सोमवती अमावस्या व्रत विधि, सामग्री और मंत्र | Somvati amavasya vrat vidhi

Published By: Bhakti Home
Published on: Monday, Sep 2, 2024
Last Updated: Monday, Sep 2, 2024
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somvati amavasya vrat vidhi
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सोमवती अमावस्या व्रत विधि और पूजा सामग्री, Somvati amavasya vrat vidhi and puja samagri, सोमवती अमावस्या पूजा विधि (Somvati amavasya puja vidhi) - सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने और व्रत रखने का विधान है। 

इस दिन विवाहित महिलाएं व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। 

 

सोमवती अमावस्या व्रत विधि और पूजा सामग्री | Somvati amavasya vrat vidhi and puja samagri

सनातन परंपरा में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व है। 

अगर यह तिथि सोमवार या शनिवार को पड़े तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। 

जब किसी भी महीने की अमावस्या सोमवार को पड़ती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है।

आइये जानते हैं सोमवती अमावस्या व्रत विधि (Somvati amavasya vrat vidhi) और सोमवती अमावस्या पूजा सामग्री (somvati amavasya puja samagri) के बारे में ।

यहाँ हम सारी जानकारी विधि विधान और सरल तरीके से दे रहे हैं जिससे आपकी पूजा सही से संपन्न हो सके।

 

सोमवती अमावस्या व्रत पूजा सामग्री | Somvati amavasya puja samagri

  1. शिव जी और माता पार्वती की मूर्ति या चित्र 
  2. चंदन, रोली, कुमकुम, अक्षत
  3. धूप, दीप, आरती करने के लिए दीपक।
  4. नैवेद्य - मिठाई, फल, फूल, घी, दूध
  5. धान, पान, खड़ी हल्दी - तुलसी पूजा के लिए 
  6. नारियल 
  7. कोई भी वस्तु - जैसे चूड़ियाँ, बिंदी, आम, केला आदि, जो परिक्रमा करने के लिए उपयुक्त हैं।

 

सोमवती अमावस्या व्रत विधि | Somvati amavasya vrat vidhi

अब जानते हैं सोमवती अमावस्या व्रत विधि (Somvati amavasya vrat vidhi)। 

1 - ब्रह्म मुहूर्त में उठें 

सोमवती अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर देवी-देवताओं का ध्यान करके दिन की शुरुआत करें।

2 - स्नान ध्यान करें

इसके बाद स्नान करें। वैसे तो गंगा स्नान करना चाहिए पर अगर वो नहीं  कर सकते तो पानी में गंगाजल डाल लें ।

3 - सूर्य को अर्घ्य दें 

अब भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें। 

अर्घ्य  देते समय "ॐ सूर्याय नमः" मंत्र का जप करें । 

4 - भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें 

इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा मंत्र नीचे दिए गए हैं इनका जाप जरूर करें। 

ॐ नमः शिवाय

ॐ नमः पार्वती पतये हर हर महादेव

ॐ उमा महेश्वराभ्यां नमः 

ॐ पार्वत्यै नमः

5 - पीपल की पूजा करें 

  • पीपल के पेड़ पर दूध, जल, फूल, साबुत चावल, चंदन आदि चढ़ाए जाते हैं और पेड़ के चारों ओर 108 बार धागा लपेटकर परिक्रमा की जाती है।
  • अगर 108 बार धागा बांधने में असमर्थ हैं तो कम से कम 11 बार अवश्य  करें।
  • ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मा, विष्णु और शिव (जिन्हें त्रिमूर्ति या त्रिदेव भी कहा जाता है) पीपल के वृक्ष में निवास करते हैं।

6 - तुलसी की पूजा करें 

इसके अलावा धान, पान और हल्दी को मिलाकर विधि-विधान से तुलसी के पेड़ पर चढ़ाने की मान्यता है।

7 - शाम को दीपक जलाएं

इसके बाद शाम को भी दीपक जलाएं। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है।

 

सोमवती अमावस्या व्रत विधि (Somvati amavasya vrat vidhi) संपूर्ण हुई ।

 

सोमवती अमावस्या व्रत मंत्र 

ॐ नमः शिवाय

ॐ नमः पार्वती पतये हर हर महादेव

ॐ उमा महेश्वराभ्यां नमः 

ॐ पार्वत्यै नमः

 

सोमवती अमावस्या व्रत कथा | Somvati amavasya vrat katha

सोमवती अमावस्या व्रत कथा  पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पे क्लिक करें

सोमवती अमावस्या व्रत कथा | Somvati amavasya vrat katha

 

सोमवती अमावस्या उपाय | Somvati amavasya upay

  1. सोमवती अमावस्या के दिन दान करने से हजारों गायों के दान के समान फल की प्राप्ति होती है।
  2. अगर आप आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं तो सोमवती अमावस्या के दिन तुलसी के पेड़ की 108 बार परिक्रमा करें।
  3. पति की लंबी आयु के लिए सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा जरूर करें।
  4. अगर कोई व्यक्ति पितृदोष से पीड़ित है तो उसे सोमवती अमावस्या के दिन पितरों का पिंडदान और तर्पण करना चाहिए।

 

सोमवती अमावस्या व्रत महत्व 

  • शास्त्रों के अनुसार इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए पीपल के पेड़ को छूकर पूजा-अर्चना की जाती है।
  • सोमवती अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले नदी में स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। 
  • इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए भोलेनाथ की पूजा करती हैं
  • इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें और जल चढ़ाएं। ऐसा करने से आपको त्रिदेवों का आशीर्वाद मिलेगा।
  • सोमवती अमावस्या के दिन तर्पण और दान करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद मिलता है। 
  • इतना ही नहीं, यह दिन काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए भी खास है। 
  • इस दिन जरूरतमंद लोगों को भोजन दान करना चाहिए। 

 

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