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ऋषि पंचमी व्रत कथा | 3 कथाएँ | ऋषि पंचमी कथा | Rishi panchami vrat katha | Rishi panchami katha

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Published on: Friday, Aug 30, 2024
Last Updated: Friday, Aug 30, 2024

ऋषि पंचमी व्रत कथा (Rishi panchami vrat katha), ऋषि पंचमी कथा (Rishi panchami katha) - यहाँ हम ऋषि पंचमी से सम्बंधित कथाये जो बहुत प्रचलित हैं बताने जा रहे हैं। बहतु सारी जगहों पे 3 कथाएं कही जाती हैं इससे व्रत का फल  3 गुना मिलता है ।

 

ऋषि पंचमी व्रत कथा (Rishi panchami vrat katha), ऋषि पंचमी कथा (Rishi panchami katha)

ऋषि पंचमी व्रत कथा (Rishi panchami vrat katha) या ऋषि पंचमी कथा (Rishi panchami katha) शुरू करने से पहले सप्त ऋषियों का ध्यान करें और ये मंत्र कहें ।

कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः।

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जया एकादशी व्रत कथा | Jaya ekadashi vrat katha

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Published on: Thursday, Aug 29, 2024
Last Updated: Thursday, Aug 29, 2024

जया एकादशी व्रत कथा, Jaya ekadashi vrat katha - माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। जया एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। 

ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने वाले सभी भक्त पापों से मुक्त हो जाते हैं। जया एकादशी के दिन कपड़े, धन, भोजन और आवश्यक वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है। 

जया एकादशी को दक्षिण भारत में 'भूमि एकादशी' और 'भीष्म एकादशी' के नाम से जाना जाता है

जया एकादशी व्रत कथा - Jaya ekadashi vrat katha 

इन्द्र के दरबार में उत्सव चल रहा था। उत्सव में देवता, ऋषि, दिव्य पुरुष सभी उपस्थित थे। 

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पिठोरी अमावस्या कथा | Pithori amavasya katha in Hindi

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Published on: Thursday, Aug 29, 2024
Last Updated: Thursday, Aug 29, 2024

पिठोरी अमावस्या कथा हिंदी में | Pithori amavasya katha in Hindi - 

 

पिठोरी अमावस्या कथा हिंदी में | Pithori amavasya katha in Hindi

इस अमावस्या व्रत की कथा के अनुसार बहुत समय पहले की बात है। 

एक परिवार में सात भाई थे। सभी विवाहित थे। सभी के छोटे-छोटे बच्चे भी थे। 

परिवार की खुशहाली के लिए सातों भाइयों की पत्नियां पिठोरी अमावस्या का व्रत रखना चाहती थीं। 

लेकिन जब बड़े भाई की पत्नी ने पहले वर्ष व्रत रखा तो उसके बेटे की मृत्यु हो गई। दूसरे वर्ष एक और बेटे की मृत्यु हो गई। सातवें वर्ष भी यही हुआ। 

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प्रदोष व्रत कथा | Pradosh Vrat Katha

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Published on: Thursday, Aug 29, 2024
Last Updated: Thursday, Aug 29, 2024

प्रदोष व्रत कथा |  Pradosh Vrat Katha: प्रदोष काल में पड़ने वाली महीने की त्रयोदशी तिथि ही प्रदोष व्रत का वास्तविक कारण है। प्रदोष काल सूर्यास्त से 45 मिनट पहले शुरू होता है और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद समाप्त होता है।

 

प्रदोष व्रत कथा |  Pradosh Vrat Katha

प्राचीन काल में एक गरीब पुजारी हुआ करता था। पुजारी की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी अपने बेटे के साथ जीविका चलाने के लिए शाम तक भिक्षा मांगकर घर लौटती थी। 

एक दिन उसकी मुलाकात विदर्भ देश के राजकुमार से हुई, जो अपने पिता की मृत्यु के बाद दर-दर भटकने लगा था। 

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अजा एकादशी व्रत कथा | Aja ekadashi vrat katha

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Published on: Thursday, Aug 29, 2024
Last Updated: Thursday, Aug 29, 2024

अजा एकादशी व्रत कथा हिंदी में, aja ekadashi vrat katha : अजा एकादशी का व्रत करने से पापों से मुक्ति मिलती है। पद्म पुराण में वर्णित अजा एकादशी की कथा के अनुसार इस कथा को पढ़ने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। 

अजा एकादशी का व्रत रखने वालों को यह कथा अवश्य पढ़नी चाहिए। तभी व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

 

अजा एकादशी व्रत कथा | Aja ekadashi vrat katha

युधिष्ठिर ने पूछा- जनार्दन। अब मैं सुनना चाहता हूँ कि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में कौन सी एकादशी होती है? कृपा करके मुझे बताइए।

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Hartalika katha marathi | हरतालिका कथा मराठी

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Published on: Tuesday, Aug 27, 2024
Last Updated: Monday, Sep 2, 2024

हरतालिका कथा मराठी (Hartalika katha marathi), हरतालिकेची कथा काय आहे: हरतालिकेची कथा भगवान शिवाने देवी पार्वतीला सांगितली होती। असे मानले जाते की भगवान शिवाने पार्वतीजींना तिच्या मागील जन्माची आठवण करून देण्यासाठी हरतालिका कथा आणि उपवासाचे महत्त्व सांगितले होते।

 

Hartalika katha marathi | हरतालिका कथा मराठी | हरतालिकेची कथा काय आहे?


शिवजी म्हणतात:

“हे गौरा, तू मला प्राप्त करण्यासाठी तुझ्या पूर्वजन्मात अगदी लहान वयात कठोर तपश्चर्या केलीस।

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हरतालिका कथा | Hartalika katha

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Published on: Tuesday, Aug 27, 2024
Last Updated: Tuesday, Aug 27, 2024

हरतालिका कथा (Hartalika katha) भगवान शिव ने देवी पार्वती को सुनाई थी। माना जाता है कि भगवान शिव ने पार्वती जी को उनके पिछले जन्म की याद दिलाने के लिए हरतालिका कथा और व्रत का महत्त्व बताया था।

 

हरतालिका कथा (Hartalika katha) 

शिव जी कहते हैं:

"हे गौरा, तुमने मुझे पाने के लिए पिछले जन्म में बहुत छोटी सी उम्र में ही घोर तपस्या की थी। 

तुमने न तो कुछ खाया, न ही पिया, तुमने केवल हवा और सूखे पत्ते चबाए। चाहे तपती धूप हो या कंपकंपाती ठंड, तुम हिली नहीं। तुम अडिग रहीं। 

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हल छठ व्रत कथा | Hal chhath vrat katha

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Published on: Friday, Aug 23, 2024
Last Updated: Friday, Aug 23, 2024

हल छठ व्रत कथा (Hal chhath vrat katha) भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि पर पढ़ी जाती है

यह भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई श्री बलरामजी के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन श्री बलरामजी का जन्म हुआ था।  हल छठ व्रत या हल षष्ठी व्रत की कथा नीचे वर्णित है।

 

हल छठ व्रत कथा (Hal chhath vrat katha)

प्राचीन काल में एक ग्वालिन थी। उसकी प्रसव तिथि बहुत निकट थी। 

एक ओर उसे प्रसव की चिंता थी, दूसरी ओर उसका मन गौ-रस (दूध-दही) बेचने में लगा हुआ था। 

उसने सोचा कि यदि प्रसव हो गया, तो गौ-रस वहीं पड़ा रह जाएगा। 

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हरछठ कथा | Harchat katha | हरछठ व्रत कथा | Harchat vrat katha

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Published on: Friday, Aug 23, 2024
Last Updated: Saturday, Aug 24, 2024

हरछठ कथा, हरछठ व्रत कथा (Harchat katha or Harchat vrat katha) को हल छठ (Hal chhath) कथा हल षष्ठी व्रत कथा (hal sashti vrat katha) के रूप में भी जाना जाता है। इसे हरछठ व्रत या हल छठ व्रत या हल षष्ठी व्रत के लिए पढ़ा जाता है। आईये जानते हैं क्या है हरछठ कथा।

हरछठ कथा | Harchat katha | हरछठ व्रत कथा | Harchat vrat katha

पौराणिक कथा के अनुसार, एक ग्वालिन गर्भवती थी। उसकी डिलीवरी का समय नजदीक था, 

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जन्माष्टमी व्रत कथा | Janmashtami vrat katha

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Published on: Friday, Aug 23, 2024
Last Updated: Friday, Aug 23, 2024

जन्माष्टमी व्रत कथा (Janmashtami vrat katha) चमत्कारों और भगवान कृष्ण की जन्म से सम्बंधित महिमा से भरी है। आइए जानते हैं कि क्या है जन्माष्टमी व्रत कथा। 

जन्माष्टमी व्रत कथा - Janmashtami vrat katha - कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा

द्वापर युग में भोजवंशी राजा उग्रसेन का मथुरा पर शासन था। उसके अत्याचारी पुत्र कंस ने उसे गद्दी से उतार दिया और स्वयं मथुरा का राजा बन गया। कंस की एक बहन देवकी थी, जिसका विवाह वसुदेव नामक यदुवंशी राजा से हुआ था।

शादी के बाद कंस अपनी बहन देवकी को रथ पे बिठाकर उसकी ससुराल ले जा रहा था।

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