन में कोई त्रुटि तो नहीं हुई।
उसी रात देवी दुर्गा ने ब्राह्मण की पत्नी को स्वप्न में दर्शन दिए और कहा, "तुमने अपने सामर्थ्य के अनुसार पूरी श्रद्धा और भक्ति से मेरा व्रत किया है, इसलिए मैं तुमसे प्रसन्न हूं। जल्द ही तुम्हारे घर में संतान का आगमन होगा।" यह सुनकर ब्राह्मण की पत्नी ने देवी को प्रणाम किया और सुबह जागने के बाद अपने पति को यह स्वप्न बताया।
कुछ ही समय बाद ब्राह्मण की पत्नी गर्भवती हुई, और कुछ महीनों बाद उनके घर एक सुंदर पुत्र का जन्म हुआ। यह देखकर ब्राह्मण दंपति का जीवन खुशियों से भर गया। उन्होंने मां दुर्गा का धन्यवाद किया और हर साल नवरात्रि का व्रत रखकर उद्यापन विधि से व्रत का समापन करने लगे।
इस प्रकार नवरात्रि उद्यापन विधि का महत्व उजागर होता है। जो भी भक्त पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से नवरात्रि व्रत रखता है और उद्यापन करता है, उसे देवी दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उसके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
नवरात्रि उद्यापन आरती | Navratri udyapan Aarti
जय अम्बे गौरी आरती | Jai Ambe Gauri Aarti
जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत,
हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
मांग सिंदूर विराजत,
टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना,
चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर,
रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला,
कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत,
खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत,
तिनके दुखहारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कानन कुण्डल शोभित,
नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर,
सम राजत ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे,
महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना,
निशदिन मदमाती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चण्ड-मुण्ड संहारे,
शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे,
सुर भयहीन करे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी,
तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी,
तुम शिव पटरानी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत,
नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा,
अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
तुम ही जग की माता,
तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता ।
सुख संपति करता ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
भुजा चार अति शोभित,
वर मुद्रा धारी । [खड्ग खप्पर धारी]
मनवांछित फल पावत,
सेवत नर नारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कंचन थाल विराजत,
अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत,
कोटि रतन ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
श्री अंबेजी की आरति,
जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी,
सुख-संपति पावे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी ।