करवा चौथ व्रत कथा और आरती | Karwa Chauth vrat katha and aarti

Published By: Bhakti Home
Published on: Saturday, Oct 12, 2024
Last Updated: Sunday, Oct 13, 2024
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करवा चौथ व्रत कथा (Karwa Chauth vrat katha) में करवा माता की कथा का वर्णन किया गया है। करवा माता की कथा का पाठ करने से पति की आयु लंबी होती है और दांपत्य जीवन में प्रेम और सौहार्द बना रहता है। करवा चौथ के व्रत पर करवा माता से आशीर्वाद पाने के लिए आपको करवा माता की कथा भी पढ़नी चाहिए।

आइये जानते हैं क्या है करवा चौथ व्रत कथा और करवा चौथ आरती।

करवा चौथ व्रत कथा | Karwa Chauth vrat katha

बहुत समय पहले की बात है एक साहूकार के सात बेटे थे और उनकी एक बहन थी जिसका नाम करवा था। सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। वे पहले उसे खाना खिलाते और फिर खुद खाते। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी।

शाम को जब भाई अपना व्यापार-व्यवसाय बंद करके घर आए तो उन्होंने देखा कि उनकी बहन बहुत उदास है। सभी भाई खाना खाने बैठ गए और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि वह आज करवा चौथ का निर्जल व्रत रख रही है और वह चांद को देखकर उसे अर्घ्य देने के बाद ही कुछ खा सकती है। चूंकि चांद अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से बेचैन है।

सबसे छोटा भाई अपनी बहन की हालत नहीं देख पाता और वह दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर छलनी के नीचे रख देता है। दूर से देखने पर ऐसा लगता है जैसे चतुर्थी का चांद निकल रहा है।

इसके बाद भाई अपनी बहन से कहता है कि चांद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद खाना खा सकती हो। बहन खुशी के मारे सीढ़ियां चढ़कर चांद को देखती है, उसे अर्घ्य देती है और खाना खाने बैठ जाती है।

जब वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है तो उसे छींक आती है। जब वह दूसरा टुकड़ा मुंह में डालती है तो उसमें एक बाल पाती है और जैसे ही वह तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश करती है तो उसे अपने पति की मृत्यु का समाचार मिलता है। वह परेशान हो जाती है।

उसकी भाभी उसे सच बताती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं और उन्होंने ऐसा किया है।

सच जानने के बाद करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी और अपने सतीत्व से उसे जीवित करेगी। 

वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है। वह उसकी देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सुई जैसी घास को वह इकट्ठा करती रहती है।

एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है। उसकी सभी भाभियां करवा चौथ का व्रत रखती हैं। जब भाभियाँ उसका आशीर्वाद लेने आती हैं तो वह प्रत्येक भाभी से 'यम की सुई ले लो और पिया की सुई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो' का आग्रह करती है, लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का कहकर चली जाती है।

इस प्रकार जब छठी भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात दोहराती है। यह भाभी उससे कहती है कि चूँकि सबसे छोटे भाई के कारण उसका व्रत टूटा था, इसलिए केवल उसकी पत्नी में ही तुम्हारे पति को जीवित करने की शक्ति है, इसलिए जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और तब तक नहीं छोड़ना जब तक वह तुम्हारे पति को जीवित न कर दे। यह कहकर वह चली जाती है।

अंत में सबसे छोटी भाभी आती है। करवा उससे भी सुहागिन बनने का आग्रह करती है, लेकिन वह टालमटोल करने लगती है। यह देखकर करवा उसे कसकर पकड़ लेती है और अपने पति को जीवित करने के लिए कहती है। भाभी उसे खरोंचती है और खींचती है, लेकिन करवा उसे जाने नहीं देती।

अंत में उसकी तपस्या को देखकर भाभी द्रवित हो जाती है और अपनी छोटी उंगली काटकर उसमें से अमृत उसके पति के मुंह में डाल देती है। करवा का पति तुरंत श्री गणेश-श्री गणेश कहता हुआ उठ बैठता है। इस प्रकार भगवान की कृपा से करवा को उसकी छोटी भाभी के माध्यम से उसका पति वापस मिल जाता है।

हे श्री गणेश- माता गौरी, जिस प्रकार करवा को आपसे सुहागन होने का वरदान मिला है, वैसा ही सभी सुहागन स्त्रियों को मिले।

 

करवा चौथ आरती इन हिंदी | Karwa Chauth aarti in hindi

ॐ जय करवा मैया, 
माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, 
पार करो नइया..

ॐ जय करवा मैया।

सब जग की हो माता, 
तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, 
जग के सब प्राणी..

ॐ जय करवा मैया।

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, 
जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , 
दुख सारे हरती..

ॐ जय करवा मैया।

होए सुहागिन नारी, 
सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, 
विघ्न सभी नाशे..

ॐ जय करवा मैया।

करवा मैया की आरती, 
व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, 
सब विधि सुख पावे..

ॐ जय करवा मैया।
 

 

 

 

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