
गणेश चतुर्थी पूजा विधि (ganesh chaturthi puja vidhi in hindi): श्री गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा मंत्र सहित, सबसे आसान विधि से करें। भगवान गणेश की पूजा करते समय वैदिक मंत्रों का जाप किया जाता है। पर अगर आपको मंत्र का उच्चारण कठिन लगता है या समय कम है तो आप नीचे दी गयी आसान विधि से कर सकते हैं।
वैदिक मंत्रों की जगह पर नाम-मंत्रों से पूजा कर सकते हैं।
गणेश चतुर्थी पूजा विधि (Ganesh chaturthi puja vidhi in hindi)
यह गणेश चतुर्थी पूजा विधि बिलकुल आसान है और कम समय में हो जाती है ।
चलिए गणेश चतुर्थी पूजा विधि शुरू करते हैं।
गणेश चतुर्थी पूजा विधि मंत्र सहित
सबसे पहले, स्नान ध्यान करने के बाद सभी सामग्री अपने पास रख लें और फिर पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठ जाएं तथा निम्नलिखित मंत्र का तीन बार जप करके आचमन कर लें।
ॐ पार्वतीनन्दनाय नमः
ॐ गणेशाय नमः
ॐ उमापुत्राय नमः
करने के बाद हाथ में जल लें और 'ॐ ऋषिकेशाय नम: बोलकर हाथ धो लें।
हाथ धोने के बाद पवित्री धारण करें, पवित्री के बाद बाएं हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ से अपने ऊपर और पूजन सामग्री पर छिड़क ले। अब ये मंत्रतीन बार कहें ।
ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातु
भगवान गणेश और देवी अंबिका को (सुपारी में मौली लपेटकर) स्थापित करें, और निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करके आवाहन करें।
ॐ गणेशाम्बिकाभ्यां नम:!!
यह भगवान गणेश और देवी अंबिका के आशीर्वाद और मार्गदर्शन को आमंत्रित करता है
फिर विशेष कामना का नाम लेकर संकल्प लें, अर्थात दाहिने हाथ में जल, सुपारी, सिक्का, फूल और चावल लेकर मन ही मन जिस कारण से पूजा कर रहे हैं, उसका उच्चारण करें और उसे थाली या गणेश जी के सामने छोड़ दें।
अब अपने हाथ में चावल लें और भगवान गणेश और देवी अंबिका का ध्यान करें।
ॐ भूर्भुव:स्व: सिध्दि बुध्दि सहिताय गणपतये नम:,
गणपतिमावाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि च!
ॐ भूर्भुव:स्व:गौर्ये नम:,गौरीमावाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि च!
भगवान गणेश के आसन के लिए चावल अर्पित करें, और नीचे दिया गया मन्त्र बोलें ।
ॐ गणेश-अम्बिके नम:आसनार्थे अक्षतान समर्पयामि!
अब इसके बाद भगवान गणेश के स्नान के लिए जल चढ़ाएं और इस मंत्र का जाप करें ।
ॐ गणेशाम्बिकाभ्यां नम:स्नानार्थ जलं समर्पयामि!
इसके बाद दूध अर्पित करें और इस मंत्र का जाप करें ।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,पय:स्नानं समर्पयामि!
अब दही अर्पित करें और ये मंत्र बोलें ।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, दधिस्नानं समर्पयामि!
अब घी अर्पित करें और ये मंत्र बोलें ।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,घृतस्नानं समर्पयामि!
अब शहद चढ़ाएं और ये मंत्र बोलें ।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,मधुस्नानं समर्पयामि।
अब शक्कर अर्पित करें और ये मंत्र बोलें ।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,शर्करास्नानं समर्पयामि।
अब पंचामृत अर्पित करें। (पंचामृत - दूध, दही, शहद, शक्कर एवं घी को मिलाकर बनाते हैं )
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,पंचामृतस्नानं समर्पयामि!
अब चंदन का टीका लगाएं और ये मंत्र बोलें ।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,गंधोदकस्नानं समर्पयामि!
अब शुद्ध जल डालकर ये मंत्र बोलें ।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,शुध्दोदकस्नानं समर्पयामि!
अब गणेश जी को आसन पर विराजमान करें। फिर वस्त्र चढ़ाएं। ये मंत्र बोलें ।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,वस्त्रं समर्पयामि!
अब आचमनी जल छोड़ दें, इसके बाद उपवस्त्र (मौली) चढ़ाएं।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, उपवस्त्रं समर्पयामि!
आचमनी जल छोड़ें ।
अब गणेश जी को यज्ञोपवित (जनेऊ) अर्पित करें और ये मंत्र कहें।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाभ्यां नम:यज्ञोपवितं समर्पयामि!
आचमनी जल छोड़ें ।
अब गणेश जी को चन्दन लगाएं और ये मंत्र कहें।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,चंदनानुलेपनं समर्पयामि!
अब गणेश जी को चावल अर्पित करें और ये मंत्र कहें।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,अक्षतान समर्पयामि!
अब गणेश जी को फूल-फूलमाला अर्पित करें और ये मंत्र कहें।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,पुष्पमालां समर्पयामि!
अब गणेश जी को दूर्वा अर्पित करें और ये मंत्र कहें।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, दुर्वाकरान समर्पयामि।
अब गणेश जी को सिन्दूर चढ़ाएं और ये मंत्र कहें।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, सिन्दूरं समर्पयामि!
अब गणेश जी को अबीर, गुलाल, हल्दी आदि चढ़ाएं और ये मंत्र कहें।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, नानापरिमलद्रव्याणि समर्पयामि!
अब गणेश जी को सुगंधित (इत्र) चढ़ाएं और ये मंत्र कहें।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, सुंगधिद्रव्यं समर्पयामि!
अब गणेश जी को धूप-दीप दिखाएं और ये मंत्र कहें।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,धूप-दीपं दर्शयामि!
अब "ऋषि केशाय नम:" बोलकर हाथ धोकर नैवेद्य लगाए।
ॐ प्राणाय स्वाहा! ॐ अपानाय स्वाहा! ॐ समानाय स्वाहा!
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, नैवेद्यं निवेदयामि!
अब गणेश जी को फल चढ़ाएं और ये मंत्र कहें।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,ऋतुफलानि समर्पयामि!
अब गणेश जी को लौंग-इलायची, सुपारी अर्पित करें।
अब गणेश जी को दक्षिणा चढ़ाकर भगवान गणेश जी की आरती करें।
अब परिक्रमा करें! तत्पश्चात भगवान गणेश-अम्बिका से प्रार्थना करें।
इस प्रकार श्री गणेश चतुर्थी पूजा विधि पूरी हुई । श्री गणेश आपके सारे काम सिद्ध करें, संपूर्ण मनोरथ पूर्ण करें।
॥ श्री गणेश जी की आरती ॥
जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
एकदन्त दयावन्त,चार भुजाधारी।
माथे पर तिलक सोहे,मूसे की सवारी॥
पान चढ़े फूल चढ़े,और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे,सन्त करें सेवा॥
जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
अँधे को आँख देत,कोढ़िन को काया।
बाँझन को पुत्र देत,निर्धन को माया॥
'सूर' श्याम शरण आए,सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
दीनन की लाज राखो,शम्भु सुतवारी।
कामना को पूर्ण करो,जग बलिहारी॥
जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
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