करवा चौथ पूजा विधि (Karva Chauth Puja Vidhi) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसे सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। इस पावन पर्व पर महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा संपन्न करती हैं।
करवा चौथ पूजा की विधि में सर्गी खाना, कथा सुनना, करवा का पूजन और चंद्र दर्शन जैसी महत्वपूर्ण रस्में शामिल होती हैं। अगर आप जानना चाहते हैं कि करवा चौथ पूजा कैसे की जाती है, तो हमारी विस्तृत गाइड में आपको सभी आवश्यक चरण और विधियां मिलेंगी, जो आपके इस विशेष पर्व को और भी शुभ बनाएंगी।
करवा चौथ पूजा विधि (Karva Chauth Puja Vidhi)
करवा चौथ भारतीय महिलाओं का एक प्रमुख पर्व है, जिसे अपने पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं उपवास रखती हैं और शाम को चंद्रमा की पूजा करके व्रत तोड़ती हैं। यहां करवा चौथ की पूजा विधि के सभी आवश्यक चरण दिए गए हैं:
1. करवा चौथ सरगी खाना (सुबह की शुरुआत)
- समय: सूर्योदय से पहले
- विधि: व्रत रखने वाली महिला सूर्योदय से पहले सास या परिवार के किसी बड़े द्वारा दी गई 'सारगी' खाती हैं। सारगी में फल, मिठाइयाँ, सूखे मेवे और पराठे जैसे खाद्य पदार्थ होते हैं। इसके साथ खूब पानी पिएं ताकि दिनभर प्यास न लगे।
- टिप: पेट भरने के साथ पौष्टिक आहार का सेवन करें ताकि ऊर्जा बनी रहे।
2. श्रृंगार और करवा चौथ की तैयारी
करवा चौथ पूजा विधि (Karva Chauth Puja Vidhi) में श्रृंगार का भी बहुत अधिक महत्व है।
- विधि: महिलाएं स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करती हैं और करवा चौथ के विशेष अवसर पर श्रृंगार करती हैं। सुहागन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं, जिसमें कुमकुम, बिंदी, चूड़ियाँ, मेंहदी, सिंदूर, पायल और अन्य सजावट शामिल होती हैं।
3. करवा चौथ व्रत कथा (Karva Chauth Vrat katha)
करवा चौथ पूजा विधि (Karva Chauth Puja Vidhi), करवा चौथ व्रत कथा (Karva Chauth Vrat katha) के बिना अधूरी है।
- समय: दोपहर या शाम को पूजा से पहले
- विधि: महिलाएं एकत्र होकर करवा चौथ की कथा सुनती हैं। यह कथा देवी करवा और उनकी पति के प्रति अटूट प्रेम और भक्ति को दर्शाती है। कथा सुनने के बाद सभी महिलाएं एक-दूसरे को करवा और हल्दी-चावल देती हैं।
4. करवा चौथ की पूजा विधि
करवा चौथ पूजा विधि:
- करवा चौथ पूजा की थाली: एक थाली में दीपक, चावल, रोली, जल से भरा करवा (मिट्टी का बर्तन), मिठाई और धूप रखें। थाली को अच्छे से सजाएं।
- करवा चौथ पूजा स्थान: घर में या मंदिर में करवा चौथ की पूजा का आयोजन करें। एक स्वच्छ स्थान पर माता पार्वती, भगवान शिव और गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
- दीपक जलाना: पूजा के दौरान दीपक जलाएं और देवी पार्वती और भगवान शिव की आराधना करें।
- करवा का पूजन: करवा (मिट्टी का बर्तन) को चावल, रोली और मिठाई अर्पित करें। फिर करवा को परिवार की वृद्ध महिला के चरण स्पर्श करके उन्हें दें।
- पूजा की थाली को इस तरह घुमाएँ - चौथ माता को अपने सामने रखने के बाद अब पूजा की थाली को कलश के बाईं ओर से दाईं ओर ले जाएँ और फिर थाली को बाएँ हाथ से पकड़कर दाईं ओर से बाईं ओर ले जाएँ। ऐसा आप 4 बार या 7 बार, जितनी बार चाहें कर सकते हैं।
करवा चौथ मंत्र karwa chauth mantra - नीचे करवा चौथ पूजा विधि में पढ़ने के लिये मंत्र दिए गए हैं ।
पार्वती जी का मंत्र - ॐ शिवायै नमः
शिव जी का मंत्र - ॐ नमः शिवाय
स्वामी कार्तिकेय का मंत्र - ॐ षण्मुखाय नमः
श्री गणेश जी का मंत्र - ॐ गणेशाय नमः
चंद्रमा का पूजन मंत्र - ॐ सोमाय नमः- करवा चौथ कथा karwa chauth katha - मंत्र के बाद करवा चौथ व्रत कथा जरूर पढ़ें नीचे करवा व्रत कथा दी गयी है ।
- आरती: पूजा के अंत में सभी महिलाएं मिलकर आरती करती हैं और परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। करवा चौथ की आरती नीचे दी गयी है।
5. चंद्र दर्शन और अर्घ्य देना
- समय: रात में चंद्रमा के उदय होने पर
- विधि:
- चंद्रमा निकलने पर महिलाएं छलनी से चंद्रमा को देखती हैं और फिर अपने पति को देखती हैं।
- करवा में जल भरकर चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।
- पति पत्नी को पानी पिलाकर व्रत तोड़वाता है और मिठाई खिलाता है।
6. व्रत तोड़ना
- समय: चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद
- विधि: अर्घ्य देने के बाद पति अपनी पत्नी को पानी पिलाता है और व्रत समाप्त करता है। इसके बाद महिलाएं भोजन करती हैं और सभी पारिवारिक सदस्य मिलकर भोजन का आनंद लेते हैं।
करवा चौथ व्रत कथा | Karwa Chauth vrat katha
करवा चौथ पूजा विधि में करवा चौथ व्रत कथा इस प्रकार है ।
बहुत समय पहले की बात है एक साहूकार के सात बेटे थे और उनकी एक बहन थी जिसका नाम करवा था। सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। वे पहले उसे खाना खिलाते और फिर खुद खाते। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी।
शाम को जब भाई अपना व्यापार-व्यवसाय बंद करके घर आए तो उन्होंने देखा कि उनकी बहन बहुत उदास है। सभी भाई खाना खाने बैठ गए और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि वह आज करवा चौथ का निर्जल व्रत रख रही है और वह चांद को देखकर उसे अर्घ्य देने के बाद ही कुछ खा सकती है। चूंकि चांद अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से बेचैन है।
सबसे छोटा भाई अपनी बहन की हालत नहीं देख पाता और वह दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर छलनी के नीचे रख देता है। दूर से देखने पर ऐसा लगता है जैसे चतुर्थी का चांद निकल रहा है।
इसके बाद भाई अपनी बहन से कहता है कि चांद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद खाना खा सकती हो। बहन खुशी के मारे सीढ़ियां चढ़कर चांद को देखती है, उसे अर्घ्य देती है और खाना खाने बैठ जाती है।
जब वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है तो उसे छींक आती है। जब वह दूसरा टुकड़ा मुंह में डालती है तो उसमें एक बाल पाती है और जैसे ही वह तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश करती है तो उसे अपने पति की मृत्यु का समाचार मिलता है। वह परेशान हो जाती है।
उसकी भाभी उसे सच बताती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं और उन्होंने ऐसा किया है।
सच जानने के बाद करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी और अपने सतीत्व से उसे जीवित करेगी।
वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है। वह उसकी देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सुई जैसी घास को वह इकट्ठा करती रहती है।
एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है। उसकी सभी भाभियां करवा चौथ का व्रत रखती हैं। जब भाभियाँ उसका आशीर्वाद लेने आती हैं तो वह प्रत्येक भाभी से 'यम की सुई ले लो और पिया की सुई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो' का आग्रह करती है, लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का कहकर चली जाती है।
इस प्रकार जब छठी भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात दोहराती है। यह भाभी उससे कहती है कि चूँकि सबसे छोटे भाई के कारण उसका व्रत टूटा था, इसलिए केवल उसकी पत्नी में ही तुम्हारे पति को जीवित करने की शक्ति है, इसलिए जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और तब तक नहीं छोड़ना जब तक वह तुम्हारे पति को जीवित न कर दे। यह कहकर वह चली जाती है।
अंत में सबसे छोटी भाभी आती है। करवा उससे भी सुहागिन बनने का आग्रह करती है, लेकिन वह टालमटोल करने लगती है। यह देखकर करवा उसे कसकर पकड़ लेती है और अपने पति को जीवित करने के लिए कहती है। भाभी उसे खरोंचती है और खींचती है, लेकिन करवा उसे जाने नहीं देती।
अंत में उसकी तपस्या को देखकर भाभी द्रवित हो जाती है और अपनी छोटी उंगली काटकर उसमें से अमृत उसके पति के मुंह में डाल देती है। करवा का पति तुरंत श्री गणेश-श्री गणेश कहता हुआ उठ बैठता है। इस प्रकार भगवान की कृपा से करवा को उसकी छोटी भाभी के माध्यम से उसका पति वापस मिल जाता है।
हे श्री गणेश- माता गौरी, जिस प्रकार करवा को आपसे सुहागन होने का वरदान मिला है, वैसा ही सभी सुहागन स्त्रियों को मिले।
करवा चौथ आरती इन हिंदी | Karwa Chauth aarti in hindi
करवा चौथ पूजा विधि में नीचे दी गयी आरती पढ़ें ।
ॐ जय करवा मैया,
माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा,
पार करो नइया..
ॐ जय करवा मैया।
सब जग की हो माता,
तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत,
जग के सब प्राणी..
ॐ जय करवा मैया।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी,
जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे ,
दुख सारे हरती..
ॐ जय करवा मैया।
होए सुहागिन नारी,
सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु,
विघ्न सभी नाशे..
ॐ जय करवा मैया।
करवा मैया की आरती,
व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन,
सब विधि सुख पावे..
ॐ जय करवा मैया।
निष्कर्ष - करवा चौथ पूजा विधि
करवा चौथ का व्रत महिलाओं के लिए प्रेम, समर्पण और पति के प्रति आस्था का प्रतीक है। यह पर्व न केवल धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा है, बल्कि परिवार की एकजुटता और रिश्तों की मजबूती को भी दर्शाता है।
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