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विष्णु जी की आरती

Published By: Bhakti Home
Published on: Wednesday, Sep 13, 2023
Last Updated: Monday, Sep 16, 2024
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Vishnu ji ki Aarti

विष्णु जी की आरती: विष्णु जी आरती एक पवित्र हिंदू प्रार्थना है जिसे ब्रह्मांड के संरक्षक भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह दिव्य आरती भक्ति की एक सुंदर अभिव्यक्ति है, जो सुरक्षा, समृद्धि और आध्यात्मिक विकास की मांग करती है।

विष्णु जी आरती का पाठ करने से जीवन में शांति, सद्भाव और संतुलन आता है, और आमतौर पर पूजा अनुष्ठानों के दौरान किया जाता है, खासकर जन्माष्टमी, राम नवमी और अनंत चतुर्दशी जैसे शुभ अवसरों पर।

 

 

||श्री विष्णु जी की आरती ||

 

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

 

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।

स्वामी दुःख विनसे मन का।

सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥

ॐ जय जगदीश हरे।

 

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।

स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥

ॐ जय जगदीश हरे।

 

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

स्वामी तुम अन्तर्यामी।

पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

ॐ जय जगदीश हरे।

 

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।

स्वामी तुम पालन-कर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

ॐ जय जगदीश हरे।

 

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

स्वामी सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥

ॐ जय जगदीश हरे।

 

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

 

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।

स्वमी पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥

ॐ जय जगदीश हरे।

 

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।

स्वामी जो कोई नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

 

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