Maa chandraghanta ki katha , नवरात्रि के तीसरे दिन की कथा - मां चंद्रघंटा की कथा नवरात्रि के तीसरे दिन की पूजा से जुड़ी है। देवी चंद्रघंटा का यह रूप शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है। उनकी कथा इस प्रकार है:
Maa chandraghanta ki katha | नवरात्रि के तीसरे दिन की कथा | मां चंद्रघंटा की कथा
मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ने उन्हें वरदान देने का वचन दिया। इसके बाद देवी पार्वती का विवाह शिव जी से तय हुआ। विवाह के दिन भगवान शिव बारात लेकर देवी पार्वती के घर पहुंचे।
लेकिन भगवान शिव का रूप बहुत विचित्र था। वे गले में नाग लपेटे हुए, शरीर पर भस्म लगाए हुए, और विभिन्न भूत-प्रेतों के साथ बारात लेकर आए। शिव जी के इस भयानक रूप को देखकर पार्वती के परिवार और अन्य लोग भयभीत हो गए। देवी पार्वती ने जब यह देखा तो उन्होंने तुरंत अपने चंद्रघंटा रूप को धारण किया। इस रूप में उनके मस्तक पर घंटे के आकार का चंद्रमा सुशोभित था, और उनका यह रूप अत्यंत तेजस्वी और साहसिक था।
मां चंद्रघंटा के इस रूप ने सभी भूत-प्रेतों और नकारात्मक शक्तियों का नाश किया और भगवान शिव का शांत रूप धारण करवाया। इसके बाद देवी पार्वती और भगवान शिव का विवाह सम्पन्न हुआ। मां चंद्रघंटा अपने भक्तों को भयमुक्त करती हैं और जीवन में साहस व ऊर्जा का संचार करती हैं।
इस कथा से यह संदेश मिलता है कि मां चंद्रघंटा अपने भक्तों की हर प्रकार की विपत्ति से रक्षा करती हैं और उन्हें शांति और साहस प्रदान करती हैं।
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, जिससे जीवन में शांति, सौम्यता और ऊर्जा का संचार होता है।
Maa chandraghanta ki aarti | मां चंद्रघण्टा की आरती | Maa chandraghanta aarti | माँ चंद्रघंटा आरती
नवरात्रि के दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां का यह स्वरूप स्नेहमयी और तेजस्वी माना जाता है। मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों को यश, कीर्ति और सभी कार्यों में मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। विधि-विधान से मां की पूजा करने के बाद उनकी आरती करने के बाद ही पूजा पूरी मानी जाती है। देखिए मां चंद्रघंटा की आरती।
मां चंद्रघण्टा की आरती | माँ चंद्रघंटा आरती
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती।
चंद्र तेज किरणों में समाती।
क्रोध को शांत करने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली।
मन की मालक मन भाती हो।
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।
सुंदर भाव को लाने वाली।
हर संकट मे बचाने वाली।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगदाता।
कांची पुर स्थान तुम्हारा।
करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटू महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी।