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भादवा चौथ व्रत कथा | Bhadwa chauth katha

Published By: bhaktihome
Published on: Thursday, August 22, 2024
Last Updated: Thursday, August 22, 2024
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Bhadwa chauth katha
Table of contents

भादवा चौथ व्रत कथा (Bhadwa chauth katha) संकष्टी चतुर्थी पर जरूर पढ़ें। ये भादवा चौथ व्रत कथा, छोटी और सरल कथा है जिसे पढ़ने से चौथ माता प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर कृपा करती है।

 

Bhadwa chauth katha - भादवा चौथ व्रत कथा 

पौराणिक काल में राजाओं में श्रेष्ठ राजा नल था उसकी बेहद सुंदर रानी थी जिसका नाम दमयन्ती था। 

किसी शाप की वजह से राजा नल को राज्यच्युत खोना पड़ा और उसे रानी से दूर होने का कष्ट सहना पड़ा। 

तब दमयन्ती ने संकष्टी चतुर्थी व्रत के प्रभाव से अपने पति को प्राप्त किया।

कहते हैं राजा नल के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। डाकुओं ने उनके महल से सारा धन, गजशाला से हाथी और घुड़शाला से घोड़े ले लिये थे और महल को जला दिया था। 

यही नहीं राजा नल भी जुआ खेलकर सब हार चुके थे। तब राजा नल असहाय होकर अपनी रानी के साथ वन में चले गए। 

शाप के कारण उन्हें स्त्री वियोग का दुख भी सहना पड़ा। कहीं राजा और कहीं रानी दु:खी होकर देशाटन करने लगे।
एक समय राजा नल की पत्नी दमयन्ती को वन में महर्षि शरभंग के दर्शन हुए। 

दमयन्ती ने मुनि को नमस्कार किया और प्रार्थना की हे प्रभु! मैं अपने पति से किस प्रकार मिलूंगी? 

तब मुनि बोले: दमयन्ती! तुम भादों की चौथ का व्रत रखो और उस दिन गजानन भगवान की विधि विधान पूजा करो। इस व्रत के प्रभाव से तुम्हारे पति तुम्हें मिल जाएंगे।


शरभंग मुनि के कहने पर दमयन्ती ने पूरे विधि विधान से भादों की गणेश चौथ का व्रत किया।

जिसके प्रभाव से उन्हें अपने पति और पुत्र की भी प्राप्ति हुई। 

इस व्रत के प्रभाव से दोनों राजा-रानी के जीवन के सभी कष्ट दूर हो गए और दोनों सुख से रहने लगे। 

तभी से इस व्रत को विघ्न का नाश करने वाला और सुख देने वाला सर्वोतम व्रत माने जाना लगा।

 

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