Horoscopers.com

Looking for Horoscopes, Zodiac Signs, Astrology, Numerology & More..

Visit Horoscopers.com

 

ऋषि पंचमी व्रत विधि और सामग्री | Rishi panchami vrat vidhi and samagri

Published By: bhaktihome
Published on: Thursday, August 29, 2024
Last Updated: Thursday, August 29, 2024
Read Time 🕛
4 minutes
Rate it !
No votes yet
rishi panchami vrat vidhi
Table of contents

ऋषि पंचमी व्रत विधि और सामग्री, Rishi panchami vrat vidhi and samagri, Rishi panchami puja vidhi, ऋषि पंचमी पूजा विधि - हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी व्रत मनाया जाता है। इसे ऋषि पंचमी के नाम से जाना जाता है। यह त्यौहार गणेश चतुर्थी के अगले दिन मनाया जाता है। आइए जानते हैं ऋषि पंचमी व्रत की पूजा विधि और सामग्री।

 

ऋषि पंचमी व्रत विधि और सामग्री, Rishi panchami vrat vidhi and samagri 

ऋषि पंचमी व्रत विधि जानने से पहले ऋषि पंचमी व्रत में उपयोग होने वाली सामग्री की लिस्ट जान लेते हैं ताकि पूजा के समय कोई विघ्न और भागा दौड़ी न रहे।

ऋषि पंचमी व्रत विधि के लिए नीचे सामग्री की लिस्ट दी गयी है।

ऋषि पंचमी व्रत सामग्री

  1. श्रीफल यानी नारियल, हल्दी की गांठ।
  2. पान, रोली, मौली, 7 पूजा सुपारी।
  3. आम के पत्ते, मट्टी का कलश।
  4. अक्षत (चावल), गंगाजल, पंचामृत।
  5. गाय घी, रूई की बत्ती, लौंग, इलायची।
  6. चौक आटा, कपूर, सफेद चंदन।
  7. केले के पत्ते, फल / 8 केले 
  8. मखाने , छुआरा, बादाम, काजू ,किशमिश , मूंगफली 
  9. मिट्टी का दीपक, 7 तरह का नैवेद्य
  10. गुड़

 

ऋषि पंचमी व्रत विधि | Rishi panchami vrat vidhi | ऋषि पंचमी पूजा विधि| Rishi panchami puja vidhi

ऋषि पंचमी व्रत विधि इस प्रकार है ।

  1. प्रातःकाल जल्दी उठें घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  2. उसके बाद घर में पूजा स्थल पर धरती को शुद्ध करें, चौक आटा, हल्दी से चौकोर घेरा (चौक पूरे) बनाएं। 
  3. फिर उस पर सप्त ऋषियों को स्थापित करें।
  4. इसके बाद पुष्प, धूप, दीप, फल, मिठाई, जल आदि से सप्त ऋषियों की पूजा करें। इस मंत्र का जाप करें  

      कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः।

      जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥

      दहन्तु पापं सर्व गृह्नन्त्वर्ध्यं नमो नमः॥

  1. फिर गायत्री मंत्र का जाप करें।

    ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

  2. अब व्रत कथा सुनने के बाद आरती करें और प्रसाद बांटें।
  3. इस दिन निर्जल या फलाहार व्रत रखें।
  4. इस प्रकार सात वर्ष तक व्रत रखें और आठवें वर्ष में मिट्टी से सप्त ऋषियों की सात प्रतिमाएं बनाएं और उनके बीच में किसी पौधे के बीज रखें।
  5. इसके बाद कलश स्थापित करें और विधि-विधान से पूजा करें।
  6. इस दिन गाय का दान करना भी शुभ माना जाता है। अगर आप ऐसा करने में असमर्थ हैं तो गौ सेवा अवश्य करें।
  7. सप्त ऋषियों को भोजन कराएं।
  8. भोजन कराने के बाद मूर्तियों को गमले में विसर्जित कर दें। इससे मूर्तियों की शुभता पौधे के रूप में आपके घर में बनी रहेगी।
  9. इसके बाद बिना बोयी हुई, पृथ्वी में पैदा हुए शाकादि का आहार करके ब्रह्मचर्य पालन पूर्वक व्रत करें।
  10. अंत में पूजा के दौरान हुई किसी भी गलती के लिए क्षमा मांगें।

 

सप्त ऋषि मंत्र | ऋषि पंचमी व्रत विधि (Rishi panchami vrat vidhi)| ऋषि पंचमी पूजा विधि (Rishi panchami puja vidhi)

नीचे ऋषि पंचमी व्रत विधि में जाप करने के लिए सप्त ऋषि मंत्र दिया गया है जिसे आप पूजा करते समय बोल सकते हैं

कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः।

जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥

दहन्तु पापं सर्व गृह्नन्त्वर्ध्यं नमो नमः॥

इस मंत्र में कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि, वशिष्ठ आदि ऋषियों के नाम हैं। इनके नाम जप से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

 

सप्त ऋषि नाम | ऋषि पंचमी व्रत विधि (Rishi panchami vrat vidhi)| ऋषि पंचमी पूजा विधि (Rishi panchami puja vidhi)

  1. ऋषि कश्यप
  2. ऋषि अत्रि 
  3. ऋषि भारद्वाज 
  4. ऋषि विश्वामित्र 
  5. ऋषि गौतम
  6. ऋषि जमदग्नि
  7. ऋषि वशिष्ठ

 

ऋषि पंचमी व्रत कथा

ऋषि पंचमी व्रत विधि / ऋषि पंचमी पूजा विधि  में आप यह कथा पढ़ सकते हैं। 

एक समय की बात है, विदर्भ में उत्तक नामक एक ब्राह्मण अपनी पतिव्रता पत्नी के साथ रहता था। 

उसके परिवार में एक पुत्र और एक पुत्री थी। ब्राह्मण ने अपनी पुत्री का विवाह अच्छे ब्राह्मण कुल में कर दिया लेकिन काल के प्रभाव से उस कन्या के पति की असमय मृत्यु हो गई और वह विधवा होकर अपने पिता के घर लौट आई। 

एक दिन आधी रात को कन्या के शरीर में कीड़े पनपने लगे।

अपनी पुत्री के शरीर पर कीड़े देखकर माता-पिता दुखी हो गए और अपनी पुत्री को उत्तक ऋषि के पास ले गए। उन्होंने अपनी पुत्री का हाल जानने का प्रयास किया। 

उत्तक ऋषि ने अपने ज्ञान से कन्या के पूर्वजन्म का पूरा विवरण उसके माता-पिता को बताया और कहा

"कि यह कन्या पूर्वजन्म में ब्राह्मणी थी और एक बार रजस्वला होने के बावजूद इसने घर के बर्तन आदि छू लिए और काम करने लगी, जिससे पाप के कारण इसके शरीर पर कीड़े पड़ गए हैं।"

शास्त्रों के अनुसार रजस्वला स्त्री के लिए काम करना वर्जित है, लेकिन उसने इस बात पर ध्यान नहीं दिया और उसे इसका परिणाम भुगतना पड़ रहा है। 

ऋषिगण कहते हैं कि यदि यह कन्या ऋषि पंचमी का व्रत रखे तथा भक्तिपूर्वक प्रार्थना करके क्षमा मांगे तो वह अपने पापों से मुक्त हो जाएगी। 

इस प्रकार ऋषि पंचमी का व्रत रखने से कन्या को अपने पापों से मुक्ति मिल जाती है। अत: प्रत्येक स्त्री को उस पाप का शुद्धिकरण करने के लिए ऋषि पंचमी का व्रत अवश्य रखना चाहिए।

यह भी पढ़ें

हरतालिका पूजा विधि | संपूर्ण पूजा विधि विधान सामग्री के साथ

कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र | षोडशोपचार विधि सरल मंत्रों से

हरछठ पूजा विधि | Harchat puja vidhi | Harchat vrat vidhi

ललही छठ पूजा विधि | Lalahi chhath puja vidhi

जन्माष्टमी पूजा विधि हिंदी में | Janmashtami puja vidhi in Hindi

Bahula chauth | katha | vrat | puja vidhi | बहुला चौथ कथा | व्रत | पूजा विधि

Raksha bandhan puja thali & vidhi | रक्षाबंधन पूजा थाली | विधि

 

BhaktiHome