करवा चौथ की कहानी | Karwa chauth ki kahani in hindi

Published By: Bhakti Home
Published on: Sunday, Oct 13, 2024
Last Updated: Sunday, Oct 20, 2024
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करवा चौथ की कहानी | Karwa chauth ki kahani in hindi
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करवा चौथ की कहानी हिंदी में, karwa chauth ki kahani in hindi - करवा चौथ पर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और शाम को चांद को जल चढ़ाकर और छलनी से अपने पति का चेहरा देखकर अपना व्रत खोलती हैं। वहीं, अविवाहित लड़कियां मनचाहा पति पाने के लिए इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं और तारों को देखकर अपना व्रत खोलती हैं। आज हम आपको करवा चौथ के व्रत के दौरान पढ़ी जाने वाली पूरी कथा बताने जा रहे हैं।

 

करवा चौथ की कहानी हिंदी में | karwa chauth ki kahani in hindi

करवा चौथ की कथा है कि, देवी करवा अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के किनारे रहती थी। 

एक दिन जब करवा का पति नदी में स्नान करने गया तो एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ लिया और उसे नदी में खींचने लगा।

मृत्यु को निकट देखकर करवा का पति करवा को पुकारने लगा। करवा दौड़कर नदी की ओर गई और मगरमच्छ को उसके पति को मृत्यु के मुंह में ले जाते देखा। 

करवा ने तुरंत एक कच्चा धागा लिया और मगरमच्छ को एक पेड़ से बांध दिया। करवा के सतीत्व के कारण मगरमच्छ कच्चे धागे से इस प्रकार बंधा कि वह जरा भी हिल नहीं पा रहा था।

करवा के पति और मगरमच्छ दोनों के जीवन खतरे में थे। करवा ने यमराज को बुलाया और उनसे अपने पति को जीवनदान देने और मगरमच्छ को मृत्युदंड देने के लिए कहा। 

यमराज ने कहा मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि मगरमच्छ का अभी कुछ जीवन शेष है और तुम्हारे पति का जीवन समाप्त हो चुका है। 

क्रोधित करवा ने यमराज से कहा यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो मैं आपको श्राप दे दूंगी। सती के श्राप से भयभीत यमराज ने तुरंत मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और करवा के पति को जीवनदान दिया। 

इसलिए करवा चौथ के व्रत के दौरान विवाहित महिलाएं करवा माता से प्रार्थना करती हैं कि हे करवा माता, जैसे आपने अपने पति को मृत्यु के चंगुल से वापस लाया, वैसे ही कृपया मेरे पति की भी रक्षा करें। 

करवा माता की तरह सावित्री ने भी बरगद के पेड़ के नीचे कच्चे धागे से अपने पति को लपेटा था । 

कच्चे धागे में लिपटा प्यार और विश्वास ऐसा था कि यमराज सावित्री के पति के प्राण अपने साथ नहीं ले जा सके। 

यमराज को सावित्री के पति के प्राण लौटाने पड़े था और सावित्री को वरदान देना पड़ा था कि उनका पति हमेशा रहेगा और दोनों लंबे समय तक साथ रहेंगे।

 

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