पढ़ने का समय 🕛
1 minute
॥ श्री रामायण जी की आरती ॥
आरती श्री रामायण जी की।कीरति कलित ललित सिया-पी की॥
गावत ब्राह्मादिक मुनि नारद।बालमीक विज्ञान विशारद।
शुक सनकादि शेष अरु शारद।बरनि पवनसुत कीरति नीकी॥
आरती श्री रामायण जी की। कीरति कलित ललित सिया-पी की॥
गावत वेद पुरान अष्टदस।छओं शास्त्र सब ग्रन्थन को रस।
मुनि-मन धन सन्तन को सरबस।सार अंश सम्मत सबही की॥
आरती श्री रामायण जी की। कीरति कलित ललित सिया-पी की॥
गावत सन्तत शम्भू भवानी।अरु घट सम्भव मुनि विज्ञानी।
व्यास आदि कविबर्ज बखानी।कागभुषुण्डि गरुड़ के ही की॥
आरती श्री रामायण जी की। कीरति कलित ललित सिया-पी की॥
कलिमल हरनि विषय रस फीकी।सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की।
दलन रोग भव मूरि अमी की।तात मात सब विधि तुलसी की॥
आरती श्री रामायण जी की। कीरति कलित ललित सिया-पी की॥