करवा चौथ व्रत विधि | Karwa Chauth Vrat Vidhi

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Published on: Saturday, Oct 19, 2024
Last Updated: Saturday, Oct 19, 2024
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करवा चौथ व्रत विधि | Karwa Chauth Vrat Vidhi
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karwa chauth 2024, करवा चौथ व्रत विधि | Karwa Chauth Vrat Vidhi - हिंदू सनातन परंपरा में करवा चौथ को सुहागिन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। इस त्योहार पर महिलाएं हाथों में मेहंदी लगाती हैं, चूड़ियां पहनती हैं और सोलह श्रृंगार करके अपने पति की पूजा करती हैं और फिर व्रत पूरा करती हैं।

करवा चौथ व्रत विधि (Karwa chauth vrat vidhi)

सुहागिन या पतिव्रता महिलाओं के लिए करवा चौथ बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत कार्तिक कृष्ण की चंद्र उदय व्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है। यदि दो दिन या दोनों दिन चंद्र उदय व्यापिनी हो, या न हो तो 'मातृविद्धा प्रशस्त्यते' के अनुसार पूर्वविद्धा व्रत करना चाहिए।

महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखती हैं। यह व्रत अलग-अलग क्षेत्रों में वहां की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार किया जाता है, लेकिन इन मान्यताओं में थोड़ा अंतर होता है। सभी का सार पति की लंबी आयु है।

 

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करवा चौथ पूजा विधि (Karwa chauth Puja vidhi)

अगर कोई भी स्टेप्स (चरण ) कठिन लग रहा हो तो भगवान का नाम लेकर छोड़ सकते हैं। करवा चौथ व्रत पूजा करने के लिए ये मुख्य बिंदु हैं।

  1. करवा चौथ के लिए आवश्यक सभी पूजन सामग्री एकत्रित करें।
  2. व्रत के दिन प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें

    मम सुख सौभाग्य पुत्र पौत्रादि सुस्थिर।

    श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।

  3. पूरे दिन निर्जल (बिना पानी पिए ) रहें। करवा चौथ का कैलेंडर या चित्र पूजा के लिए सामने रखें। 
  4. पिसे हुए चावलों के घोल से करवा रंगें। रंगने की कला को करवा धरना कहते हैं।
  5. आठ पूरियों की अठावरी बनाएं। हलवा बनाएं। पके हुए व्यंजन बनाएं। अपने यहाँ बड़ों से राय ले की क्या क्या बनता है कहीं कम बनता है और कहीं पे ज्यादा 
  6. पीली मिट्टी से गौरी बनाएं और गणेशजी बनाकर उनकी गोद में बैठाएं।
  7. गौरी को लकड़ी के आसन पर बैठाएं। चौकोर आकार बनाकर उस पर आसन रखें। गौरी को दुपट्टे से ढकें। गौरी को बिंदी और अन्य सुहाग सामग्री से सजाएं।
  8. एक लोटा जल से भरकर रखें।
  9. उपहार देने के लिए टोंटीदार मिट्टी का बर्तन लें। करवा में गेहूं और ढक्कन में चीनी का बूरा भरकर दक्षिणा रखें।
  10. करवे पर रोली से स्वस्तिक बनाएं।
  11. परंपरा के अनुसार गौरी-गणेश और चित्रित करवा की पूजा करें। अपने पति की दीर्घायु की कामना करें। पति की लंबी आयु की कामना के लिए पढ़ें यह मंत्र।

    नमः शिवायै शर्वाण्ये सौभाग्यं संतति शुभम्। 

    प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।

  12. करवे पर 13 बिंदी रखें और हाथ में गेहूं या चावल के 13 दाने लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें।
  13. पूजा की थाली को कलश के बाईं ओर से दाईं ओर ले जाएँ और फिर थाली को बाएँ हाथ से पकड़कर दाईं ओर से बाईं ओर ले जाएँ। ऐसा आप 4 बार या 7 बार, जितनी बार चाहें कर सकते हैं। 
  14. करवा चौथ की कथा सुने।  कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाएं, अपनी सास के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें।
  15. गेहूँ के 13 दाने और जल का लोटा या टोंटी वाला करवा अलग रख लें।
  16. रात को चाँद निकलने के बाद छलनी की ओट से चाँद को देखें और चाँद को अर्घ्य दें।
  17. इसके बाद अपने पति से आशीर्वाद लें। उन्हें भोजन कराएं और खुद भी खाएं।

पूजा के बाद आस-पड़ोस की महिलाओं को करवा चौथ की शुभकामनाएं देकर त्योहार का समापन करें।

 

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करवा चौथ व्रत कथा (Karwa Chauth vrat katha)

बहुत समय पहले की बात है एक साहूकार के सात बेटे थे और उनकी एक बहन थी जिसका नाम करवा था। सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। वे पहले उसे खाना खिलाते और फिर खुद खाते। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी।

शाम को जब भाई अपना व्यापार-व्यवसाय बंद करके घर आए तो उन्होंने देखा कि उनकी बहन बहुत उदास है। सभी भाई खाना खाने बैठ गए और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि वह आज करवा चौथ का निर्जल व्रत रख रही है और वह चांद को देखकर उसे अर्घ्य देने के बाद ही कुछ खा सकती है। चूंकि चांद अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से बेचैन है।

सबसे छोटा भाई अपनी बहन की हालत नहीं देख पाता और वह दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर छलनी के नीचे रख देता है। दूर से देखने पर ऐसा लगता है जैसे चतुर्थी का चांद निकल रहा है।

इसके बाद भाई अपनी बहन से कहता है कि चांद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद खाना खा सकती हो। बहन खुशी के मारे सीढ़ियां चढ़कर चांद को देखती है, उसे अर्घ्य देती है और खाना खाने बैठ जाती है।

जब वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है तो उसे छींक आती है। जब वह दूसरा टुकड़ा मुंह में डालती है तो उसमें एक बाल पाती है और जैसे ही वह तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश करती है तो उसे अपने पति की मृत्यु का समाचार मिलता है। वह परेशान हो जाती है।

उसकी भाभी उसे सच बताती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं और उन्होंने ऐसा किया है।

सच जानने के बाद करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी और अपने सतीत्व से उसे जीवित करेगी। 

वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है। वह उसकी देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सुई जैसी घास को वह इकट्ठा करती रहती है।

एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है। उसकी सभी भाभियां करवा चौथ का व्रत रखती हैं। जब भाभियाँ उसका आशीर्वाद लेने आती हैं तो वह प्रत्येक भाभी से 'यम की सुई ले लो और पिया की सुई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो' का आग्रह करती है, लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का कहकर चली जाती है।

इस प्रकार जब छठी भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात दोहराती है। यह भाभी उससे कहती है कि चूँकि सबसे छोटे भाई के कारण उसका व्रत टूटा था, इसलिए केवल उसकी पत्नी में ही तुम्हारे पति को जीवित करने की शक्ति है, इसलिए जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और तब तक नहीं छोड़ना जब तक वह तुम्हारे पति को जीवित न कर दे। यह कहकर वह चली जाती है।

अंत में सबसे छोटी भाभी आती है। करवा उससे भी सुहागिन बनने का आग्रह करती है, लेकिन वह टालमटोल करने लगती है। यह देखकर करवा उसे कसकर पकड़ लेती है और अपने पति को जीवित करने के लिए कहती है। भाभी उसे खरोंचती है और खींचती है, लेकिन करवा उसे जाने नहीं देती।

अंत में उसकी तपस्या को देखकर भाभी द्रवित हो जाती है और अपनी छोटी उंगली काटकर उसमें से अमृत उसके पति के मुंह में डाल देती है। करवा का पति तुरंत श्री गणेश-श्री गणेश कहता हुआ उठ बैठता है। इस प्रकार भगवान की कृपा से करवा को उसकी छोटी भाभी के माध्यम से उसका पति वापस मिल जाता है।

हे श्री गणेश- माता गौरी, जिस प्रकार करवा को आपसे सुहागन होने का वरदान मिला है, वैसा ही सभी सुहागन स्त्रियों को मिले।

 

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करवा चौथ आरती (Karwa Chauth aarti)

करवा चौथ पूजा विधि में नीचे दी गयी आरती पढ़ें ।

ॐ जय करवा मैया, 
माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, 
पार करो नइया..

ॐ जय करवा मैया।

सब जग की हो माता, 
तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, 
जग के सब प्राणी..

ॐ जय करवा मैया।

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, 
जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , 
दुख सारे हरती..

ॐ जय करवा मैया।

होए सुहागिन नारी, 
सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, 
विघ्न सभी नाशे..

ॐ जय करवा मैया।

करवा मैया की आरती, 
व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, 
सब विधि सुख पावे..

ॐ जय करवा मैया।
 

निष्कर्ष - करवा चौथ व्रत विधि

करवा चौथ का व्रत महिलाओं के लिए प्रेम, समर्पण और पति के प्रति आस्था का प्रतीक है। यह पर्व न केवल धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा है, बल्कि परिवार की एकजुटता और रिश्तों की मजबूती को भी दर्शाता है।
 

 

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