शरद पूर्णिमा व्रत विधि | Sharad Purnima vrat vidhi - ज्योतिष पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है। इसे रास पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा, कौमुदी व्रत जैसे नामों से भी जाना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है। साथ ही, इस दिन चंद्रमा की किरणें अमृत की वर्षा करती हैं।
शरद पूर्णिमा व्रत विधि | Sharad Purnima vrat vidhi
शरद पूर्णिमा पर स्नान और दान का विशेष महत्व होता है। इसके अलावा इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान विष्णु, इंद्र, कुबेर की पूजा की जाती है और शरद पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इससे भक्त के घर में धन की कमी नहीं होती है। आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा व्रत विधि, शरद पूर्णिमा की पूजा विधि और शरद पूर्णिमा व्रत के नियम।
शरद पूर्णिमा व्रत विधि इस प्रकार है।
- शरद पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान-ध्यान करके सबसे पहले अपने इष्ट देवता की पूजा करें।
- फिर इंद्र और महालक्ष्मी जी की पूजा करें और घी का दीपक जलाकर उन्हें सुगंधित पुष्प आदि अर्पित करें। लक्ष्मी जी के मंत्र का जाप करें, लक्ष्मी चालीसा पढ़ें, आरती गाएं।
- ब्राह्मणों को खीर खिलाएं और दान-दक्षिणा दें।
- शाम के समय देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें।
- चावल और गाय के दूध की खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखें। आधी रात को देवी लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं और परिवार के सभी सदस्यों को प्रसाद के रूप में खिलाएं।
- पूरे दिन उपवास रखें और रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करें। मंदिर में खीर आदि दान करने का भी विधान है।
शरद पूर्णिमा पूजा सामग्री
शरद पूर्णिमा की पूजा करने के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
- कुशा - पूजा स्थल पर बिछाने के लिए।
- चाँदनी - पूजा स्थान को सजाने के लिए।
- खीर - चावल, दूध, और चीनी से बनाई गई, जो चंद्र देव को अर्पित की जाएगी।
- फल - जैसे सेब, अनार, नारियल आदि।
- दीपक - तेल या घी का, पूजा में रोशनी के लिए।
- अगरबत्ती - सुगंध के लिए।
- गंगाजल - शुद्धता के लिए।
- कुमकुम (सिंदूर) - देवी-देवताओं को अर्पित करने के लिए।
- फूल - पूजा में सजावट के लिए, जैसे कमल या अन्य।
- मिट्टी का करवा - करवे के ऊपर ढक्कन के साथ।
- दही - देवी लक्ष्मी को अर्पित करने के लिए।
- हल्दी - पूजा में शामिल करने के लिए।
- पानी का लोटा - स्नान के लिए।
- साबुत चावल (अक्षत) - पूजा में शामिल करने के लिए।
- दीपक के लिए बत्ती - दीप जलाने के लिए।
- धात्री (तुलसी) के पत्ते - पूजा में शामिल करने के लिए।
इन सामग्रियों के साथ, आप शरद पूर्णिमा की पूजा विधि को पूर्ण कर सकते हैं और चंद्र देव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
शरद पूर्णिमा पूजा विधि | Sharad Purnima Puja Vidhi
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें, अगर आप नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें ।
- अब लकड़ी के चौकी या तख़्त पर लाल कपड़ा बिछाएं और उसे गंगाजल से पवित्र करें. चौकी पर मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें और लाल चुनरी ओढ़ाएं।
- अब लाल फूल, इत्र, नैवेद्य, धूपबत्ती, सुपारी आदि से मां लक्ष्मी की पूजा करें. इसके बाद मां लक्ष्मी के सामने लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें।
- पूजा पूरी होने के बाद आरती करें और शाम को फिर से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें।
- चावल और गाय के दूध की खीर बनाकर चांदनी में रखें. आधी रात को मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं और इसे प्रसाद के रूप में परिवार के सभी सदस्यों को खिलाएं।
लक्ष्मी आकर्षण मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
शरद पूर्णिमा की रात को चांद को देखते हुए मां लक्ष्मी के इस मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से जीवन में खुशहाली आती है। साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहती है।
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये
शास्त्रों के अनुसार इस मंत्र का जाप करने से देवी लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान कुबेर भी प्रसन्न होते हैं और आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है।
ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा:
इस महामंत्र के जाप से धन-संपत्ति में वृद्धि के अवसर बनते हैं तथा परिवार के सदस्यों की उन्नति के अवसर भी बनते हैं।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:
शरद पूर्णिमा की रात को चांदनी में इस मंत्र का 108 बार जाप करें। ऐसा करने से आपको धन और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होगी।
ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:
अगर आप कर्ज से परेशान हैं तो शरद पूर्णिमा की रात को इन मंत्रों का जाप जरूर करें। इस मंत्र के जाप से धन प्राप्ति और कर्ज से मुक्ति के रास्ते खुलते हैं।
शरद पूर्णिमा पूजा का महत्व | Importance of Sharad Purnima
- शरद पूर्णिमा का व्रत विशेष रूप से लक्ष्मी प्राप्ति के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन जागरण करने वालों के धन में वृद्धि होती है।
- रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए। मंदिर में खीर आदि दान करने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन चांद की रोशनी से अमृत की वर्षा होती है।
- शरद पूर्णिमा की रात जब चंद्रमा की रोशनी चारों ओर फैलती है, उस समय मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन की प्राप्ति होती है।
शरद पूर्णिमा के उपाय | Sharad Purnima ke upay
- मां लक्ष्मी को सुपारी बहुत पसंद है, इस दिन की पूजा में सुपारी का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। पूजा के बाद सुपारी पर लाल धागा लपेटकर अक्षत, कुमकुम, पुष्प आदि से पूजन करके तिजोरी में रखने से आपको कभी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
- इसके अलावा शरद पूर्णिमा की रात भगवान शिव को खीर का भोग लगाएं। पूर्णिमा की रात खीर को छत पर रखें। भोग लगाने के बाद उस खीर का प्रसाद ग्रहण करें। इस उपाय से भी धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- शरद पूर्णिमा की रात हनुमानजी के सामने चौमुखा दीपक जलाएं। इससे आपके घर में सुख-शांति बनी रहेगी।
शरद पूर्णिमा व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में एक साहूकार रहता था। उसकी दो बेटियाँ थीं। साहूकार की दोनों बेटियाँ धर्म परायण थीं और दोनों पूर्णिमा का व्रत रखती थीं। बड़ी बेटी हमेशा अपना व्रत पूरा करती थी लेकिन छोटी बेटी उसे अधूरा रखती थी। कुछ समय बाद दोनों का विवाह हो गया।
बड़ी बेटी ने स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया, लेकिन छोटी बेटी के बच्चे जन्म लेते ही मर गए। बच्चों की मृत्यु से दुखी साहूकार की छोटी बेटी पंडित के पास गई। पंडित ने कहा कि तुम हमेशा पूर्णिमा का व्रत अधूरा रखती हो। इसीलिए तुम्हारे बच्चे जन्म लेते ही मर जाते हैं। पूर्णिमा का व्रत विधिपूर्वक करने से तुम्हारे बच्चे जीवित रह सकते हैं।
उसने वैसा ही किया। बाद में उसने एक लड़के को जन्म दिया, जो कुछ दिनों बाद फिर मर गया। उसने लड़के को एक चटाई (पेढ़ा) पर लिटा दिया और उसे कपड़े से ढक दिया। फिर उसने अपनी बड़ी बहन को बुलाकर उसे वही चटाई बैठने के लिए दी। जब बड़ी बहन उस पर बैठने लगी तो उसका लहंगा बच्चे को छू गया।
लहंगे के छूते ही बच्चा रोने लगा। यह देखकर बड़ी बहन हैरान हो गई और बोली कि तुमने अपने बेटे को यहां क्यों सोने दिया। अगर वह मर जाता तो मेरी बदनामी होती। क्या तुम यही चाहती थी? तब छोटी बहन ने कहा कि वह तो पहले से ही मरा हुआ था। तुम्हारे भाग्य से ही वह जीवित हुआ है। तुम्हारे पुण्य से ही वह जीवित हुआ है। इसके बाद दोनों बहनों ने पूरे नगर में ढिंढोरा पिटवा दिया और सभी नगर वासियों को शरद पूर्णिमा व्रत की महिमा और पूरी विधि बताई।
Lakshmi ji aarti | लक्ष्मी जी आरती
॥ आरती श्री लक्ष्मी जी ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत,हरि विष्णु विधाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी,तुम ही जग-माता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत,नारद ऋषि गाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी,सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत,ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं,सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता,मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते,वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर,क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,कोई नहीं पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती,जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता,पाप उतर जाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥