Language

काल भैरव अष्टकम

Published By: bhaktihome
Published on: Wednesday, September 13, 2023
Last Updated: Tuesday, October 31, 2023
पढ़ने का समय 🕛
1 minute
Kaal bhairav ashtakam

॥ काल भैरव अष्टकम ॥

 

देवराज सेव्यमान पावनांघ्रि पङ्कजं व्याल यज्ञसूत्र मिन्दुशेखरं कृपाकरम्।
नारदादि योगि वृन्दवन्दितं दिगंबरं काशिका पुराधिनाथ काल भैरवं भजे॥1॥

 

भानुकोटि भास्वरं भवाब्धि तारकं परं नीलकण्ठ मीप्सितार्थ दायकं त्रिलोचनम्। 
काल काल मंबुजाक्षमक्ष शूलमक्षरं काशिका पुराधिनाथ काल भैरवं भजे॥2॥

 

शूल टङ्क पाशदण्ड पाणि मादिकारणं श्यामकाय मादिदेवमक्षरं निरामयम्। 
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्र ताण्डव प्रियं काशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥3॥


भुक्ति मुक्ति दायकं प्रशस्त चारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्त लोक विग्रहम्। 
विनि क्वणन्मनोज्ञ हेम किङ्किणील सत्कटिं काशिका पुराधिनाथ काल भैरवं भजे॥4॥


धर्म सेतुपालकं त्वधर्म मार्गनाशकं कर्म पाशमोचकं सुशर्म दायकं विभुम्। 
स्वर्ण वर्ण शेषपाश शोभिताङ्ग मण्डलं काशिका पुराधिनाथ काल भैरवं भजे॥5॥


रत्न पादुका प्रभाभि रामपाद युग्मकं नित्यम द्वितीय मिष्ट दैवतं निरंजनम्। 
मृत्युदर्प नाशनं करालदंष्ट्र मोक्षणं काशिका पुराधिनाथ काल भैरवं भजे॥6॥


अट्टहास भिन्नपद्मजाण्ड कोश संततिं दृष्टि पात नष्ट पापजाल मुग्र शासनम्। 
अष्टसिद्धिदायकं कपाल मालिकाधरं काशिका पुराधिनाथ काल भैरवं भजे॥7॥


भूत संघनायकं विशाल कीर्ति दायकं काशिवास लोक पुण्य पाप शोधकं विभुम्। 
नीति मार्ग कोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिका पुराधिनाथ काल भैरवं भजे॥8॥

 

काल भैरवाष्टकं पठन्ति ये मनोहरं ज्ञान मुक्ति साधनं विचित्र पुण्य वर्धनम् ।
शोक मोह दैन्य लोभ कोप ताप नाशनं ते प्रयान्ति काल भैरवाङ्घ्रिसन्निधिं ध्रुवम् ॥९॥

 

|| इति श्रीमच्छङ्कराचार्य विरचितं काल भैरवाष्टकं संपूर्णम्  ||

 

 

BhaktiHome